67 साल की वृद्धा के 3 बच्चे, किया भरण पोषण से इनकार, घर पर भी कब्जा

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67 साल की वृद्धा के 3 बच्चे, किया भरण पोषण से इनकार, घर पर भी कब्जा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। इतवारी मस्कासाथ निवासी 67 वर्षीय दयाली शंकरलाल बरोड़े उम्र के इस पायदान पर बुरी तरह परेशान हैं। उन्हें दो लड़के और एक लड़की है। भरण-पोषण करने और साथ रखने से उन्होंने साफ इनकार कर दिया है। बच्चों ने घर पर भी कब्जा कर लिया है, इससे उनकी आमदनी का एकमात्र साधन भी छीन चुका है। उन्होंने कोर्ट में गुहार लगाई तो एक बेटा और बेटी को हर माह घर खर्च चलाने के लिए निश्चित राशि देने के साथ ही घर खाली करने का भी आदेश मिला। अजनी पुलिस अधिकारी को भी उचित कार्यवाही करने का आदेश दिया गया था। बावजूद इसके अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। 

तीन बच्चे एक मां को नहीं पाल पा रहे 
दयाली बरोड़े के तीनों बच्चों की शादी हो चुकी है। बेटी और एक बेटा अपने परिवार के साथ मां के ही घर में रहते हैं, जबकि दूसरा बेटा पूरी तरह मां से अलग हो चुका है। तीनों ही बच्चे अपनी गृहस्थी का कारण बता कर मां को साथ रखने के लिए तैयार नहीं। यहां तक कि भरण-पोषण के लिए भी तैयार नहीं।  

500 रुपए के विधवा पेंशन पर करती हैं गुजारा  
पहले मां घर के किराए से अपना खर्च चलाती थी, लेकिन बेटी-दामाद और बहू-बेटे ने किराएदारों को भगा कर घर पर कब्जा जमा लिया। अब 500 की मासिक निराधार विधवा पेंशन ही एकमात्र सहारा है। इसके अलावा बुजुर्ग महिला के पास आमदनी का और कोई साधन नहीं है।

जल्द कार्रवाई की जाएगी
यह मामला पहले दूसरे अधिकारी के पास था, हमें इसकी कोई जानकारी नहीं थी। अब मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई की जाएगी।
अजय चव्हाण, उप पुलिस निरीक्षक, तहसील थाना

नौ माह बाद भी आदेश का पालन नहीं

दयाली बरोड़े ने कोर्ट से गुहार लगाई थी तो कोर्ट ने आदेश दिया था कि बेटे और बेटी को दो-दो हजार रुपये किराए के रूप में बैंक के खाते में जमा करना होगा। साथ ही दोनों को घर खाली करने के भी आदेश मिले थे। नौ माह बीत गए, अभी तक अदालत के उस आदेश का पालन नहीं किया जा सका है। अजनी पुलिस स्टेशन अधिकारी को उचित कार्यवाही के आदेश दिए गए थे, लेकिन इतवारी क्षेत्र तहसील पुलिस थाना अंतर्गत आने के कारण कोई कार्यवाही भी नहीं हो पाई। सभी जगह से निराश होने के बाद शिकायत लेकर वृद्धा सभी कागजों के साथ लेकर पालकमंत्री की जनसुनवाई में गई थी। जहां उसे जल्द ही कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया।

शहर में 50 वृद्ध हर साल कर लेते हैं आत्महत्या
संतरानगरी में हर साल 50 वृद्ध आत्महत्या करते हैं। यह आंकड़ा कम ज्यादा होते रहता है। कई मामले सामने भी नहीं आ पाते हैं। एक पुलिस अधिकारी ने नाम ने छापने की बात पर बताया हर साल करीब 10 से 12 लोग एकाकी जीवन के चलते खुदकुशी करते हैं। इसमें परिवार पीड़ित भी शामिल हैं। जी हां, नागपुर पुलिस भी मानती है शहर में करीब 40 फीसदी बुजुर्ग एकाकी जीवन बिताने पर मजबूर हैं। 30 फीसदी वृद्ध इंसानों की औलादें विदेश में जाकर पढ़ाई करने के साथ ही वहीं पर बस गए।

जानकारों का मानना है कि भारत में 2050 तक वृद्धों की तादाद बढ़कर तीन गुना हो जाएगी। सूत्रों के अनुसार नागपुर पुलिस विभाग के पास करीब 5500 बुजुर्गों की सूची है। हर बुजुर्ग व्यक्ति की हर पल देख-रेख पुलिस करने नहीं पहुंच सकती है, लेकिन जब भी कोई मदद की गुहार लगाता है तब पुलिस उसकी मदद करने जरुर पहुुंचती है। 

पुलिस आयुक्त डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय ने पहले ही सभी को हिदायत दे रखी है कि किसी वृद्ध इंसान का फोन आने पर उसकी मदद करने जरुर पहुंचें। इस बारे संबंधित क्षेत्र के थानेदारों को भी उनके थाने के दायरे में रहने वाले बुजुर्गों पर ध्यान देने की हिदायत दी गई है। सूत्रों के अनुसार, एक सामाजिक संगठन ने बुजुर्गों की स्थिति पर एक सर्वे किया है, जिससे पता चलता है कि भारत में भी बुजर्गों के साथ बहुत शर्मनाक व्यवहार होने लगा है। देश के 20 छोटे बड़े शहरों में साढ़े 8 हजार से अधिक बुजुर्गों पर किए गए इस सर्वेक्षण के दौरान 44 फीसदी लोगों का कहना था कि सार्वजनिक स्थानों पर उनके साथ बहुत गलत व्यवहार किया जाता है। बंगलूरु, हैदराबाद, भुवनेश्वर, मुंबई और चेन्नई ऐसे शहर पाए गए, जहां सार्वजनिक स्थानों पर बुजुर्गों से सबसे बुरा बर्ताव होता है, इसमें नागपुर भी पीछे नहीं है।

53 फीसदी बुजुर्गों का मानना है कि समाज उनके साथ भेदभाव करता है। अस्पताल, बस अड्डों, बसों, बिल भरने के दौरान और बाजार में भी बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार होते हैं। सर्वे में शामिल 64 फीसदी बुजुर्गों का मानना है कि उम्र या सुस्त होने की वजह से लोग उनसे रुखेपन से बात करते हैं।

बढ़ती समस्या
सूत्रों के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनपीएफ) ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2050 तक भारत में बुजुर्गों की तादाद बढ़ कर तीन गुनी हो जाएगी। भारत में अब भी लोगों में बेटे की ही चाहत रहती है, लेकिन ताजा आंकड़ों के मुताबिक बुजुर्ग मां-बाप से दुर्व्यवहार करने में बेटे ही सबसे आगे हैं। बुजुर्गों की बेहतर देख-रेख के लिए सरकार, गैर-सरकारी संगठनों, परिवारों और समाज सबको अपनी भूमिका सही ढंग से निभानी होगी।

पुलिस के पास रिकार्ड है
पुलिस के पास बुजुर्गों का रिकार्ड है। जरुरत पड़ने पर पुलिस उनकी मदद करती है। 30 फीसदी लोगों के बच्चे उनसे दूर रहकर अपने माता-पिता की खोज-खबर लेते रहते हैं। 
-संभाजी कदम, उपायुक्त अपराध शाखा पुलिस विभाग  

जरुरत हो ताे पुलिस से मदद मांगें

मेडिकल जाना है तो एम्बुलेंस से लेकर कोई भी मदद शहर के बुजुर्ग नागरिक पुलिस से मांग सकते हैं। फोन आने पर पुलिस को मदद के लिए जाने का आदेश दिया गया है। बुजुर्गों की समस्या के बारे में अधिकारियों के साथ तीन बार बैठक हो चुकी है। पुलिस के पास शहर के सीनियर सिटीजन की सूची है। जरुरत पड़ने पर कभी भी पुलिस से मदद मांगी जा सकती है। 
-डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय, पुलिस आयुक्त नागपुर शहर   

Created On :   14 Jan 2019 6:05 PM IST

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