बेटियों पर बनाई फिल्म, 30 कलाकारों ने फ्री में किया काम

30 character worked for free in film made for life of daughters
बेटियों पर बनाई फिल्म, 30 कलाकारों ने फ्री में किया काम
बेटियों पर बनाई फिल्म, 30 कलाकारों ने फ्री में किया काम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के लिए अक्सर अवेयरनेस रैली निकाली जाती है, ड्राइंग स्पर्धा आदि तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, लेकिन शहर के बंटी अन्ना ने समाज को जागरूक करने के लिए ‘बेटी अब मैं कमजोर नहीं’ फिल्म बनाई है। इसमें शहर के ही कलाकारों ने काम किया है। लगभग डेढ़ घंटे की इस फिल्म में बेटी के जन्म से लेकर उसके जीवन में घटने वाली घटनाओं को दिखाया गया है। फिल्म में लगभग 30 कलाकार हैं, जिन्होंने नि:शुल्क काम किया है।

जीवन की सच्चाई से हुए रूबरू
फिल्म में काम करके बहुत अच्छा लगा। इस फिल्म में बेटियों की व्यथा को बताया गया है। आज भले ही डिजिटल दुनिया है, लेकिन आज भी बेटियों की स्थिति जस की तस है। लड़कियों के साथ रोज अप्रिय घटनाएं होती हैं। जिस देश में औरत को देवी का रूप दिया गया है, वहां आज भी समाज में भेदभाव किया जाता है। घर से बेटियों के साथ भेदभाव की शुरुआत होती है। फिल्म में बताया गया है कि आज की नारी शक्तिशाली है। अपने पैरो पर खड़ी हो सकती है। नारी अपनी शक्ति और अपनी आजादी का सही इस्तेमाल करे। फिल्म में यह भी बताया गया है कि जैसे विवाह के पहले लड़की, लड़की को सपोर्ट करती है, परंतु विवाह के बाद लड़के को लाड़ प्यार करती है, ऐसा क्यों। उसकी मानसिकता अचानक क्यों बदल जाती है।
- श्रुति लोखंडे

अच्छा अनुभव रहा 

फिल्म में काम करने का अनुभव बहुत ही बढ़िया रहा। फिल्म समाज को संदेश देती है। फिल्म में बेटी की स्थिति को दर्शाया गया है। बेटियों को पैदा होने से पहले ही गर्भ में मार दिया जाता है, ये कहां का इंसाफ है। भ्रूण हत्या के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। एक तरफ लोग उच्च शिक्षा की बातें करते हैं, दूसरी तरफ लड़कियों की संख्या कम होती जा रही है। बेटा, बेटी में फर्क करने की बजाय उन्हें समान दृष्टि से देखना चाहिए। फिल्म का हर सीन बहुत ही बढ़िया है। 

आवाज उठाने को कोई तैयार नहीं  
यह मेरी तरफ से एक छोटी पहल है। फिल्म में काम करने वाले सभी कलाकारों ने नि:शुल्क काम किया है। समाज के लिए काम करने वालों की कमी नहीं है। आज की नारी सशक्त है। वह किसी की गुलाम नहीं है। माता-पिता का हर बच्चे के लिए समान कर्तव्य होता है, चाहे वो बेटी हो या बेटा। फिल्म 21 फरवरी को साइंटिफिक हॉल में दोपहर 1 बजे से नि:शुल्क दिखाई जाएगी। 
- बंटी अन्ना, निर्माता 

Created On :   19 Feb 2019 3:38 PM IST

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