रेलवे अस्पताल में 40 लाख खर्च किये, 4 साल में 40 लोगों को भी नहीं मिल सका लाभ

40 lakh spent in railway hospital, 40 people could not get benefit in 4 years
रेलवे अस्पताल में 40 लाख खर्च किये, 4 साल में 40 लोगों को भी नहीं मिल सका लाभ
रेलवे अस्पताल में 40 लाख खर्च किये, 4 साल में 40 लोगों को भी नहीं मिल सका लाभ

डिजिटक डेस्क,नागपुर। रेलवे अस्पताल में एडमिट होनेवाले मरीजों के परिजनों को सुविधा देने के उद्देश्य से मध्य रेलवे नागपुर मंडल ने वर्ष 2015 में मंडल कार्यालय परिसर में आश्रय बनाया था। इसके लिए 40 से 50 लाख रुपए खर्च किए गए थे। उद्देश्य था कि रेलवे अस्पताल में एडमिट होनेवाले मरीजों के परिजनों को रहने की सस्ती व्यवस्था उपलब्ध कराई जा सके।, लेकिन जानकारी का अभाव कहें या प्रचार-प्रसार की कमी, गत 4 वर्षों में 40 लोगों ने भी यहां सहारा नहीं लिया है। हालांकि अस्पताल में रोजाना सैकड़ों मरीज आते हैं और उसमें से 10 से अधिक मरीज एडमिट भी होते हैं। इसके बावजूद यहां मरीजों के परिजन नहीं ठहरते हैं।  

कर्मचारी इसके भरोसे

मध्य रेलवे कार्यालय परिसर में मध्य रेल अस्पताल है। रेलवे कर्मचारियों के लिए बना यह अस्पताल नागपुर विभाग में काम करनेवाले 17 हजार कर्मचारियों के लिए बहुत बड़ी जरूरत है। यहां नागपुर के अलावा, वर्धा, सेवाग्राम, बल्लारशाह, चंद्रपुर, काटोल, कलमेश्वर, इटारसी तक के कर्मचारी इलाज के लिए आते हैं। मामूली सर्दी-जुकाम के साथ यहां बड़े से बड़े ऑपरेशन कराने की सुविधा व आईसीयू भी है। गंभीर बीमारी में यहां एडमिट की भी सुविधा है। रोजाना 100 से ज्यादा मरीज यहां के ओपीडी में पहुंचते हैं और उनमें से औसतन 10 से ज्यादा एडमिट भी किए जाते हैं।  

इसलिए  निर्माण किया 

रेलवे के अधिकारियों की मानें तो मरीजों के परिजनों को इसकी जरूरत ही नहीं पड़ती। सुबह आकर शाम को चले जाते हैं। ऐसे में इतनी बड़ी राशि खर्च कर आश्रय का निर्माण क्यों किया गया, यह सवाल सामने आ रहा है। इन दिनों भी यहां ताला लगा रखा है। 

छोटे-छोटे जगह पर विशेषज्ञ

आश्रम में रहनेवालों की संख्या बहुत कम है। मुख्य कारण यह है कि अब छोटे-छोटे जगह पर अस्पताल व विशेषज्ञ मरीजों को मिल जाते हैं। ऐसे में यहां कोई नहीं आता। हमारी ओर से मरीज के परिजनों को आश्रय के बारे में जानकारी दी जाती है। 
-एस.जी. राव, सहायक वाणिज्य प्रबंधक, मध्य रेलवे नागपुर मंडल

जानकारी डिस्प्ले नहीं

करीब 40 से 50 लाख की लागत से वर्ष 2015 में तत्कालीन डीआरएम बृजेश कुमार गुप्ता के कार्यकाल में अस्पताल के पीछे ही आश्रय का निर्माण किया। तत्कालीन महाप्रबंधक एस.के. सूद ने 18 दिसंबर 2015 को इसका उद्घाटन किया था। महज 30 रुपए में यहां रहने की व्यवस्था कराई गई है। इसमें 12 से ज्यादा बेड की व्यवस्था, पंखे व शौचालय हैं, लेकिन सूत्रों की मानें तो इस आश्रय के बारे में अस्पताल में किसी तरह की जानकारी डिस्प्ले नहीं की गई है। कोई मरीजों के परिजनों को इसके बारे में बताया भी नहीं जाता है। ऐसे में परिजन अपने रिश्तेदार के यहां या फिर परिसर में ही कहीं जगह देखकर अपना समय काट लेते हैं। 

Created On :   30 Aug 2019 7:33 AM GMT

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