स्वास्थ्य विभाग की 3000 में से 600 एंबुलेंस बीमार

600 ambulances of health department are not able to serve patients
स्वास्थ्य विभाग की 3000 में से 600 एंबुलेंस बीमार
स्वास्थ्य विभाग की 3000 में से 600 एंबुलेंस बीमार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस के भरोसे रहना मरीजों की जान पर बन आ सकता है।  क्योंकि स्वास्थ्य विभाग की राज्यभर में करीब 3000 एंबुलेंस में से 600 बंद पड़ी है। सर्वाधिक एंबुलेंस राज्य के आदिवासी बहुल जिलों में बंद होने की जानकारी है। इसमें भी गड़चिरोली पहले स्थान पर है। यहां 30 एंबुलेंस कबाड़ में पड़ी है। वहीं संपूर्ण विदर्भ में 210 एंबुलेंस बंद पड़ी है, जो राज्य की कुल एंबुलेंस का 30 फीसदी से ज्यादा है। एंबुलेंस के जैसी ही स्थिति स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के वाहनों की भी है। अधिकारियों के करीब डेढ़ हजार वाहनों में से 500 वाहन सड़क पर दौड़ने की स्थिति में नहीं है।

सोलापुर के एक अधिकारी ने बताया कि जिले की 109 एंबुलेंस में से 11 बंद पड़ी है। वहीं अधिकारियों के वाहनों समेत बंद पड़े वाहनों का आंकड़ा 29 है। जिसका प्रतिकूल असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है। यहीं नहीं जिले में जो वाहन चालू अवस्था में हैं, उनमें से भी अधिकांश की हालत खस्ता है। वहीं जलगांव जिले में 104 वाहन हैं, जिनमें से एंबुलेंस समेत 33 वाहन बंद हैं। नागपुर जिले में भी 15 एंबुलेंस बंद पड़ी हैं।

उल्लेखनीय है कि राज्य में 10 हजार से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और करीब 2500 स्वास्थ्य केंद्र हैं। चंद्रपुर, गड़चिरोली, अमरावती व यवतमाल विदर्भ के आदिवासी बहुल जिलों में शुमार हैं। वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार के गृह जिले चंद्रपुर में भी 25 एंबुलेंस बंद हैं। जो चालू अवस्था में दिखाई जा रही है, उनमें से भी अधिकांश पुरानी हो चुकी हैं। एंबुलेंस व स्वास्थ्य विभाग के अन्य वाहनों समेत जिले में कुल 40 वाहन बेकार पड़े हैं। वहीं गड़चिरोली जिले में एंबुलेंस समेत 50 वाहनों का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। गड़चिरोली जिले के हेमलकसा में डॉ. प्रकाश आमटे अस्पताल चलाते हैं। वहां एंबुलेंस व रास्तों के अभाव में आदिवासी खाट पर मरीजों को अस्पताल लाते हैं। यवतमाल जिले के बंद वाहनों की संख्या 35 है। इनमें 24 एंबुलेंस हैं। कुपोषण के मामले में अमरावती जिले का मेलघाट अति संवेदनशील है। इसके बावजूद भी जिले में 23 एंबुलेंस समेत 30 वाहन बंद पड़े हैं। 

इसलिए बिगड़े हालात
गौरतलब है कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. दीपक सावंत की विधान परिषद सदस्यता आगामी 27 जुलाई को समाप्त होने जा रही है। उन्हें आसन्न विधान परिषद चुनाव के लिए शिवसेना की ओर से दोबारा टिकट भी नहीं दिया गया। ऐसे में कहा जा रहा है कि उनकी ओर से विभाग के कामकाज पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है। 

कोंकण व पश्चिम महाराष्ट्र के हालात बेहतर
पश्चिम महाराष्ट्र व कोंकण में विदर्भ की तुलना में बंद पड़ी एंबुलेंस की संख्या कम है। कोल्हापुर जिले में 20 एंबुलेंस बंद हैं। वहीं प्रदेश की राजनीति में खास प्रभाव रखने वाले नारायण राणे के कोंकण क्षेत्र के सिंधदुर्ग व रत्नागिरी जिले में भी क्रमश: 19 व 20 एंबुलेंस खराब पड़ी हैं। दोनों जिलों में एंबुलेंस समेत विभाग के कुल 70 वाहन बंद पड़े हैं।

Created On :   11 July 2018 12:53 PM IST

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