महाविकास आघाड़ी में तालमेल की है दरकार, 75% किसानों को मिलेगा कर्जमाफी का लाभ

75% farmers will get loan waiver benefit
महाविकास आघाड़ी में तालमेल की है दरकार, 75% किसानों को मिलेगा कर्जमाफी का लाभ
महाविकास आघाड़ी में तालमेल की है दरकार, 75% किसानों को मिलेगा कर्जमाफी का लाभ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शीतकालीन अधिवेशन के अंतिम दिन विधानसभा में महाविकास आघाड़ी में तालमेल की कमी साफ देखी गई। स्थिति यह रही कि सरकार की ओर से पेश किए गए विधेयक पर कांग्रेस सदस्य ने असहमति जताई। विधेयक को मंजूर नहीं करने को कहा। कैग की रिपोर्ट को लेकर भी अलग अलग मत सामने आये। नेताओं की मतभिन्नता को लेकर वित्तमंत्री जयंत पाटील ने यह तक कहा कि विरोध के लिए विरोध की राजनीति ठीक नहीं है। पहले की सरकार के सारे काम पर प्रश्न नहीं उठाए जा सकते हैं। नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से पाटील ने कहा-हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि अब भी अापको लेकर हमारे साथियों में एकमत नहीं है।

एक सदस्यीय प्रभाग प्रणाली

अधिवेशन के अंतिम दिन मनपा में एक सदस्यीय प्रभाग प्रणाली को लेकर विधेयक मंजूर किया गया। नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस व विपक्ष के वरिष्ठ सदस्य सुधीर मुनगंटीवार ने उस विधेयक का विरोध किया। विपक्ष ने कहा कि विधेयक को लेकर सहमति आवश्यक है। इस विधेयक को चर्चा के लिए संयुक्त पड़ताल समिति के पास भेजने का प्रस्ताव िवपक्ष ने रखा। उस प्रस्ताव को वापस लेने का निवेदन नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने किया। तब कांग्रेस सदस्य व पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने विपक्ष के प्रस्ताव का समर्थन किया। चव्हाण ने कहा कि 2001 से मनपा व नगरपरिषद के चुनाव के संबंध में 3 बार नियम बदले जा चुके हैं। नगराध्यक्षों, मुख्य कार्यपालन अधिकारियों से चर्चा के बाद ही कोई नया निर्णय लिया जाना चाहिए। चव्हाण ने विधेयक को रोकने को कहा। हालांकि यह भी कहा कि इसके लिए किसी समिति के पास जाने की आवश्यकता नहीं है। 

अलग-अलग मत

उधर, कैग अर्थात नियंत्रण व महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट को लेकर भी सत्ता पक्ष के सदस्यों के मत अलग अलग थे। राकांपा के सदस्य जीतेंद्र आव्हाड़ ने हिसाब रहित खर्च का उल्लेख करते हुए कहा था कि पिछली सरकार के समय लाखों के घोटाले पर कैग की रिपोर्ट ने प्रश्न उठाए हैं। वित्तमंत्री जयंत पाटील ने कहा कि कैग की रिपोर्ट को लेकर फडणवीस के नेतृत्व की सरकार पर प्रश्न उठाना ठीक नहीं होगा। इस तरह की रिपोर्ट व सुझाव प्रतिवर्ष आते रहते हैं। राकांपा के ही सदस्य नवाब मलिक इस विषय पर वित्तमंत्री से सहमत नजर नहीं आए।

सरकार गंभीर, उठाए जा रहे हैं कदम

उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने विदर्भ और कोंकण का हिस्सा सरकारी नौकरी में घटने की स्वीकारोक्ति की। देसाई ने कहा कि विदर्भ में बेरोजगारी कम करने और रोजगार बढ़ाने के लिए कालबद्ध कार्यक्रम लिया जाएगा। उद्योग मंत्री ने कहा कि संबंधित विभाग की जनसंख्या अनुसार नौकरी मिलना चाहिए, किन्तु शेष महाराष्ट्र की तुलना में विदर्भ का प्रतिशत कम है। इस बाबत मंत्रिमंडल की उपसमिति नियुक्त की गई थी। कुछ उपाय योजना सूचित किए। नागपुर, अमरावती, कोंकण व नाशिक विभाग के उम्मीदवार शासकीय सेवा में प्रमाण कम क्यों है, इसकी समीक्षा की थी। इन विभागों के उम्मीदवारों को ज्यादा से ज्यादा महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग की स्पर्धा परीक्षा में बैठने योग्य बनाने के लिए उम्मीदवारों को प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया गया था। तंत्र शिक्षण विभाग के माध्यम से यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। नागपुर और कोंकण का संतुलन बनाए रखने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार इसे लेकर गंभीर है। इसेक लिए संस्थाओं को अनुदान भी दिया जा रहा है। 

नागपुर करार का उल्लंघन 

अधिवेशन के अंतिम दिन राकांपा सदस्य ख्वाजा बेग ने विधानपरिषद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिये विदर्भ के अनुशेष का मुद्दा उपस्थित किया था। ख्वाजा बेग ने कहा कि राज्य सरकार ने 1953 में किए नागपुर करार का उल्लंघन हो रहा है। विदर्भ का सरकारी नौकरी में प्रतिशत घटा है। जनसंख्या के अनुपात में सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व नहीं है।  राष्ट्रपति के आदेश अनुसार राज्यपाल ने इस संबंध में निर्देश निर्गमित किए थे। उन्होंने नागपुर के नितीन रोंघे और सुधीर ठाकरे से मिली चौंकाने वाली जानकारी का भी खुलासा किया। कहा कि विदर्भ का प्रतिशत घटकर 3 से 8 प्रतिशत रह गया है। भाजपा सदस्य रणजीत पाटील ने भी विदर्भ का नौकरी और सिंचाई में हिस्सा नहीं मिलने का आरोप लगाया। उन्होंने युवाओं को प्रोत्साहन देने अमरावती के साथ नागपुर में भी आईएएस एकेडमी शुरू करने और उसे मजबूत करने के लिए निधि देने की मांग की। प्रा. जोगेंद्र कवाड़े ने कहा कि सरकार असत्य जानकारी दे रही है। 

नाकाफी, 75% किसानों को मिलेगा कर्जमाफी का लाभ

निर्दलीय विधायक बच्चू कडू ने कहा कि 2 लाख तक कर्जमाफी का लाभ 75 फीसदी किसानों को ही मिल सकेगा। शेष बचे 25 फीसदी किसानों के लिए अलग नीति बनानी होगी।  सरकार द्वारा 2 लाख तक का कर्ज माफ करने के निर्णय का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि धान, कपास, सोयाबीन उत्पादक किसानों को इसका लाभ मिलेगा। राज्य के 75 फीसदी किसानों को इसका लाभ मिलेगा। फलबाग व सब्जी उत्पादक किसानों को इसका लाभ नहीं मिल सकेगा। शेष बचे 25 फीसदी किसानों के लिए अलग नीति बनानी होगी। प्रति हेक्टेयर 25 हजार की मदद के लिए आंदोलन करना होगा। मिले बेहतर समर्थन मूल्य : उन्होंने किसानों के माल को अच्छा हमी भाव (समर्थन मूल्य) देने की मांग की। अच्छा हमी भाव मिलने पर किसान आर्थिक रूप से समृृद्ध होगा। फिर उसे कर्जमाफी की जरूरत नहीं पड़ेगी।  

किसानों को हम नहीं भूल सकते

कर्जमाफी की घोषणा के पहले विधायक कडू ने कहा था कि किसान हमारे माई-बाप है उन्हें हर हाल में मदद मिलनी चाहिए। अगर सरकार किसानों को मदद नहीं देगी तो हम सरकार को बाप दिखा देंगे। हम किसानों को भूल नहीं सकते। उन्होंने कहा कि जो विधायक सामने की पंक्ति में बैठते हैं उन्हें मुद्दे रखने व बोलने का ज्यादा समय मिलता है। हम पीछे बैठते हैं तो हमें कम समय मिलता है। यह गलत परंपरा है। हमें मुद्दे रखने के लिए समुचित समय मिलना चाहिए। इस बात से हम अध्यक्ष को अवगत करा चुके हैं।

पूरा ध्यान है, वंजारी समाज के आरक्षण पर सरकार सकारात्मक

राज्य पिछड़ावर्ग आयोग का अभिप्राय प्राप्त होने के बाद आवश्यक संवैधानिक प्रक्रिया का अमल कर वंजारी समाज के आरक्षण मुद्दे पर सरकार सकारात्मक भूमिका लेगी। यह भरोसा ओबीसी मंत्रालय के मंत्री डॉ. िनतीन राऊत ने विधानपरिषद में दिलाया।

जनसंख्या के अनुपात में नहीं आरक्षण

विधानपरिषद में शिवसेना सदस्य नरेंद्र दराड़े ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत यह मुद्दा उपस्थित किया था। दराडे ने कहा कि वंजारी समाज को जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने बाबत क्रांतिवीर वसंतराव नारायणराव नाईक आरक्षण कृति समिति के पदाधिकारियों का निवेदन राज्य पिछड़ावर्ग आयोग के अभिप्राय के लिए भेजा गया था। कुल 11 प्रतिशत आरक्षण में से वंजारी समाज को 2 प्रतिशत आरक्षण दिया है। यह आरक्षण समाज की जनसंख्या के अनुपात में नहीं होने से वंजारी समाज आरक्षण से वंचित होने का आरोप लगाया। 

सबूतों के आधार पर सिफारिश होती है

चर्चा का जवाब देते हुए नितीन राऊत ने कहा कि किसी भी समाज के लिए आरक्षण का प्रतिशत तय करते समय आर्थिक स्तर, पिछड़ापन, जनसंख्या और अन्य बातों का विचार किया जाता है। सर्वेक्षण के अंत में राज्य पिछड़ावर्ग आयोग के सामने सबूतों के आधार पर आरक्षण की सिफारिश आयोग मार्फत सरकार को की जाती है। चर्चा में विरोधी पक्षनेता प्रवीण दरेकर, विनायक मेटे, सुरेश धस ने हिस्सा लिया।
 

 

Created On :   22 Dec 2019 5:16 PM IST

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