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8 हजार पाने वाले कर रहे ईमानदारी से सफाई पर लाखों कमाने वाले फैला रहे कचरा
डिजिटल डेस्क जबलपुर । शहर को स्वच्छता सर्वेक्षण में पिछले साल 25वीं रैंकिंग हासिल हुई थी और इस बार 17वाँ नम्बर मिला है। इस हिसाब से देखा जाए तो शहर ने कुछ कदम आगे बढ़ाए हैं और निश्चित ही भविष्य में इससे और बेहतर प्रदर्शन होगा। नि:संदेह नगर निगम की बहुत सारी खामियाँ हैं और अभी निगम को कई मोर्चों पर और प्रयास करने होंगे, लेकिन अब हर नागरिक की जुबान पर यही सवाल है कि आखिर ऐसा क्या है जो इंदौर 4 सालों से नम्बर एक है और हम इतने पीछे।
इस पर जब पड़ताल की गई तो पता चला कि इंदौर को पहले पायदान पर पहुँचाने के लिए केवल नगर निगम ने काम नहीं किया, बल्कि वहाँ के नागरिकों की भूमिका मुख्य रही। इंदौर के नागरिक ठीक मुम्बईकरों की तरह नियमों और कानूनों का पालन करने वाले होते हैं और गंदगी तो उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं। इसके ठीक विपरीत हमारे शहर के लोगों में इतना भी सब्र नहीं कि यदि एक दिन कचरा गाड़ी नहीं आई तो कचरे को डस्टबिन में ही रखे रहने दें, वे इसे निगम की खामी मानकर कचरा खुली जगह में फेंक देते हैं। दुकानदारों का तो नियम है कि दुकान बंद करते समय कचरा जरूर सड़क पर फेंकेंगे। ऐसे में शहर को नम्बर एक पर देखना मुश्किल ही नहीं असंभव होगा और यही कहना होगा कि 8 हजार की पगार पाने वाला निगम कर्मचारी तो ईमानदारी से काम करता है, लेकिन लाखों रुपए कमाने वाला पूरी तरह गैर जिम्मेदार है।
शुक्रवार की रात करीब 10 बजे फुहारा में सफाई कर्मचारी सफाई कार्य करने पहुँचे। इन लोगों ने दुकानों के बाहर कचरे के ढेर हटाने शुरू किए। जब पूछा गया कि कचरा सड़क पर कैसे आया तो उन्होंने बताया कि यहाँ के दुकानदार रोजाना रात में दुकान बंद करते समय कचरा इसी प्रकार सड़क पर फेंक देते हैं। इसी प्रकार सिविक सेंटर, मॉडल रोड, नेपियर टाउन, राइट टाउन, घंटाघर, सिविल लाइन आदि क्षेत्रों में भी रात के वक्त ही सफाई होती है।
हर जगह थूकना भी महँगा पड़ा
शहर में हर जगह थूकना भी महँगा पड़ा, लोगों की आदत है िक पान और गुटखा खाकर सड़क, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, शौचालय, पार्क, सरकारी इमारत, अस्पताल, बस स्टॉप, फुटपाथ यहाँ तक कि डिवाइडरों पर भी थूकते हैं। सर्वेक्षण टीम ने जब यह देखा तो इसकी माइनस मार्किंग हुई और शहर 17वें नम्बर पर आया।
भारी पड़ गई डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था
नगर निगम की रैंकिंग में जिस प्रकार स्टार रेटिंग ने बड़ी मुसीबत पैदा की उसी प्रकार डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था का सही न होना भी बहुत भारी पड़ा। इस व्यवस्था को वर्ष 2016 से लागू किया गया था और यह उसी समय से फेल चल रही है, लेकिन आज तक उसका कोई सुधार नहीं किया गया। अधिकांश लोगों ने इस व्यवस्था की शिकायत की थी।
Created On :   22 Aug 2020 1:47 PM IST