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स्मार्टफोन से दूर हैं 90 फीसदी कैदियों के परिवार, वीडियो कॉल की सुविधा इनके लिए बेकार
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। डिजिटल युग में आज भी कई कैदियों के परिवार स्मार्ट फोन से वंचित हैं। स्मार्ट फोन न होने के कारण सरकार की वीडियो काल की सुविधा इनके बेकार ही है। महिला कैदी और खुली जेल के कैदी अपने परिजनों व रिश्तेदारों से वीडियो कॉल पर बातचीत कर सकें, यह सुविधा राज्य की सभी खुली जेलों में उपलब्ध कराई गई है। नागपुर सेंट्रल जेल में महिला जेल व खुली जेल में यह सुविधा करीब सवा साल पहले शुरू की गई है, लेकिन आज स्थिति कुछ और ही है। इन कैदियों में से करीब 90 फीसदी के परिजनों के पास स्मार्ट मोबाइल फोन नहीं है। इसलिए ऐसे कैदी क्वाइन बॉक्स के माध्यम से ही परिजनों से बातचीत करके तसल्ली कर लेते हैं। 10 फीसदी कैदी ही वीडियो कॉल पर परिजनों का चेहरा देख पाते हैं।
महीने में सिर्फ 2 बार बात
सूत्र बताते हैं कि चाहे क्वाइन बॉक्स की सुविधा हो या फिर वीडियो कॉल की। कैदी अपने परिजनों से सिर्फ 5 मिनट ही बात कर सकते हैं। हर महीने में इन कैदियों को दो बार अपने परिजनों व रिश्तेदारों से 5-5 मिनट बात करने का मौका मिलता है। नागपुर की सेंट्रल जेल में कैदियों की क्षमता 2 हजार से अधिक की बनी रहती है। इसमें महिला व पुरुष कैदी शामिल हैं।
देश में पहली सुविधा
सूत्र यह भी बताते हैं कि खुली जेलों से वीडियो कॉल की सुविधा देश में अपनी तरह की पहली पहल है। इस सेवा के इस्तेमाल के लिए पांच रुपए का भुगतान करना पड़ता है। ‘पुणे के येरवडा स्थित केन्द्रीय कारागृह में इसे प्रायोगिक आधार पर शुरू किया गया था। अब इसे समूचे राज्य में महिला जेलों और खुली जेलों में शुरू कर दिया गया है। वीडियो कॉलिंग सुविधा के माध्यम से कैदी सुबह 10 से शाम 4 बजे कैदी बंदी होने के पहले नियत दिन विभाग में पंजीकृत मोबाइल फोन नंबरों पर पांच मिनट तक अपने परिवार और सगे-संबंधियों से बात कर सकते हैं।
कैदी कल्याण कोष से खरीदा गया है स्मार्टफोन
वीडियो कॉलिंग सुविधा के लिए स्मार्टफोन के इस्तेमाल से कैदी और उनके परिवार के लोग आमने-सामने बात कर सकते हैं। जिन स्मार्टफोन का उपयोग कैदी करते हैं, उसे कैदी कल्याण कोष से खरीदे जाने की जानकारी सूत्रों ने दी है।
Created On :   17 April 2019 1:47 PM IST