क्या हुआ जब 12 अगस्त को नागपुर में भड़की अगस्त क्रांति की चिंगारी, जानिए वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. शर्फुद्दीन साहिल से

A big movement, organized before the independence of history, began on August 12 in Nagpur August Revolution
क्या हुआ जब 12 अगस्त को नागपुर में भड़की अगस्त क्रांति की चिंगारी, जानिए वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. शर्फुद्दीन साहिल से
क्या हुआ जब 12 अगस्त को नागपुर में भड़की अगस्त क्रांति की चिंगारी, जानिए वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. शर्फुद्दीन साहिल से

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर के वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. शर्फुद्दीन साहिल का कहना है कि अगस्त क्रांति का दिन 9 अगस्त को भले ही माना जाता हो, लेकिन इसकी चिंगारी नागपुर में पहुंचने में समय लग गया। नागपुर में अगस्त क्रांति का असर 12 अगस्त को दिखना शुरू हुआ। 8 अगस्त को मुंबई में ऑल इंडिया कांग्रेस की बैठक के बाद कांग्रेस के सभी बड़े शीर्ष नेताओं को कैद कर लिया गया था। भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पास होने से अंग्रेजों ने नेताओं को कैद कर लिया, जिससे यह आंदोलन विफल किया जा सके। नेताओं की गिरफ्तारी के बाद आंदोलनों का दौर शुरू हो गया और देश के नागरिकों ने आज़ादी की लड़ाई लड़ीं। 

बिना नेता के हुए जनांदोलन  

डॉ. साहिल कहते हैं कि नागपुर में हुए आंदोलन को किसी नेता या नेतृत्व की जरूरत नहीं थी। यहां के लोग खुद ही घरों से निकल कर बाहर अंग्रेजों से लड़ने आ गए थे। किसी भी नेता का नेतृत्व यहां नहीं था। यह किसी व्यापक जनांदोलन की तरह था, जिसमें लोगों ने खुद आगे बढ़कर अपनी आहुतियां दीं। 

पुलिस थाने और पोस्टआफिस थे निशाने पर

नागपुर में पहला आंदोलन 12 अगस्त 1942 को हुआ था। इसके बाद आंदोलनों का दौर शुरू हो गया और शहर में कई पुलिस चौकियां आंदोलनकारियों के निशाने पर रहीं। पोस्टऑफिसों पर भी हमले हुए, उन्हें लूटा गया। शायद ही शहर के प्रमुख स्थलों का ऐसा कोई कोना रहा होगा, जहां आंदोलनकारियों की चहलकदमी न रही हो। आंदोलन के समय सारी गतिविधियों का केंद्र मध्य नागपुर हुआ और मसलन महल, मोमिनपुरा, गांधीबाग, नमाजपुरा, गोलीबार चौक, भालदारपुरा, इतवारी, बड़कस चौक आदि कई इलाके रहे, जहां रोज आंदोलन होते थे। इस आन्दोलन के दौरान मोमिनपुरा पुलिस थाना और नवाबपुरा पुलिस थाना को आग के हवाले कर दिया गया था। 

100 शहीद, सभी नौजवान

इस आंदोलन के उग्र रूप लेते ही अंग्रेजों ने आंदोलनकारियों पर गोलियां बरसानी शुरू कीं। डॉ. साहिल ने बताया कि हमारे रिकार्ड के अनुसार 12 से 18 अगस्त के दौरान विभिन्न प्रदर्शनों में शहर के भीतर ही करीब 80 आंदोलनकारी शहीद हो गए थे। प्रदर्शन की आग केवल नागपुर ही नहीं, नागपुर के कई ग्रामीण इलाकों तक फैल चुकी थी। इसमें रामटेक, तुमसर, चांदा, वर्धा समेत कई जगहों पर आंदोलन किया गया। यहां भी 20 के करीब आंदोलनकारी शहीद हुए थे। लिहाजा सूबे में आंदोलन के दौरान करीब 100 प्रदर्शनकारी शहीद हो गए और शहीदों की उम्र महज 18 से 22 के बीच थी। 

Created On :   9 Aug 2017 11:38 AM GMT

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