शिक्षा विभाग के अनुदान वितरण में 2 करोड़ 95 लाख रुपए का घोटाला

A fraud found in the distribution of subsidy of 2.95 lakh rupees
शिक्षा विभाग के अनुदान वितरण में 2 करोड़ 95 लाख रुपए का घोटाला
शिक्षा विभाग के अनुदान वितरण में 2 करोड़ 95 लाख रुपए का घोटाला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूलों को अनुदान वितरण में 2 करोड़, 95 लाख 36 हजार 882 रुपए का घोटाला सामने आया है। इस प्रकरण में शिक्षण संचालक से लेकर जिला परिषद शिक्षाधिकारी तथा वेतन पथक के अधिकारी, कोषागार अधीक्षक, संबंधित संस्था चालक व मुख्याध्यापकों के खिलाफ अनुशासनभंग एवं फौजदारी कार्रवाई करने की सिफारिश शिक्षण आयुक्त ने जुलाई 2017 में की थी। सरकारी लेटलतीफी के चलते कार्रवाई ठंडे बस्ते में चले जाने से आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा इस प्रकरण में लिप्त 38 लोगों के खिलाफ आर्थिक गुनाह शाखा में शिकायत करने से जिला परिषद में हड़कंप मच गया है।

12 स्कूलों में अनुदान वितरण घोटाला
सूचना का अधिकार अंतर्गत मिली जानकारी में शहर की 12 स्कूलों में अनुदान वितरण घोटाले का राज उजागर हुआ है। शिक्षा विभाग ने सन 2012 में शासनादेश जारी किया था, इसमें पात्र स्कूलों को अगले आदेश के बाद अनुदान देने के निर्देश दिए थे। इसके बाद अनुदान वितरण के लिए सितंबर 2016 में शासनादेश जारी किया गया। हैरत इस बात की है कि शहर की 12 स्कूलों को वर्ष 2014 से अनुदान भुगतान किया गया।

इसमें भी एक और कारनामा यह किया गया कि सीधे 60 प्रतिशत से अनुदान शुरू किया गया, जबकि शुरुआत में 20 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। इसके बाद स्कूल की प्रगति के आधार पर 20-20 प्रतिशत अनुदान बढ़ाया जाता है। नियमों को ताक पर रखकर 2 साल में 2 करोड़, 95 लाख 36 हजार 882 रुपए की चपत सरकार को लगाई गई है। इस घोटाले को अंजाम देने के लिए शासनादेश के साथ छेड़छाड़ किए जाने का प्राप्त दस्तावेजों में खुलासा हुआ है।

आर्थिक घोटाले में 38 लोग दोषी
अनुदान वितरण में घोटाले की शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता विजय गुप्ता ने शिक्षण आयुक्त से की थी। शिकायत के आधार पर आयुक्त ने शिक्षण उपसंचालक कार्यालय में लेखा अधिकारी पीजी काले से प्राथमिक जांच कराई। वित्तीय धांधली पाए जाने से मामला वित्त विभाग को सौंपा गया। वित्त विभाग के प्रधान सचिव ने शालेय व क्रीड़ा विभाग को जांच के आदेश दिए। शिक्षण आयुक्त के मार्गदर्शन में 7 सदस्यों की समिति गठित कर जांच कराई गई। 21 से 23 जुलाई 2017 को समिति ने जांच कर पूरी की।

जांच रिपोर्ट में तत्कालीन प्राथमिक शिक्षण संचालक, प्राथमिक शिक्षणाधिकारी एसआर नैताम, प्रभारी शिक्षणाधिकारी ललित रामटेके, केटी देशमुख, तत्कालीन अधीक्षक सीएस वैद्य, केआर दुर्गे, वेतन व भविष्य निर्वाहन निधि पथक के तत्कालीन अधीक्षक, स्कूल के संचालक, मुख्याध्यापक, जिला कोषागार कार्यालय अधीक्षक आदि 36 लोगों को दोषी ठहराया गया। उनके खिलाफ अनुशासनभंग तथा फौजदारी कार्रवाई करने की सिफारिश की गई।

संस्था चालकों को बचाने राजनीतिक दबाव
अनुदान वितरण घोटाले में लिप्त स्कूलों में एक स्थानीय विधायक की स्कूल का समावेश है। संस्था चालकों को बचाने के लिए स्थानीय विधायकों द्वारा मुंबई में दबाव बनाए जाने से कार्रवाई ठंडे बस्तें में चली गई है।

घोटाले में लिप्त स्कूल
भवानी माता उच्च प्राथमिक स्कूल (भरतवाड़ा), एनएसवीएम फूलवारी प्राथमिक मराठी स्कूल (वैशाली नगर), एनएसवीएम फूलवारी प्राथ. हिंदी स्कूल (वैशाली नगर), संत गीता माता प्राथमिक स्कूल (भरतवाड़ा), मां भवानी हिंदी प्राथमिक स्कूल, स्व. शामरावजी देशमुख प्राथमिक स्कूल (हिंगना), कश्मीर विद्या मंदिर (विनोबा भावे नगर), गुरुप्रसाद प्राथमिक स्कूल (वाड़ी), शांतिनिकेतन प्राथमिक स्कूल (राजीव नगर), अमित उच्च प्राथमिक स्कूल (नरसाला), श्रीमती भगवतीदेवी चौधरी स्कूल (सोनेगांव), गजानन प्रसाद उच्च प्राथमिक स्कूल (सर्वश्रीनगर) का समावेश है। 

43 पद मंजूर 50 पद भर्ती
अनुदान घोटाले में लिप्त 12 स्कूलाें में शिक्षकों के 43 पदों को सरकार से मंजूरी दी गई है। इसमें भी नियमों को धता बताकर 50 पदों पर शिक्षकों की भर्ती की गई। भर्ती प्रक्रिया में डोनेशन के नाम पर लाखों रुपए वसूल किए जाने की सूत्रों से जानकारी मिली है।

मेरी कोई भूमिका नहीं
वर्ष 2016 से अनुदान वितरण का आदेश था, परंतु सन 2014 से अनुदान दिया गया। मेरे पदभार संभालने से पहले यह शुरू हुआ था। इसमे मेरी कोई भूमिका नहीं है। 
दीपेंद्र लोखंडे, पूर्व शिक्षणाधिकारी (प्राथमिक)

कोई कार्रवाई नहीं हुई

12 स्कूलों में अनुदान वितरण घोटाले की शिकायत पर जुलाई 2017 में आरोप सिद्ध हुए। इसमें लिप्त तत्कालीन शिक्षण संचालक, शिक्षणाधकारी, कोषागार अधीक्षक, वेतन पथक अधीक्षक, संस्था चालक तथा मुख्याध्यापक कुल 38 लोगों के खिलाफ अनुशासनभंग तथा फौजदारी कारवाई की शिक्षण आयुक्त ने सिफारिश की थी। एक साल बीत जाने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। आखिरकार मैंने वित्तीय अपराधा शाखा पुलिस में संबंधित दोषी के खिलाफ शिकायत की है।
विजय गुप्ता, आरटीआई कार्यकर्ता
 

Created On :   29 Jun 2018 1:15 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story