भारत के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समग्र दृष्टिकोण की जरूरत है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय भारत के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समग्र दृष्टिकोण की जरूरत हैः श्री हरदीप सिंह पुरी गृह भवनों का पारिस्थितिकी तंत्र प्रेरक व्यवहार परिवर्तन में निरन्तरता और स्वच्छता का पोषक है वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को संतुलित करना शहरों की एक बड़ी जिम्मेदारी है 12वें गृह शिखर सम्मेलन का उद्घाटन सम्पन्न आवास और शहरी मामले मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत के विकास लक्ष्यों को हासिल करने, इसकी निरन्तरता बनाए रखते हुए तथा इनके बीच संतुलन कायम रखने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है। नई दिल्ली में आज 12वें गृह (जीआरआईएचए) वर्चुअल शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में श्री पुरी ने कहा कि जब कोई व्यक्ति जीआरआईएचए प्रमाणित भवन में प्रवेश करता है, तो उसे वास्तुशिल्प डिजाइन के पीछे सम्मान, समझ और प्रेरणा की एक मजबूत भावना महसूस होती है। उन्होंने कहा कि इन इमारतों का पारिस्थितिकी तंत्र और स्वच्छता, व्यवहार परिवर्तन का पोषक है। 12वें गृह वर्चुअल समिट का विषय है – ‘कायाकल्प करने वाली लचीली आदतें’। उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू ने गृह परिषद और महाराष्ट्र सरकार के लोक निर्माण विभाग के बीच व्यापक सहयोग का दस्तावेजीकरण करते हुए, इस आयोजन के दौरान ‘शाश्वत’ पत्रिका और पुस्तक "30 स्टोरीज बियॉन्ड बिल्डिंग्स" का विमोचन किया। वर्चुअल शिखर सम्मेलन में गृह परिषद के अध्यक्ष और टीईआरआई के महानिदेशक डॉ. अजय माथुर तथा अन्य प्रतिभागी उपस्थित थे। श्री पुरी ने सभी संबंधित हितधारकों के साथ वर्चुअल शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए एकीकृत आवास मूल्यांकन (गृह) परिषद के लिए ग्रीन रेटिंग की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित विचार-विमर्श से ज्ञान साझा किया जा सकेगा और देश भर में हरित और स्थायी आवास के विकास को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है, जो हमारे राष्ट्र और हमारी पृथ्वी के लिए आवश्यक है। बढ़ते शहरीकरण के बारे में श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि शहरी बुनियादी ढांचे को हमारे नागरिकों को आवश्यक सेवाएं प्रदान करनी चाहिए, साथ ही जनसांख्यिकीय बदलाव की तीव्रता से निपटने में सक्षम होना चाहिए। श्री पुरी ने कहा कि वर्तमान की जरूरतों और भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं के बीच एक स्थायी संतुलन कायम करना, संतुलन बनाए रखना और पर्यावरण पर बढ़ते शहरीकरण के प्रतिकूल प्रभावों को कम करना हमारे शहरों की एक बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “महामारी की इस अवधि ने यह साबित कर दिया है कि हमारे शहरों के विश्व स्तरीय स्मार्ट बुनियादी ढांचे किस प्रकार अप्रत्याशित बाहरी संकट का समाधान करने में हमारी मदद कर सकते हैं। सरकार ने आवास और अचल संपत्ति क्षेत्र में निर्माण प्रौद्योगिकी सुधारों को अपनाने के लिए कई उपाय किए हैं। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने जनवरी 2019 में ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज इंडिया (जीएचटीसी-इंडिया) का आयोजन किया था, जिसका उद्देश्य सर्वोत्तम उपलब्ध और सिद्ध निर्माण तकनीकों की पहचान करना और मुख्यधारा बनाना है, जो आवास निर्माण में प्रतिमान बदलाव को सक्षम करने के लिए टिकाऊ, हरित और आपदा-प्रतिरोधी हैं”। उन्होंने कहा कि निर्माण प्रौद्योगिकी वर्ष (2019-2020) के हिस्से के रूप में, 54 सिद्ध प्रौद्योगिकियों से 6 नवीन तकनीकों का चयन किया गया है, जिन्होंने 6 लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स (एलएचपी) के निर्माण के लिए जीएचटीसी-इंडिया में भाग लिया था। उन्होंने कहा कि इंदौर (मध्य प्रदेश), राजकोट (गुजरात), चेन्नई (तमिलनाडु), रांची (झारखंड), अगरतला (त्रिपुरा) और लखनऊ (उत्तर प्रदेश) छह अलग-अलग तकनीकी क्षेत्रों में प्रत्येक जगह पर लगभग 1,000 घर संबद्ध बुनियादी सुविधाओं के साथ बनाए जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि अफोर्डेबल सस्टेनेबल हाउसिंग एक्सेलेरेटर्स - इंडिया (आशा- इंडिया) पहल के माध्यम से, संसाधन-कुशल, लचीला और टिकाऊ निर्माण के लिए नवीन सामग्रियों, प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकी की पहचान के लिए पांच इन्क्यूबेशन केंद्र स्थापित किए गए हैं। भारत में संसाधन की उपलब्धता के बारे में श्री पुरी ने कहा कि भारत के पास समुद्र तट और नदियों की कोई कमी नहीं है, लेकिन भारत को पानी के पुनर्चक्रण, पुन: उपयोग और उपचार के लिए एक बहुत व्यापक रणनीति की आवश्यकता है।
Created On :   16 Dec 2020 1:14 PM IST