ओडिसा से लाकर मां ने 12 साल की बेटी को 1500 में बेचा, फिर भी रास्ते पर भीख मांग रही

A Mother sold her 12 year old daughter in 1500 rupees in Nagpur
ओडिसा से लाकर मां ने 12 साल की बेटी को 1500 में बेचा, फिर भी रास्ते पर भीख मांग रही
ओडिसा से लाकर मां ने 12 साल की बेटी को 1500 में बेचा, फिर भी रास्ते पर भीख मांग रही

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिस मां ने जन्म दिया उसी मां ने 12 साल की बेटी को ओडिशा से लाकर नागपुर में सिर्फ 1500 रुपए में बेच दिया। मां ने बेटी काजल (परिवर्तित नाम) की 28 साल के युवक से शादी करा दी। शादी के करीब एक साल बाद युवक किशोरी को छोड़कर भाग गया। कॉटन मार्केट में चौराहे पर भीख मांगने वाली इस लड़की को ट्विंकल फाउंडेशन के कुछ युवा कार्यकर्ताओं ने मुक्त कराया। इसे एक टेंट के अंदर रखकर उससे भीख मंगवाई जाती थी। सीताबर्डी पुलिस की मदद से रेस्क्यू कर उसे छुड़ाया गया है। देर रात गणेशपेठ पुलिस मामले की छानबीन कर रही थी। उसका मेडिकल टेस्ट भी कराया जाएगा। 

खामोश रही बहन
मिली जानकारी के अनुसार काजल जिस टेंट में थी, वहां कई लोग हैं, जो नागपुर में अपने ठिकाने बदलते रहते हैं और भीख मांगकर गुजर-बसर करते हैं। ट्विंकल फाउंडेशन के संस्थापक व अध्यक्ष यश गौरखेडे ने बताया कि इस संगठन से 17 से 22 साल वाले युवा जुड़े हैं। सीताबर्डी के वरिष्ठ थानेदार हेमंत खराबे के मार्गदर्शन में यह संगठन 18 माह में 150 से ज्यादा रेस्क्यू कर 115 बच्चों को जीवनदान दे चुका है। इन्हीं बच्चों में से काजल भी एक है। काजल की तीन बहनें हैं। वह कहती हैं कि जब उसे यह पता चला कि उसकी मां ने उसे 1500 रुपए में बेच दिया, तब उसे मां पर बहुत गुस्सा आया था, लेकिन वह मां की मजबूरी को समझकर खामोश रह गई।

यश गौरखेडे़ ने बताया कि वह अपनी कहानी ऑन कैमरा बता चुकी है। काजल अब अपनी तीनों छोटी बहनों के लिए परेशान है कि कहीं उनके साथ भी ऐसा न हुआ हो। काजल को ट्विंकल फाउंडेशन के अध्यक्ष यश गौरखेडे, संगठन की सीईओ बरखा पटनायक, उपाध्यक्ष साईं शर्मा, दानिश पटेल, वैभव घरडे, प्रथम सिंह तनवी शाह ने मुक्त कराया। उसे गणेशपेठ थाने में भेजा गया है। वहां से काटोल रोड पर महिला सुधारगृह में भेजा जाएगा। 

सड़कों पर भीख मांगकर करती है गुजर-बसर
काजल की मां भी नागपुर की सड़कों पर भीख मांगती है। वह अलग खेमे में रहती है। 12 साल की बेटी काजल को बेचने के बाद वह अलग खेमे में रहने चली गई। उसे ओडिशा से लाकर नागपुर में बेचा गया। पति के जाने के बाद मां के साथ फिर से नागपुर की सड़कों पर भीख मांगकर गुजर-बसर करने लगी थी। गौरखेडे का कहना है कि अगर हम ऐसे लोगों की मदद नहीं करेंगे, तो यह अपनी पहचान खो देंगे और इनकी जिंदगी और बदतर हो जाएगी। उन्हें शादी करने और दास बनने की परंपरा से मुक्ति दिलाना जरूरी है।  

Created On :   17 Aug 2018 11:36 AM IST

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