कब्र नहीं कोख : शार्ट फिल्म में दिखी मां की व्यथा

A short film for awareness which shows the condition of mother
कब्र नहीं कोख : शार्ट फिल्म में दिखी मां की व्यथा
कब्र नहीं कोख : शार्ट फिल्म में दिखी मां की व्यथा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एक औरत जब मां बनने वाली होती है तब सिर्फ उसे अपने बच्चे का ख्याल रहता है उसे इस बात से मतलब नहीं रहता है कि वो लड़का है या लड़की। लेकिन जब उसकी कोख में बच्ची होती है तो कैसे उसके ससुराल वालों का रवैया बदल जाता है इसी पर मूवी बनाई है शहर की कमलजीत कौर ने। वे स्वयं मां हैं और समझ सकती हैं एक मां की व्यथा। उन्होंने "कोख रक्षा या परीक्षा", "कब्र नहीं कोख" शॉर्ट फिल्म बनाई है। फिल्म 6 मिनट की है। एक ऐसी फिल्म जो आज के दौर पर खरी उतरती दिखती है, आज बेटियों की जो दशा है, वो किसी से छुपी नहीं है। 

सामाजिक जागरूकता वाली फिल्में बनाती हैं 
फिल्म डायरेक्टर कमलजीत हैं। वो शॉर्ट फिल्म की निर्देशक हैं, और कई बेहतरीन फिल्मों का निर्माण कर चुके हैं। सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, बालिकाओं को बचाने कई मूवीज बना चुकी हैं। उन्हें राष्ट्रीय स्तरीय पुरस्कार मिल चुके हैं। वे कई बॉलीवुड सितारे, समीर धर्माधिकारी, लुईस लेविस  के साथ काम कर चुकी हैं। अपनी फिल्मों के माध्यम से वह सामाजिक जागरूकता फैलाने काम कर रही हैं। वे कैंसर रोगियों पर शोध कर चुकी हैं। डॉ. कमलजीत ऑरेंज सिटी हॉस्पिटल में कार्यरत हैं।  

हकीकत बयान करती है शार्ट फिल्म 
फिल्म मेकर कमलजीत कौर के मुताबिक भारत एक ऐसा देश है जो अपनी संस्कृति, अपने रीति रिवाजों के लिए जाना जाता है। यह वह देश है जहां देश को भारत माता  कहा जाता है। यानी कि देश को अपनी मां के समान समझा जाता है। आज हमारा देश हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है, लेकिन महिलाओं को सम्मान देने के मामले में यह आज भी पीछे है। आज भी हमारे देश में पुरुषों को हर क्षेत्र में महिलाओं से बेहतर समझा जाता है। बहुत ही कम  मां-बाप  ऐसे होते हैं जो बेटी के जन्म पर खुश होते हैं।  बहुत से लोग तो पूजा-पाठ, व्रत आदि भी इसीलिए करते हैं कि उन्हें पुत्र की प्राप्ति हो। यहां तक कि लोग तो जन्म से पहले लिंग जांच करवाने से भी पीछे नहीं हटते।

समाज का असली क्रूर चेहरा तो तब सामने आता है जब उन्हें यह पता चलता है कि उनके घर लड़का नहीं लड़की पैदा होने वाली है। ऐसे वक्त में हमारे समाज के लोग अपनी ही संतान के हत्यारे बनने से भी पीछे नहीं हटते। हम और हमारा समाज कब ये बात समझेगा कि नारी सम्मान के लिए है, उसके साथ इस तरह का व्यहवार न करें, वरना वो दिन दूर नहीं जब प्रलय का सामना करना पड़ेगा। आज के दौर के मुंह पर तमाचा मारती ये फिल्म, आज की हकीकत बयान करती है।

Created On :   13 May 2018 12:33 PM GMT

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