पन्ना में एक ऐसा मंदिर जहां प्रत्येक वर्ष में एक बार प्रसाद के रूप में दिया जाता है शरबत

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
पन्ना पन्ना में एक ऐसा मंदिर जहां प्रत्येक वर्ष में एक बार प्रसाद के रूप में दिया जाता है शरबत

डिजिटल डेस्क, पन्ना। पन्ना में एक ऐसा मंदिर भी है जहां वर्ष में एक बार श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में स्वादिष्ट शरबत दिया जाता है। वह भी श्रद्धालुओं की इच्छा अनुसार चाहे वह जितना शरबत ले। नगर के धाम मोहल्ला स्थित श्री बाईजूराज महारानी जी मंदिर में वैशाख शुक्ल अष्टमी अन्तर्धान की तिथि के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन श्रद्धालु सुंदर साहब के द्वारा निर्जला व्रत रखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। परंपरानुसार शरबत का भोग श्री श्यामाजी महारानी जी को अर्पित कर फिर सभी निर्जला व्रत श्रद्घालु सुन्दरसाथ व उपस्थित सभी श्रद्घालु सुंदरसाथ को प्रसाद के रूप में मीठा शरबत जो कि शक्कर व काली मिर्च के मिश्रण से बनाया जाता है उसी को वितरित किया जाता है।

सोमवार वैशाख शुक्ल अष्टमी अन्तर्धान की तिथि पर पन्ना के प्रसिद्ध बाईजू राज महारानी जी के मंदिर में दोपहर 12 बजे से प्रणामी समाज के सैकडों सुन्दरसाथ जिसमे महिलाएं, पुरुष, बच्चों के साथ-साथ श्री 108 प्राणनाथ जी मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी, न्यासी सभी पहुंचते हैं। इसके साथ प्रणामी धर्म के अनुयायी जो पूरे देश में फैले हुए हैं। उनमें से कुछ अनुयायी भी इस दिवस को मनाने पन्ना जी पहुंचते हैं। अन्तर्धान दिवस मनाने मंदिर पहुंचे समस्त श्रद्घालु सुन्दरसाथ श्री श्यामजी की कृपा को बार-बार स्मरण करते हैं व श्यामा जी महारानी जी के मंदिर में करूण रस में विरह के भजन गाए जाते हैं। विरह के भजन के गायन के पश्चात दोपहर लगभग 2 बजे मीठे शरबत को चरणामृत के रूप में भरपूर बांटते हैं। जिस प्रसाद को पाकर सुन्दरसाथ अपना निर्जला व्रत पूरा करते हैं। उनके अन्तर्धान की तिथि को निर्जला व्रत रखने की परम्परा का परिपालन करते हैं। कुछ श्रद्घालु आज के दिन मौन व्रत भी रखते हैं।

भीषण गर्मी में भी सैकडों की संख्या में उपस्थित रहे श्रद्घालु-

श्री बाईजूराज महारानी जी के मंदिर में आज अन्तर्धान की तिथि वैशाख शुक्ल अष्टमी पर भीषण गर्मी के बावजूद भी सैकडों की संख्या में श्रद्घालुओ ने पहुचकर सदियो पुरानी परम्परा का निर्वहन करते हुए पाठ.पूजन कर धर्मलाभ लिया। आज के दिन अधिकांश श्रद्धालु सफेद रंग के वस्त्र पहनकर मंदिर आते हैं वही बाईजू राज महारानी का भी सिंगार आज के दिन सफेद पोशाग से  किया जाता है।
मंदिर में आज के दिन चढाईं जाती है शक्कर व कालीमिर्च-
मंदिर में प्रसाद के रूप में वितरित किए जाने वाले शरबत में सभी श्रद्घालुओ का योगदान रहता है। आज जितने भी श्रद्घालु मंदिर पहुंचते हैं वह अपने साथ शक्कर व कालीमिर्च लेकर जाते हैं और श्री श्यामाजी के सामने अर्पित कर लगभग 400 वर्ष पुरानी इस परम्परा में अपना सहयोग देते हैं। आज के दिन मंदिर में लगभग एक से दो क्विंटल शक्कर का शरबत बनता है जो कि मंदिर प्रांगण में स्थित कुएं के स्वच्छ जल से बनाया जाता है। जिसमे काली मिर्च पीसकर डाली जाती है तो उसका स्वाद लाजवाब हो जाता है। वर्ष में एक बार श्री बाईजूराज मंदिर में बंटने वाले इस शरबत में इतना स्वाद होता है कि श्रद्घालु भी जी भरके शरबत पीते है।
 

Created On :   9 May 2022 7:49 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story