जुड़वा बच्चों को जन्म देने के बाद डाक्टरों की लापरवाही से हुई महिला की मौत, लगा 26 लाख का जुर्माना

A woman died after delivery of twins due to negligence of doctor
जुड़वा बच्चों को जन्म देने के बाद डाक्टरों की लापरवाही से हुई महिला की मौत, लगा 26 लाख का जुर्माना
जुड़वा बच्चों को जन्म देने के बाद डाक्टरों की लापरवाही से हुई महिला की मौत, लगा 26 लाख का जुर्माना

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  डाक्टरों की लापरवाही से एक प्रसूता की मौत के मामले में राज्य ग्राहक शिकायत निवारण आयोग ने मृतक के परिजनों को 26 लाख 25 हजार रुपए नुकसान भरपाई देने के आदेश दिए हैं।  दो जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली प्रणिता आमोदकर की डाक्टरों की लापरवाही से जुलाई 2017 में मौत हो गई थी। चिकित्सकों के नाम डॉ. विद्या सुतावणे, डॉ. भूषण सुतावणे, मिडास अस्पताल के डॉ. राजन बारेकर और डॉ. मनीषा काटे हैं। मृतक के परिजनों को हुई क्षति के लिए 25 लाख रुपए और शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के हर्जाने के लिए 1 लाख रुपए और मुकदमे के खर्च स्वरूप 25 हजार रुपए अदा करने के आदेश दिए गए हैं।  

यह है मामला 
परिजनों द्वारा दायर शिकायत के अनुसार प्रणिता जब गर्भवती थी तो उनका जलगांव के एक चिकित्सक के पास चेक अप चल रहा था। 7वें माह के बाद वे अपने मायके नागपुर आ गई। पेरेंट्स उन्हें चेक अप के लिए डॉ. सुतावणे के अस्पताल ले गए। जहां चिकित्सक ने उनका परीक्षण करने के बाद उन्हें कुछ टेस्ट बताए। 16 जुलाई 2017 को सुबह 6 बजे के करीब उन्हें अस्पताल में भर्ती कर लिया गया। चिकित्सक ने सिजेरिएन डिलिवरी करने का निर्णय लिया। सुबह 9 बजे उनका ऑपरेशन शुरू हुआ। प्रणिता ने एक लड़के और एक लड़की को जन्म दिया। दोनों बच्चों का वजन कम होने के कारण उन्हें इनक्यूबेटर में रखा गया।

डिलिवरी के बाद प्रणिता दो घंटे तक बेहोश रही। जब उन्हें जरा होश आया तो पास मौजूद अपनी मां से उन्होंने सांस लेने में परेशानी का जिक्र किया। मां ने फौरन डॉ. विद्या सुतावणे को फोन कर इसकी जानकारी दी। चिकित्सक ने उन्हें नींद लेने की सलाह दी। इसके बाद प्रणिता सांस में तकलीफ, पेट में दर्द और सब-कुछ धुंधला दिखाई देने की शिकायत करने लगी। याचिका के अनुसार चिकित्सक ने इन सब बातों को नजरअंदाज कर दिया और अस्पताल के बाहर का दौरा पूरा करने के बाद मरीज को देखने की तैयारी दिखाई। तब तक प्रणिता दर्द से कहराती रही, लेकिन शाम 6 बजे तक किसी चिकित्सक ने उनकी सुध नहीं ली। शाम 6 बजे डॉ. सुतावणे अस्पताल आई और उन्होंने प्रणिता का दोबारा परीक्षण किया।

परिजनों का दावा है कि चिकित्सक ने परिजनों को कमरे से बाहर निकाल दिया और अन्य चिकित्सकों को बुलाकर इलाज करने लगी। दो घंटे के बाद प्रणिता की स्थिति गंभीर बता कर डॉ. सुतावणे ने उन्हें दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करने को कहा। रात 10 बजे प्रणिता को मिडास अस्पताल में शिफ्ट किया गया, जहां उनका ऑपरेशन हुआ। 19 जुलाई को प्रणिता की मृत्यु हो गई। इससे आक्रोशित होकर उनके पति प्रमोद आमोदकर, बच्चे हेमांगी और हिमांशु आमोदकर और प्रणिता के पिता मधुकर अत्रवालकर ने चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाकर उनके खिलाफ यह मुकदमा दायर किया था। सभी पक्षों को सुनकर आयोग ने यह फैसला दिया है। शिकायतकर्ता की ओर से एड. विवेक केदार ने पक्ष रखा।


 

Created On :   28 Jun 2018 12:04 PM IST

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