जमीन की जंग भास्कर के संग: रियल एस्टेट कंपनी ने 800 लोगों के 6 करोड़ डकारे, न्याय की आस

About 800 victims of real estate fraud are in search of justice
जमीन की जंग भास्कर के संग: रियल एस्टेट कंपनी ने 800 लोगों के 6 करोड़ डकारे, न्याय की आस
जमीन की जंग भास्कर के संग: रियल एस्टेट कंपनी ने 800 लोगों के 6 करोड़ डकारे, न्याय की आस

लिमेश कुमार जंगम , नागपुर। शहरी सीमा से लगे खेतों के जमीन मालिकों को लाखों-करोड़ों का लालच दिखाया गया। जब वे राजी हुए तो कुछ रकम देकर जमीन का एग्रीमेंट कर लिया गया। इसके बाद, अधूरे दस्तावेजों के आधार पर उसी जमीन के अनेक प्लॉट बनाए गए। ‘सपनों के घर की कल्पना’ को बड़े-बड़े बोर्ड व बैनर्स के माध्यम से बेचा गया। फर्जी विज्ञापनों के जाल में फंसकर पहुंचने वाले सैकड़ों ग्राहकों को चंद दस्तावेज व हरी-भरी घास वाले खेत की जमीन के प्लॉट दिखाए गए। फिर शुरू हो गया किस्तों में करोड़ों रुपए बटोरने का खेल।

डेढ़ हजार से ज्यादा लोगों को ठगा गया। इसमें शिकायत करने वाले केवल 800 प्लॉटधारकों से 6 करोड़ की रकम वसूल की गई।  कुछ वर्ष बाद जब जमीन देने की बारी आई तो लैंड डेवलपर्स नदारद और ऑफिस गायब। मामला गृहलक्ष्मी कंस्ट्रक्शन एंड लैंड डेवलपर्स तथा पवनसुत रियल एस्टेट एंड लैंड डेवलपर्स का है। संबंधित डेवलपर्स से प्लॉट लेने के लिए लोग पिछले 13 सालों से लगातार संघर्ष कर रहे हैं। वे पुलिस, प्रशासन से लेकर कोर्ट-कचहरी तक भी गए, मगर न्याय नहीं मिला। यहां तक कि वर्ष 2014 में आर्थिक अपराध शाखा में भी मामला दर्ज हुआ।

पुलिस भी हक नहीं दिला पाई
आर्थिक अपराध शाखा ने पवनसुत व गृहलक्ष्मी डेवलपर्स के खिलाफ वर्ष 2014 में मामला दर्ज कर छापेमार कार्रवाई की थी। इन डेवलपर्स पर आरोप है कि इन्होंने एक ही जमीन को अनेक लोगों को बेचा था। इसके मुख्य आरोपी सुरेश बुरेवार गृहलक्ष्मी डेवलपर्स के मालिक हैं। उनके भाई संतोष बुरेवार ने पवनसुत रियल एस्टेट एंड डेवलपर्स के नाम से व्यवसाय की शुरुआत की थी। उनका देहांत हो चुका है, जबकि इस व्यवसाय में सुरेश व संतोष बुरेवार बंधु पार्टनर थे। इन्होंने मिलकर अनेक स्थानों पर जमीनें खरीदी थीं। पश्चात इसके प्लॉट बनाकर करीब डेढ़ हजार लोगों को बेच दिया, जिसमें अनेक प्रकार की गड़बड़ियां किए जाने का आरोप है। इसकी शिकायत आर्थिक अपराध शाखा में भी दर्ज करवाई गई। गंभीरता से जांच कर कार्रवाई के आदेश तत्कालीन पुलिस आयुक्त को देना पड़ा। पश्चात छत्रपति चौक स्थित  पवनसुत एवं सेंट्रल एवेन्यू स्थित गृहलक्ष्मी के कार्यालयों के अलावा सुरेश बुरेवार के मनीष नगर में मौजूद मकान पर एक ही समय में छापामार कार्रवाई की गई। इस समय अनेक दस्तावेज जब्त किए गए, लेकिन पीड़ितों को आज तक उनके हिस्से की जमीन का मालिकाना हक नहीं मिला।

भाई की मौत के बाद मुकरा पार्टनर
पवनसुत रियल एस्टेट एंड लैंड डेवलपर्स नामक कंपनी में दो भाई पार्टनर थे। संतोष बुरेवार एवं सुरेश बुरेवार। वर्ष 2013 में अचानक दिल का दौरा पड़ने से संतोष की मौत हो गई। उसके बाद प्लॉटधारकों में अपने प्लॉट को लेकर चिंता होने लगी। शुरुआत में सुरेश बुरेवार ने सभी को प्लॉट देने का आश्वासन दिया, लेकिन वक्त बीतने के साथ ही वे मुकरने लगे। ठगे जाने का अहसास होते ही पहली एफआईआर महल निवासी वीजेंद्र गोजे ने मई 2014 में प्रताप नगर के थाने में दर्ज कराई। जब जमानत लेने की बारी आई तो सुरेश बुरेवार ने धोखाधड़ी का सारा आरोप मृतक भाई संतोष पर मढ़ दिया। सुरेश ने इस चालाकी से जमानत पा ली, लेकिन लोगों ने जागरूकता दिखाते हुए उनकी अपनी कंपनी गृहलक्ष्मी के खिलाफ वाड़ी निवासी मोहन घोरपड़े ने गणेशपेठ थाने में भी मामला दर्ज करा दिया। इसके बाद तो दोनों कंपनियों का फ्रॉड उजागर हो गया।

धोखाधड़ी का मामला 
वर्ष 2014 में जमीन से जुड़े इस मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा, क्राइम ब्रांच की ओर से की गई थी। इस दौरान तत्कालीन पुलिस निरीक्षक दिलीप फुलपगारे ने मामले की गहनता से जांच की थी। संबंधित आरोपियों के खिलाफ 255-14 अपराध क्रमांक में धोखाधड़ी की धाराएं दर्ज की गईं थीं। इसके बाद चार्जशीट तैयार कर मामले को न्यायालय में न्यायप्रविष्ट किया गया था। न्यायिक प्रक्रिया जारी है।
सचिव शिरके, सहायक पुलिस निरीक्षक, प्रताप नगर

प्रतिक्रिया
प्लाटधारकों का कहना है भले ही संचालक अभी कानूनी प्रक्रिया का हवाला देकर प्लॉट नहीं देने की बात कह रहे हों, यदि उनकी नीयत में खोट नहीं होती और सही तरीके से प्लॉट दे देते तो यह नौबत ही नहीं आती। जब हम थाने तक नहीं पहुंचे थे, तब क्यों नहीं प्लॉट दे दिए गए

Created On :   26 July 2018 8:46 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story