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हाईवोल्टेज तारों के पास नियम विरुद्ध निर्माणकार्य किया तो कटेगी बिजली, HC के हैं आदेश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने महावितरण और SNDL को आदेश दिए हैं कि अप्रैल माह से लेकर अब तक उन्होंने जितने भी निर्माणकार्यों में बिजली आपूर्ति की है, उनकी पड़ताल करें और कोई भी निर्माणकार्य हाईवोल्टेज तारों के 1.2 मीटर से कम किया गया हो तो उनकी बिजली आपूर्ति बंद कर दें। दरअसल, शहर में हाईवोल्टेज तारों के नजदीक निर्माणकार्य करने से होने वाले हादसों का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने स्वयं जनहित याचिका दायर कर रखी है।
इस मामले मे सुनवाई में SNDL बिजनेस हेड ने हाईकोर्ट में शपथ-पत्र प्रस्तुत किया। जिसमें कोर्ट को बताया गया है कि 5 अप्रैल 2018 से 18 जून 2018 तक उन्होंने 1443 नए कनेक्शन प्रदान किए हैं। इस दौरान उनकी ओर से यह सुनिश्चित किया गया कि कोई भी निर्माणकार्य हाईवोल्टेज तारों के 1.2 मीटर के नजदीक नहीं किया गया है। साथ ही कंपनी ने संबंधित अधिकारियों को इस प्रक्रिया पर नजर भी रखने के निर्देश दिए हैं।
यह है मामला
बीते दिनों सुगतनगर में दो जुड़वां भाइयों और हिंगना परिसर में पांच वर्षीय उमेश पांडे की मृत्यु जैसे हादसों ने शहर को हिलाकर रख दिया था। इसके बाद एक सर्वेक्षण में यह भी निकलकर आया कि शहर में कई ऐसे स्थान हैं, जो खतरनाक हैं। इसके बाद कथित तौर पर अवैध निर्माण करने वाले 2 हजार से अधिक नागरिकों को कोर्ट ने नोटिस जारी किया था। नियमों के मुताबिक 650 वोल्ट से अधिक और 33 हजार वोल्ट से कम बिजली अगर कहीं से गुजरे, तो उस इमारत और बिजली के तारों की ऊंचाई में 3.7 मीटर का अंतर जरूरी है। बिजली के तारों से घर की निर्धारित दूरी भी होना जरूरी है।
दरअसल, अपने 31 अगस्त 2017 के आदेश में हाईकोर्ट ने बगैर सर्टिफिकेट नए निर्माणकार्यों में बिजली आपूर्ति न करने के आदेश दिए थे। इसके बाद कोर्ट ने अपने फैसले में बदलाव किया और कुछ विशेष मामलों में छूट दी। झोपड़पट्टी के क्षेत्र, जहां से कोई हाईवोल्टेज लाइन नहीं गुजरती, जिन घरों और हाईवोल्टेज तारों के बीच निर्धारित दूरी रखी गई हो, मंजूर नक्शे के अनुसार बनाए गए घरों, नए ले-आउट जिनका नियमितीकरण विचाराधीन हो, सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए दिए जाने वाले अस्थाई कनेक्शन, खुले प्लॉट या मैदानों को कनेक्शन, ऐसे चुनिंदा मामलों में महावितरण बगैर ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट बिजली आपूर्ति शुरू करने की अनुमति दी गई थी। महावितरण ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर इस आदेश के बाद हो रही विविध परेशानियों पर कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया था। मामले में एड.श्रीरंग भंडारकर न्यायालयीन मित्र की भूमिका में हैं।
Created On :   28 Jun 2018 2:41 PM IST