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हॉस्टलों का होगा डिजिटाइजेशन, अब सीधे अधीक्षक के खाते में जाएगी राशी

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। हॉस्टलों में सप्लाई के नाम पर होने वाली दुकानदारी अब बंद होने वाली है। शासन जल्द ही जिले के छात्रावासों में नई व्यवस्था लागू करने जा रहा है। जिसके तहत जिले के छात्रावासों का डिजिटाइजेशन किया जाएगा। प्रयोग के तौर पर शुरुआत में ये नई व्यवस्था सिर्फ अनुसुचित जनजाति के छात्रावासों में लागू की जा रही है।
भोपाल में प्रशिक्षण
छात्रावासों की व्यवस्थाओं में बदलाव की तैयारी शुरु हो चुकी है। अब नई व्यवस्था के तहत हॉस्टल अधीक्षकों के डिजिटल सिग्नेचर तैयार किए जाएंगे। वहीं बैंक खाता भी हॉस्टल अधीक्षक के नाम पर होगा। इस नई व्यवस्था के तहत जो भी खरीदारी होगी वो डिजिटल तकनीक से ही की जाएगी। प्रयोग के तौर पर जिले के 91 छात्रावासों में ये व्यवस्था लागू की जा रही है। ये सभी छात्रावास एसटी केटेगरी के बच्चों के हैं। इस नई व्यवस्था को लागू करने के पहले भोपाल में प्रशिक्षण आयोजित किया गया हैं। इस प्रशिक्षण में नई व्यवस्था के तहत कैसे कार्य किया जाना है। इसकी तमाम जानकारी अफसरों को दी जाएगी।
अब तक क्या होता था...
- अब तक छात्रावासों में हॉस्टल और पालक समिति के संयुक्त हस्ताक्षर के माध्यम से खरीदी की जाती थी। जहां संघ नहीं होता था। अधीक्षक और हॉस्टल के एक बच्चे का संयुक्त खाता होता था।
- डिजिटल सिग्नेचर की नई व्यवस्था पहली बार लागू की जा रही है। इस नई व्यवस्था में हर अधीक्षक का अलग खाता खुलवाया गया है।
- पोर्टल में छात्रावास की तमाम जानकारी फीड रहेगी। इसके अलावा अधीक्षक के डिजिटल सिग्नेचर भी पोर्टल में अपलोड होंगे।
क्या होगा फायदा
- डिजिटाइजेशन से हॉस्टलों में होने वाली सप्लाई और सामग्री खरीदी की ऑनलाइन निगरानी आला अधिकारी रख सकेंगे।
- जो भी सामान खरीदा जाएगा या जिसका भुगतान होगा। उसमें भी गड़बड़ी की संभावनाएं कम हो जाएगी। जिससे बच्चों को अच्छी क्वालिटी के सामान मिल सकेंगे।
इनका कहना है
जिले में अनुसुचित जनजाति के छात्रावासों का डिजिटाइजेशन किया जा रहा है। जिसके लिए भोपाल में प्रशिक्षण का भी आयोजन किया गया है।
एनएस बरकड़े सहायक आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग
Created On :   9 May 2019 1:33 PM IST