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नागपुर से फरार आरोपी दिल्ली में कांग्रेस नेता सिब्बल के साथ प्रेस कांफ्रेंस में दिखा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एक वर्ष से फरार आरोपी को नागपुर की गली से दिल्ली तक पुलिस ढूंढ नहीं पाई और वही आरोपी दिल्ली में दिग्गज नेताओं के साथ बैठकर प्रेस कांफ्रेंस लेता नजर आया। मामला शहर के अधिवक्ता सतीश उके का है। बता दें कि उके बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों की अवमानना का दोषी है, और हाईकोर्ट ने एक वर्ष पूर्व उसे दो माह की जेल की सजा सुनाई है। तब से वह फरार चल रहा है। इस सिलसिले में नागपुर खंडपीठ में हो रही सुनवाई के दौरान कोर्ट के निरीक्षण में आया है कि पुलिस उके को ढूंढने में नाकाम साबित हो रही है। इसको लेकर कई बार खंडपीठ ने नागपुर पुलिस को फटकार भी लगाई है। दूसरी तरफ, फरार आरोपी बुधवार को दिल्ली मंे खुलेआम कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल व सलमान खुर्शीद के साथ प्रेस कांफ्रेंस में सरकार पर आरोप लगाकर चला गया। वहां नेशनल मीडिया और पुलिस भी मौजूद थी। इसे कुछ चैनलों ने लाइव भी दिखाया। बावजूद इसके पुलिस उसे गिरफ्तार करने में नाकाम साबित हुई। अब इस मामले में पुलिस की इंटेलिजेंस व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं। सनद रहे, कोर्ट में कई बार पुलिस कह चुकी है कि दिल्ली में जगह-जगह ढूंढ़ने के बाद भी उके नहीं मिला। इस पर सख्ती बरतते हुए कोर्ट ने कहा था कि ऐसे आरोपी को पकड़ने के लिए दूरदर्शन अौर प्रसार माध्यमों में विज्ञापन निकालकर तलाश की जाए।
लगाए थे CM पर गंभीर आरोप
राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ अधिवक्ता उके ने एक याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के दौरान उके ने न्यायमूर्ति आर.के.देशपांडे पर गंभीर आरोप लगाए थे। ऐसे में न्यायालय ने अधिवक्ता के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई के आदेश जारी किए थे। पहली अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता के रवैये से नाराज हाईकोर्ट ने एक और नई अवमानना याचिका दायर कर उसे नोटिस जारी किया। कोर्ट ने बतौर सुरक्षा राशि अधिवक्ता को 2 लाख रुपए न्यायालय मंे जमा करने के आदेश भी जारी किए थे। मामला यहां तक बढ़ गया था कि अधिवक्ता द्वारा सीटिंग जजों पर आरोप लगाने की प्रवृत्ति को देखते हुए न्यायमूर्ति प्रसन्न वराले और न्यायमूर्ति ज.का.हक की खंडपीठ ने अवमानना मामले की सुनवाई वीडियो रिकार्डिंग से पूरी की थी। 28 फरवरी को हाईकोर्ट ने सतीश उके को अवमानना का दोषी मान कर दो महीने की जेल और 2 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।
आरोपी को न ढूंढ पाना कहीं पुलिस की निष्क्रियता तो नहीं : कोर्ट
अधिवक्ता उके की मुश्किलें कम नहीं हुईं। न्यायमूर्ति प्रसन्न वराले और ज.का.हक की खंडपीठ ने सतीश उके को 4 लाख 12 हजार रुपए एक सप्ताह के भीतर हाईकोर्ट मंे जमा करने के आदेश दिए थे। इसके बाद से ही सतीश उके फरार चल रहा था। कोर्ट ने इस मामले में पुलिस को उसे ढूंढ निकालने के आदेश दिए थे। पुलिस ने अधिवक्ता उके की तलाश में नागपुर और अासपास का क्षेत्र छान मारा। नागपुर पुलिस की टीम दिल्ली तक जा पहुंची, मगर उनके हाथ कुछ न लगा। बार-बार कोशिश करने के बाद भी उसे ढूंढ पाने में असमर्थ पुलिस को 14 जून 2017 को नागपुर खंडपीठ ने जमकर फटकार लगाई थी। कोर्ट ने पुलिस से पूछा था कि एक फरार आरोपी को न ढूंढ पाने वाली पुलिस कहीं निष्क्रिय तो नहीं हो गई है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि सतीश उके को हर हाल में ढूंढ निकाला जाए।
हम जांच करेंगे
नागपुर पुलिस के रिकॉर्ड में फरार सतीश उके द्वारा ली गई प्रेस कांफ्रेंस के मामले की पूरी जांच की जाएगी। हमें जानकारी नहीं थी कि वो प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं। इसके बाद ही नागपुर पुलिस इस पर कुछ कह सकती है।
-डॉ.के. व्यंंकटेशम, पुलिस आयुक्त, नागपुर
Created On :   1 Feb 2018 3:47 PM IST