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अंबाझरी तालाब की स्थिति सुधारने मांगा एक्शन प्लान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर के अंबाझरी तालाब में मिलने वाले सीवेज से मर रही मछलियों के मुद्दे पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ द्वारा दायर सू-मोटो जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। जिसमें महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हाईकोर्ट में अपना शपथपत्र प्रस्तुत किया कि, तालाब में ऑक्सिजन की कमी और वाड़ी नगर परिषद का सीवेज का पानी तालाब में मिलने से यह स्थिति पैदा हुई है।
दूसरी ओर मनपा द्वारा नीरी से तैयार कराई गई रिपोर्ट में भी यही तथ्य कोर्ट के समक्ष रखे गए। इस मामले में हाईकोर्ट ने वन विभाग को भी प्रतिवादी बनाया। कोर्ट ने मनपा और वन विभाग से 3 सप्ताह के भीतर तालाब की स्थिति सुधारने, ऑक्सिजन लेवल बढ़ाने के लिए एक्शन प्लान प्रस्तुत करने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने तालाब में मिलने वाली गंदगी को भी रोकने के लिए प्रशासन से उपाय मांगे गए हैं।
यह थी विशेषज्ञों की राय
पर्यावरणविदों के अनुसार तालाब में बगैर प्रोसस किए ही उद्योगों के रसायनयुक्त पानी को अंबाझरी तालाब में छोड़ा जा रहा था। वहीं, नजदीकी रिहायशी इलाकों से भी प्रदूषित जल अंबाझरी में मिल रहा था। इसको लेकर प्रशासन ने लापरवाही बरती। समय के साथ-साथ तालाब में ऑक्सीजन की कमी हो गई। प्रदूषण और ऑक्सीजन की कमी, यह दोहरी मार मछलियां झेल नहीं पाईं और उनकी मौत होने लगी। तालाब के किनारे पर जब मरी मछलियों का ढेर इकट्ठा हुआ तो यह मुद्दा चर्चा में आया। हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई लेते हुए मामले में महाराष्ट्र शहर विकास विभाग, नागपुर मनपा, एनआईटी, पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड, एमआईडीसी, एमआईडीसी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और वाड़ी नगर परिषद को प्रतिवादी बनाया गया है।
Created On :   27 Jun 2019 6:17 PM IST