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कार्रवाई: महाराष्ट्र पुलिस के निशाने पर रेत माफिया

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। जिले में रेत के कारोबार में सफेदपोशों की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष भागीदारी किसी से छुपी नहीं है। ठीक यही स्थिति प्रदेश की सीमा से लगे महाराष्ट्र के सांवनेर में भी है। मप्र और महाराष्ट्र के सीमा क्षेत्र पर कन्हान नदी की रेत खदानों से रेत का परिवहन दोनों जगह हो रहा है। सौंसर क्षेत्र की खदानों से हर दिन करीब 400 डंपर रेत का परिवहन हो रहा है। सांवनेर की तुलना में यहां की रेत खदानों में ज्यादा डंपर पहुंच रहे हैं। बताया जा रहा है कि कारोबार में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल सांवनेर और एक सौंसर के सफेदपोश ने खासतौर से वरूड़, अमरावती, काटोल, नरखेड़ और अकोला से आने वाले डंपरों को अपनी खदानों की ओर मोडऩे की कोशिश की। सौंसर की खदानों में 15 हजार रुपए प्रति डंपर और 12 घंटे के भीतर दोबारा गाड़ी आने पर 12 हजार रुपए रायल्टी का आफर भी दे रखा है। इसके विरूद्ध सांवनेर के कारोबारियों ने 15 की जगह 14 हजार रुपए रायल्टी देने का आफर उन्हें दिया। इसके बाद भी जब डंपर सांवनेर की खदानों की ओर नहीं मुड़े तो सफेदपोशों ने अपना रसूख दिखाया। बुधवार को वरूड़ मार्ग पर वर्धा जिले की सीमा में महाराष्ट्र के दो आईपीएस समेत वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सड़क पर उतरे और सौंसर से रेत लेकर आ रहे 35 डंपरों को पकड़ लिया। कार्रवाई ओवरलोडिंग के चलते हुई। कहा जा रहा है कि जब्त डंपरों को राजसात करने की प्रक्रिया भी वहां शुरू हो गई है। यही नहीं डंपर पकड़े जाने के बाद मौके पर पहुंचे लोगों की चार कारें भी जब्त कर ली गई हैं। उन पर भी राजसात की कार्रवाई की जा रही है।
पुलिस और यहां के सफेदपोश के बीच हॉटटॉक:
सालों से चल रहे रेत के कारोबार में पहली बार महाराष्ट्र के प्रशासन ने इतनी बड़ी कार्रवाई की है। सूत्रों के मुताबिक कार्रवाई से बौखलाए यहां के एक प्रभावी सफेदपोश की फोन पर हॉटटॉक तक हो गई। बात एक दूसरे को देख लेने तक पहुंच गई। महाराष्ट्र पुलिस ने कार्रवाई नहीं रोकी, पकड़े गए डंपरों की जब्ती बनाई।
दोनों तरफ सत्ताधारियों का बोलबाला:
कन्हान नदी की रेत खदानों और कारोबार में दोनों प्रदेशों महाराष्ट्र और मप्र की सत्ता में बैठे दलों का बोलबाला है। यहां के सफेदपोश अपने प्रभाव से परिवहन में सुविधाएं दिला रहे हैं तो वहां के सफेदपोश यहां की खदानों से परिवहन को रोकने अपना दम दिखा रहे हैं। बस एक समानता है। यहां के सफेदपोश सत्ता नहीं होने के दौरान भी छाए रहे। यही स्थिति वहां के सफेदपोशों की भी बताई जा रही है।
Created On :   5 Nov 2020 10:51 PM IST