हाईकोर्ट : गप्पबाजी में मशगूल पुलिसकर्मियों के खिलाफ हो कार्रवाई, पानी के लिए दूर तक पैदल जाते हैं लोग

Action should be taken against policemen involved in gossip-HC
हाईकोर्ट : गप्पबाजी में मशगूल पुलिसकर्मियों के खिलाफ हो कार्रवाई, पानी के लिए दूर तक पैदल जाते हैं लोग
हाईकोर्ट : गप्पबाजी में मशगूल पुलिसकर्मियों के खिलाफ हो कार्रवाई, पानी के लिए दूर तक पैदल जाते हैं लोग

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि ट्रैफिक संभालने की बजाय बातचीत में मशगूल रहनेवाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की जरुरत है। अदालत ने कहा कि कोई गाड़ी कैसे चलाए और गाड़ी कहां पर पार्क की जाए यह देखना अदालत का काम नहीं है। ट्रैफिक का नियमन करना पुलिसवालों का काम है लेकिन वे ट्रैफिक नियंत्रित करने की बजाय टैक्सीवालों से बातचीत करते व हर तरह का आनंद लेते नजर आते हैं। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। याचिका में मुख्य रुप से वाहन चालकों द्वारा ट्रैफिक से जुड़े नियमों का पालन न करने कहीं पर वाहनों को खड़ा करने के मुद्दे को उठाया गया है। याचिका में कहा गया है कि मेट्रो रेल के काम के चलते पहले से सड़के सकरी हो गई हैं और अब लोगों के कही पर भी वाहन खड़े करने से ट्रैफिक जाम की समस्या पैदा गई है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में पुलिस व मुंबई महानगरपालिका पूरी तरह से विफल रही है। पुलिसकर्मी ट्रैफिक नियंत्रित करने की बजाय बातचीत में मशगूल नजर आते हैं। ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जरुरत है। इस मामले में याचिकाकर्ता स्वयं लोगों में जागरुकता फैलाएं और नागरिकों को शिक्षित करें। खंडपीठ ने कहा कि कानून का उल्लंघन करनेवालों पर कार्रवाई करने का जिम्मा पुलिस का है। खंडपीठ ने फिलहाल इस मामले की सुनवाई 17 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी है। 

पेयजल के लिए पांच-पांच किलोमीटर पैदल जाते हैं लोग: हाईकोर्ट

महाराष्ट्र में अभी भी लोग पीने के पानी के लिए चार से पांच किलोमीटर पैदल चल कर जाते हैं यह दर्शाता है कि पानी सहज उपलब्ध नहीं है। इसलिए जलापूर्ति से जुड़ी योजना पर रोक नहीं लगाई जा सकती है।  यह बात कहते हुए बांबे हाईकोर्ट ने मुंबई महानगर क्षेत्र के कई इलाकों में जलापूर्ति के लिए प्रस्तावित कालू बांध के निर्माण कार्य पर लगी रोक को जारी रखने से इंकार कर दिया। श्रमिक मुक्ति संगठन ने इस संबंध में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि ठाणे जिले कि मुरबाड तहसील में प्रस्तावित कालू डैम के निर्माण में अबैध तरीके से बड़े पैमाने पर वन भूमि का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। सरकार डैम के लिए इस्तेमाल होनेवाली वन भूमि को गैर वन भूमि घोषित करने को लेकर केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय से जरुरी अनुमति नहीं ली गई है। इसके अलावा जिस इलाके में यह बांध बनाया जा रहा है वहां पर पहले से कई बांध है। इसलिए कालू डैम प्रोजेक्ट की कोई जरुरत नहीं है। हाईकोर्ट ने साल 2012 में इस याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद जलापूर्ति योजना के तहत बनाए जानेवाले कालू बांध के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी। सोमवार को न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ को बताया गया कि कालू डैम प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार ने सशर्त मंजूरी प्रदान कर दी है। यह प्रोजेक्ट भविष्य में डोंबीवली, कल्याण, भिवंडी, अंबरनाथ व बदलापूर सहित इन इलाकों में बढनेवाली आबादी को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है। इसको लेकर पूर्व आईएएस अधिकारी माधवराव चितले कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट दी थी। वहीं याचिकाकर्ता की वकील ने कहा कि इस प्रोजेक्ट की जरुरत नहीं है। क्योंकि इलाके में पहले से कई डैम हैं। डैम के निर्माण को लेकर पर्यावरण से जुड़ी मंजूरी नहीं ली गई है। इसके अलावा कालू डैम के ठेके के आवंटन में भी गड़बड़िया सामने आयी हैं। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि महाराष्ट्र में अभी भी लोग पीने के पानी के लिए चार से पांच किमी पैदल चल कर जाते हैं। जो दर्शाता है कि अभी भी लोगों को पानी सहज से उपलब्ध नहीं है। अदालत ने कहा कितने डैम बनाने हैं यह सरकार का नीतिगत मामला है। हम इसमे दखल नहीं दे सकते। जहां तक प्रोजेक्ट के मंजूरी की बात है तो इसे केंद्र सरकार देखेगी। यह कहते हुए खंडपीठ ने याचिका को समाप्त कर दिया।

चंद्रा कोचर ने किया आचार संहिता का उलंघन

उधर आईसीआईसीआई बैंक ने बांबे हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर दावा किया है कि बैंक की पूर्व प्रबंधन निदेशक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंद्रा कोचर ने बैंक के कार्य व कारोबार से जुड़ी आचार संहिता का उल्लंघन किया है। इसके साथ ही बैंक ने कोचर को भुगतान की गई रकम की वसूली की भी मांग की है। हलफनामे में कहा गया है कि कोचर के कृत्य के चलते बैंक को काफी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है और बैंक की प्रतिष्ठा भी प्रभावित हुई है। बैंक ने यह हलफनामा कोचर की ओर से हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका के जवाब में दायर किया है। हलफनामे में बैंक ने कहा कि है यदि कर्मचारी अपनी सेवा के दौरान कोई कदाचार करता है तो ऐसी स्थिति में बैंक को कर्मचारियों को दी गई बोनस व दूसरी रकम की वसूली के भुगतान का प्रावधान है। बैंक ने इस संबंध में दावा भी दायर किया है। हाईकोर्ट में कोचर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में कोचर ने खुद को नौकरी से बर्खास्त किए जाने के निर्णय को चुनौती दी है। सोमवार को यह याचिका न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति सुरेंद्र तावडे की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान आईसीआईसीआई बैंक की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता दारायस खंबाटा ने हलफनामा दायर किया। इस दौरान कोचर के वकील ने हलफनामे पर गौर करने के लिए समय की मांग की। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 20 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी। गौरतलब है कि वीडियोकान कंपनी को कर्ज देने से जुड़ी कथित गड़बड़ियों के मामले में कोचर का नाम सामने आया था। सीबीआई व ईडी इस मामले की जांच कर रही है। 
 

Created On :   13 Jan 2020 4:04 PM GMT

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