प्रशासन के पास नहीं जल संवर्धन के आंकड़े

Administration does not have data on water culture
प्रशासन के पास नहीं जल संवर्धन के आंकड़े
प्रशासन के पास नहीं जल संवर्धन के आंकड़े

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पिछले साल शहर को भीषण जलसंकट का सामना करना पड़ा था। इस समस्या को देखते हुए तत्कालीन महापौर नंदा जिचकार ने बरसाती पानी के संवर्धन और उसे भूजलस्तर तक पहुंचाने की व्यवस्था तैयार करने का फैसला किया था। इस योजना में स्थायी समिति ने 3 करोड़ रुपए की निधि काे प्रस्तावित किया है। वहीं महापौर फंड से भी कार्यों को पूरा किया गया है। जलप्रदाय विभाग के माध्यम से इस योजना को पूरा किया गया है लेकिन अब इस पर सवाल उठने लगे हैं। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग करने के लिए जोन कार्यालयों के अंतर्गत उद्यानों, मनपा स्कूल परिसर एवं मैदानों का चयन किया जाता है। इस स्थान के स्वामित्व समेत अन्य दस्तावेजों की जांच कर रेन वाॅटर हार्वेस्टिंग करने का प्रस्ताव बनाया जाता है। इसके बाद जोन कार्यालय प्रस्ताव को तकनीकी और प्रशासनिक मंजूरी के लिए मनपा मुख्यालय के जलप्रदाय विभाग में भेजा जाता है। प्रस्ताव की जांच एवं मूल्यांकन के बाद औपचारिक रूप से इसे मंजूरी दी जाती है। हालांकि निर्धारित और चयनित स्थान पर बरसाती जल संवर्धन व्यवस्था को तैयार करने की जिम्मेदारी जोन कार्यालय के जलप्रदाय विभाग को सौंपी गई है। व्यवस्था के शुरू होने के बाद स्थायी समिति के फंड से निर्माण कार्य की रकम का भुगतान किया जाता है, लेकिन शहर में करीब 48 लाख रुपए खर्च कर 21 स्थानों पर तैयार की गई व्यवस्था में खासी लापरवाही की गई है। एक ओर जीएसडीए के मुकाबले दोगुना खर्च कर व्यवस्था को तैयार किया गया है तो वहीं इस व्यवस्था के उपयोग और जलसंवर्धन होने वाले आंकड़ों का ब्योरा तक नहीं है।          

जीएसडी के मुकाबले दोगुना खर्च

पिछले साल मई माह में मनपा प्रशासन ने तेलंगखेड़ी स्थित भूगर्भ सर्वेक्षण एवं विकास संस्था (जियोलॉजिकल सर्वे एन्ड डेवलपमेंट एजेंसी) से संपर्क किया था। मनपा द्वारा मुख्यालय की नई प्रशासकीय इमारत में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग करने के लिए 4,71,630 रुपए भी दिए गए थे। हालांकि प्रतिवर्ष करीब 4,29,840 लीटर क्षमता वाली व्यवस्था को तैयार करने में जीएसडीए को महज 1,23,743 रुपए का खर्च आया है। जीएसडीए द्वारा 3,47,887 रुपए की निधि पिछले माह जलप्रदाय विभाग को लौटा दी गई है। बावजूद इसके मनपा का जलप्रदाय विभाग व्यवस्था में 4.71 लाख रुपए खर्च होने की जानकारी दे रहा है। जीएसडीए ने अक्टूबर माह में मुख्यालय की इमारत में व्यवस्था को क्रियान्वित किया था। इसमें इमारत की छत पर जमा होने वाले बरसाती पानी को निकासी पाइप के माध्यम से 2 हजार लीटर क्षमता के दो पीवीसी टैंक में जमा किया जाता है। इसके बाद फिल्टर कर पानी को रिचार्ज साफ्ट के माध्यम से जमीन के भीतर छोड़ा जाता है। दोनों रिचार्ज साफ्ट के 40 और 45 फीट तक पाइप जमीन के भीतर तक होने से भूगर्भ तक पानी पहुंचता है। जीएसडीए के अधिकारियों के मुताबिक तकनीकी रूप से इस व्यवस्था के चलते बरसाती पानी का बेहतरीन रूप में संवर्धन एवं भूगर्भ स्तर तक पहुंचाने में सहायता होगी। वहीं दूसरी ओर मनपा के जलप्रदाय विभाग के साथ ही उद्यान विभाग के माध्यम से क्रियान्वित होने वाली रेन वाटर हार्वेस्टिंग व्यवस्था में जीएसडीए के मुकाबले दोगुना का खर्च हो रहा है। 

21 स्थानों पर काम

मनपा मुख्यालय की प्रशासकीय इमारत में तकनीकी सर्वेक्षण के साथ जीएसडीए ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग व्यवस्था को तैयार किया है। दो टैंक की व्यवस्था में प्रत्येक टैंक से 2,14,920 लीटर जल को प्रतिवर्ष भूगर्भ तक पहुंचाया जाएगा। इस व्यवस्था को तकनीकी प्रस्ताव और विशेषज्ञों की निगरानी में तैयार करने से महज 1.23 लाख रुपए खर्च आया है। इतना ही नहीं बरसाती पानी के संवर्धन और भूगर्भ स्तर तक पहुंचाने की मात्रा का पूरा ब्योरा भी जीएसडीए के पास है, जबकि जलप्रदाय विभाग द्वारा शहर के 21 स्थानों पर व्यवस्था को बगैर तकनीकी निरीक्षण के तैयार करने में 48,81,678 रुपए खर्च किये जा चुके हैं। इन स्थानों में लक्ष्मीनगर परिसर की एकता माता नगर प्राथमिक स्कूल, सुभाषनगर मराठी प्राथमिक स्कूल, धंतोली परिसर का सुदामपुरी मैदान और आयुर्वेदिक ले आऊट मैदान शामिल है। इसके अलावा 17 स्थानों पर उद्यानों में व्यवस्था को तैयार कर लिया गया है। इनमें से सबसे कम 2,03,266 रुपए का खर्च लक्ष्मीनगर स्थित की एकता माता नगर प्राथमिक स्कूल में व्यवस्था तैयार करने के लिए आया है, जबकि सर्वाधिक खर्च 2,99,200 रुपए धंतोली परिसर के सुदामपुरी मैदान पर हुआ है। इन स्थानों से प्रतिवर्ष संवर्धन होने वाले बरसाती जल की मात्रा को लेकर भी कोई स्पष्ट जानकारी जलप्रदाय के पास नहीं है। तकनीकी रूप से जल संवर्धन के नाम पर कुल 1065 मिलीमीटर होने वाली बारिश के 8 फीसदी पानी के संवर्धन होने की जानकारी जलप्रदाय विभाग दे रहा है। 

मनमाने बन रहे प्रस्ताव

पिछले 8 माह में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के नाम पर मनमाने प्रस्तावों को तैयार किया जा रहा है। जलप्रदाय विभाग के साथ ही उद्यान विभाग भी स्थायी समिति और महापौर फंड की रकम का प्रयाेग कर रहा है। उद्यान विभाग के माध्यम से फरवरी 2019 को चिटनवीस नगर उद्यान और वाठोड़ा के संकटमोचन उद्यान के लिए प्रस्ताव बनाया गया। जलप्रदाय विभाग के विशेष फंड से 2,99,874 रुपए की निधि से चिटनवीस नगर उद्यान के लिए मोहंती कन्स्ट्रक्शन कंपनी को जिम्मेदारी दी गई। अप्रैल माह में काम को पूरा भी कर लिया गया, लेकिन भूगर्भ तक पहुंचने वाले जल की आंकड़े नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर बिना तकनीकी निरीक्षण के वाठोड़ा के संकटमोचन उद्यान में भी महापौर के 2,82,347 रुपए की निधि से रेन वाटर हार्वेस्टिंग का प्रस्ताव बनाया गया। नगरसेवक समिता चकोले के निर्देश पर उद्यान विभाग ने 1 फरवरी 2019 को शेख अयूब शेख हसन ठेका एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपी थी, हालांकि उद्यान में व्यवस्था के लिए पर्याप्त जगह नहीं होने से प्रस्ताव को रोक दिया गया।
 

Created On :   24 Feb 2020 6:22 PM IST

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