गांवों में जलसंकट : जिम्मेदार सुस्त चाल से दौड़ा रहे कागजी घोड़े

administration has demanded 2 crore from the relief commissioner
गांवों में जलसंकट : जिम्मेदार सुस्त चाल से दौड़ा रहे कागजी घोड़े
गांवों में जलसंकट : जिम्मेदार सुस्त चाल से दौड़ा रहे कागजी घोड़े

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। गांव में जलसंकट से निपटने के लिए प्रशासन ने राहत आयुक्त से दो करोड़ की डिमांड की है। वैसे ये प्रस्ताव 20 अप्रैल के पहले ही राहत आयुक्त के पास पहुंच जाना था, लेकिन जनपद सीईओ की लेटलतीफी के चलते पूरी प्रक्रिया एक महीने तक लटकी रही। अब प्रस्ताव राहत आयुक्त के पास जाने के बाद कितने दिन में ये राशि आएगी। इस पर सस्पेंस बना हुआ है। भीषण जलसंकट से जूझ रही ग्राम पंचायतों को लेकर पिछले दिनों जमीनी रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश जनपद सीईओ को दिए गए थे।

सर्वे में तकरीबन 160 गांव ऐसे मिले थे, जहां पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। सर्वे के बाद यहां जल परिवहन व्यवस्था सहित अन्य इंतजामों के लिए 1 करोड़ 93 लाख की डिमांड शासन से की गई है। हालांकि अधिकारियों की माने तो पंचायतों को पहले ही इस मामले में व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए जा चुके थे, लेकिन फंड रिलीज नहीं किया गया था। 

यहां हुई लेटलतीफी 

  • प्रभावित गांवों की रिपोर्ट सीईओ के माध्यम से जिला प्रशासन के पास आनी थी, लेकिन मोहखेड़, बिछुआ सहित चौरई सीईओ ने मामले में गंभीरता नहीं बरती।
  • 20 अप्रैल के पहले रिपोर्ट पहुंच जानी थी, ताकि मई में राहत आयुक्त फंड रिलीज कर दें, लेकिन एक महीने बाद अब जाकर रिपोर्ट आयुक्त को पहुंचाई गई है।
  • पंचायतों को परिवहन के निर्देश तो दिए गए हैं, लेकिन उधारी में ज्यादा दिनों तक व्यवस्था दुरुस्त कर पाना काफी मुश्किल साबित हो रहा है। पिछले साल भी यही स्थिति बनी थी। 


अब दिक्कत कहां... 

  • पंचायतें पहले से ही जलसंकट से जूझ रही हैं। यदि समय रहते फंड आ जाता तो परिवहन की व्यवस्था अभी से बेहतर हो जाती है। 
  • मई में प्रपोजल आयुक्त को पहुंचाया गया है। अब फंड एक महीने के पहले आने की उम्मीद नहीं है। ऐसे में यदि मानसून जल्द नहीं आया तो इन प्रभावित गांवों में दिक्कतें और बढ़ेंगी। 

Created On :   16 May 2018 4:54 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story