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महाराष्ट्र के 12 हजार 668 ग्राम पंचायतों के चुनाव स्थगित, नियुक्त होंगे प्रशासक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना संकट के चलते जुलाई से दिसंबर महीने के बीच प्रस्तावित राज्य की 12 हजार 668 ग्राम पंचायतों के चुनाव को स्थगित कर दिया गया है। गुरुवार को प्रदेश के ग्रामीण विकास मंत्री हसन मुश्रीफ ने यह जानकारी दी। मुश्रीफ ने कहा कि इस साल जुलाई से दिसंबर के बीच 12 हजार 668 ग्राम पंचायतों की अवधि खत्म हो रही है। इसलिए प्रदेश सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग से 12 हजार 668 ग्राम पंचायतों के चुनाव को टालने का आग्रह किया था। राज्य निर्वाचन आयोग ने ग्राम पंचायतों के चुनाव स्थगित करने के बारे में अवगत कराया है।
मुश्रीफ ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश सरकार को बताया है कि आयोग के 17 मार्च 2020 के पत्र के अनुसार जुलाई से दिसंबर के बीच जिन ग्राम पंचायतों की अवधि खत्म हुई है, उन ग्राम पंचायतों के चुनाव को अगले आदेश तक स्थगित किया गया है। वहीं जिन ग्राम पंचायतों की पांच साल की अवधि पूरी हो चुकी है वहां पर वर्तमान कार्यकारिणी को बरकरार न रखते हुए प्रशासक नियुक्त किए जाएं। इसके साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग समय-समय पर परिस्थिति की समीक्षा करके आवश्यकता अनुसार प्रदेश सरकार से रायशुमारी कर चुनाव पर लगी रोक हटाने का फैसला लेगा।
मुश्रीफ ने कहा कि ग्राम पंचायतों के चुनाव के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना पड़ता है। चुनाव मशीनरी पर काम का बोझ होता है। मतदान के लिए ईवीएम का सामूहिक इस्तेमाल होता। चुनाव प्रचार, सभा और सम्मेलन में भीड़ जुटने की संभावना रहती है। इसके अलावा ग्राम पंचायत चुनाव की तैयारी, प्रभागवार मतदाता सूची सहित चुनाव तैयारी के लिए काफी समय लगता है। ग्राम पंचायतों के चुनाव में जोखिम को देखते हुए अगले छह महीने में कोई चुनाव न कराने का आग्रह राज्य सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग से किया था।
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कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।