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किसान को तैर कर जाना होगा अपने खेत, नाव हुई चोरी
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा/उमरानाला। सारोठ डेम के तट पर स्थित ग्राम पंचायत महलपुर के किसान को अब जलाशय के उस पार स्थित खेत जाने के लिए या तो गहरे पानी से तैरकर निकलना होगा या 10 किमी लंबा सफर तय करना होगा। दरअसल चार दिन पहले अज्ञात लोगों ने जलाशय के किनारे रपटे पर बंधी नाव चुरा ली। अब तक नाव का कोई सुराग नहीं मिला है।
महलपुर निवासी किसान बीपत गोयरे ने बताया कि ग्राम पंचायत महलपुर के खापा गांव में उनकी पैतृक खेती है। सारोठ डेम निर्माण से पहले खेत में ही मकान था। जलाशय निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया में उनका मकान और अधिकांश जमीन डूब में चली गई। मूलभूत सुविधाओं को देखते हुए उन्होंने महलपुर बस्ती में आवास के लिए मकान बना लिया। डेम बनने से पहले वे नदी में बने रपटे से होकर खेत तक चले जाते थे। डेम बनने के बाद रपटा डेम के पानी में डूब गया तो किसान बीपत ने खेत और मकान के बदले मिली मुआवजा राशि से नाव खरीद ली। दरअसल उनके गाय भैंस और बैल सहित अन्य मवेशी खेत में ही रहते हैं। इनकी देखभाल के लिए दिन में दो तीन बार नाव से खेत तक जाते हैं। गर्मी में जल स्तर कम होने पर वे नाव को सुरक्षित निकालकर रख लेते थे।
रात में उठा ले गए नाव
मोहखड़ टी आई दीपक डेहरिया से मिली जानकारी के अनुसार महलपुर निवासी किसान बीपत गोयरे 29 अगस्त की शाम को डेम के किनारे रपटे पर नाव बांध कर खेत से घर लौटे। 30 अगस्त को सुबह 6 बजे वे खेत जाने के लिए डेम के समीप पहुंचे तो वहां नाव नजर नहीं आई। बीते पांच दिन से किसान और उनके परिजनों ने डेम के दोनों ओर कदम-कदम पर नाव की तलाश की, लेकिन आज तक नाव का पता नहीं चला।
तैरकर जाओ या 10 किमी का सफर तय करो
किसान ने बताया कि अब उनके पास महलपुर से खेत तक जाने के लिए या तो डेम के गहरे पानी से तैरकर निकलना होगा। या फिर महलपुर से रजाड़ा होते हुए खापा गांव तक आना होगा। इस 10 किमी के सफर में उन्हें पालाखेड़ से रजाड़ा तक कीचड़ भरे मार्ग पर चलना होगा।
Created On :   5 Sep 2018 12:07 PM GMT