डिस्चार्ज के बाद कलेक्ट्रेट में तड़पता रहा युवक, फटकार के बाद होश में आए डॉक्टर

After discharge, the young man was suffering in the collectorate, the doctor came to his senses after reprimand
डिस्चार्ज के बाद कलेक्ट्रेट में तड़पता रहा युवक, फटकार के बाद होश में आए डॉक्टर
डिस्चार्ज के बाद कलेक्ट्रेट में तड़पता रहा युवक, फटकार के बाद होश में आए डॉक्टर



डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। अपंग हो चुकी जिला अस्पताल की व्यवस्था की पोल सोमवार को आला अफसरों के सामने उजागर हो गई। चलने फिरने में लाचार युवक को इस वजह से जिला अस्पताल से डिस्चार्ज दे दिया गया, क्योंकि  उसने नागपुर में ऑपरेशन करवाया था। तीन घंटे कलेक्ट्रेट में पड़ा रहने के बाद जब वरिष्ठ अधिकारियों तक बात पहुंची तब जाकर युवक को दोबारा जिला अस्पताल में भर्ती किया गया।
पांढुर्ना के भीमखेड़ी पोस्ट लेण्डोरी निवासी हरिश्चंद काकोड़े 16 नवंबर 2019 को सड़क हादसे में गंभीर घायल हो गया था। स्थानीय स्तर पर इलाज के बाद उसे नागपुर मेडिकल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां ऑपरेशन के बाद  पीडि़त के हाथ पैर में रॉड डाली गई। 27 नवंबर 2019 को उसे वापस छिंदवाड़ा पहुंचा दिया गया। 2 से तीन माह वह ठीक भी रहा, लेकिन मार्च में लॉक डाउन लग जाने के बाद हरिश्चंद का इलाज न हो सका। इस दौरान उसके हाथ पैर में सूजन आने के साथ ही पैर में मवाद जमने लगा। नागपुर में इलाज नहीं होने के बाद युवक को 27 जनवरी को जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था। अब इस मामले में युवकों के परिजनोंं का आरोप है कि युवक का इलाज इस वजह से जिला अस्पताल में नहीं किया गया, क्योंकि उसका ऑपरेशन नागपुर में हुआ था। अस्पताल से निकाले जाने के बाद युवक सीधे कलेक्ट्रेट पहुंच गया। जहां तीन घंटे तक वह परिसर में ही रहा। इसकी खबर जब संयुक्त कलेक्टर अजीत तिर्की को लगी तो उन्होंने अस्पताल प्रबंधन को फटकार लगाते हुए फिर से युवक को जिला अस्पताल में ही भर्ती कराया।
सवाल...चलने फिरने में असमर्थ, फिर क्यों किया डिस्चार्ज
मामला वरिष्ठ अधिकारियों तक जाने के बाद जब डॉक्टरों से युवक को भगाने का कारण पूछा गया तो डॉक्टरों का अजीब तर्क था। डॉक्टरों का कहना था कि युवक को भगाया नहीं डिस्चार्ज किया गया है, जबकि युवक की हालत ऐसी नहीं थी कि वह चल फिर भी सकता हो। बेहोशी की हालत में ही युवक कलेक्ट्रेट में पड़ा हुआ था। अधिकारियों ने भी जब युवक को देखा तो उन्होंने मौके से डॉक्टरों को फटकार लगाने शुरु कर दी।
मजदूरी करता है परिवार
युवक की माली हालत भी ठीक नहीं है। अधिकारियों को शिकायत करते हुए उसके परिजनों ने बताया कि हरिश्चंद और उसकी पत्नी मेहनत मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं।  युवक की हालत बिगडऩे से उसकी पत्नी के कांधों पर ही परिवार का बोझ है। स्थिति ऐसी नहीं कि वे महंगा इलाज नागपुर में करवा सकें। इसलिए उन्होंने जिला अस्पताल में ही युवक का इलाज कराने का निर्णय लिया था।
गांव वालों ने चंदा कर पहुंचाया था नागपुर
दुर्घटना के बाद युवक की हालत बिगडऩे की वजह से गांव के ग्रामीणों ने चंदा करके युवक को इलाज के नागपुर हॉस्पिटल पहुंचाया था। लेकिन बाद में हालत बिगडऩे के कारण पिछले दिनों गोंडवाना महासभा के जिलाध्यक्ष प्रहलाद कुसरे द्वारा उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। आरोप है कि इस दौरान स्टॉफ द्वारा उनसे बदसलूकी की जाती थी और जहां ऑपरेशन हुआ है वहीं इलाज कराने के लिए कहा जाता था।
इनका कहना है...
-युवक को मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों द्वारा डिस्चार्ज किया गया था। गंभीर स्थिति होने के बावजूद क्यों डिस्चार्ज किया गया। इस मामले में आज डीन से मुलाकात करुंगी। युवक को दोबारा जिला अस्पताल में भर्ती कर लिया गया है।
डॉ. पी गोगिया
सीएस, जिला अस्पताल

Created On :   1 Feb 2021 9:49 PM IST

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