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10 करोड़ की जमीन का 25 करोड़ वैल्यूएशन कर 50 करोड़ का लोन लिया और डकार गए
डिजिटल डेस्क, नागपुर, सुनील हजारी | कैसे आम आदमी की कमाई बैंकों के स्टाफ से मिलीभगत कर लुटाई जा रही है, उसकी बानगी पंकज मेहाड़िया के केस से समझी जा सकती है। 14 बैंकों से 248 करोड़ रुपए लेकर कुछ महीनों में ही डकार गए। इस घोटाले को समझने के लिए एक केस की बानगी समझिए। मौजा जूना स्थिति एक 20 एकड़ की जमीन, जिसके मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में विवाद चल रहा था, उसे गिरवी रखकर बैंक से लोन ले लिया गया। 10 करोड़ जमीन का बाजार मूल्य था। उसे बैंक की मिलीभगत से मूल्यांकन 25 करोड़ दिखाया और उसे एसबीआई में गिरवी रखकर उस पर 50 करोड़ तक ले लिए और कुछ ही दिनों बाद अपने को कंगाल बताकर उसे डकार गए।
हाई-प्रोफाइल गैंग बनाकर 248 करोड़ के लोन लिए
पंकज, बैंकों की रकम हड़पने में माहिर हो चुका था। बाकायदा इसके लिए एक हाई-प्रोफाइल गैंग बनाई गई। इसके अलग-अलग सदस्यों को पंकज ने डमी एंट्री दिखाकर 248 करोड़ लोन दिलाया, जिसका इस्तेमाल उसने व्यापार में ही किया। इसमें दर्जनभर लोग हैं, जिनके घर गिरवी रखकर लोन दिलाया गया। हालांकि बदले में रकम डबल करने का लालच दिया गया था। इंद्रकुमार अग्रवाल, श्याम अग्रवाल, संदीप सूरी जैसे नाम हैं, जिनके घर और प्लॉट पर लोन लिए गए, जिन्हें कभी चुकाया नहीं गया।
डीड बनाकर लोन लेने पहुंचे : मौजा जूना पानी पटवारी हल्का नंबर 71 की 20 एकड़ जमीन मेहाड़िया सेल्स ट्रेड काॅर्पोरेशन प्रा.लि. के पूर्व डायरेक्टर विनय अग्रवाल से वर्तमान डायरेक्टर पंकज मेहाड़िया ने सितंबर 2016 में 25 करोड़ की विवादित जमीन खरीदने की डीड बनाई। पंकज मेहाड़िया उसी डीड को एसबीआई इंडस्ट्रीज फाइनेंस की अमरावती रोड भरत नगर स्थिति ब्रांच में गिरवी रखकर लोन लेने पहुंच गए। लोन देने की तैयारी भी हो गई। डीड में जमीन की रकम का भुगतान के लिए 16 चेक की संख्या डाली गई, जबकि उक्त भुगतान हुआ भी नहीं था। बैंक के कुछ अधिकारी बदले और नए सिरे से इसकी सर्च रिपोर्ट बनाई गई, जिसमें सामने आया कि 16 चेक भुगतान नहीं हुए। इस गलती को पकड़ में आते ही चेक का भुगतान किया गया। उक्त जमीन का बाजार मूल्य उस समय अधिकतम 10 करोड़ था, मगर यहां भी मिलीभगत कर उसका वैल्यूएशन 25 करोड़ दिखाकर लोन ले लिया गया और व्यापार में डमी एंट्री दिखाकर करीब 25 करोड़ की सीसी (केस क्रेडिट) लिमिट भी ले ली। महज कुछ माह में पूरा पैसा डकार कर बैंक को चूना लगा दिया गया।
विनय अग्रवाल के परिवार की भी कई एंट्री
पंकज मेहाड़िया की ईडी और इनकम टैक्स विभाग में जिस बैलेंस शीट पर जांच चल रही है, उसमें विनय अग्रवाल के परिवार की भी कई एंट्री हैं। इसमें अजय अग्रवाल, संजय अग्रवाल, कविता अग्रवाल के नाम की भी एंट्री है। चर्चा है कि विनय अग्रवाल अपना अधिकांश धन पंकज की कंपनियों में खपाते थे। दोनों के बीच इतनी नजदीकी है कि विनय अग्रवाल के घर की शादी के कार्ड में पंकज मेहाड़िया का नाम लिखा जाता था। हालांकि प्रकरण उजागर होने के बाद वे अब पंकज से दूरियां बनाने की बात कह रहे हैं। बताया जाता है कि पंकज का नेटवर्क बड़ा करने में विनय अग्रवाल का महत्वपूर्ण हाथ था।
शिकायत पर बैंक ने ध्यान नहीं दिया : दूसरी खास बात यह है कि यह घोटाला होने के पहले इस फर्जीवाड़े की शिकायत बाकायदा बैंक में होती रही, मगर उसे लगातार अनदेखा कर दिया गया और इस तरह बैंक को 50 करोड़ का चूना-पानी लग गया, जबकि संबंधित जमीन का विवाद अब भी कोर्ट में चल रहा है। इसका मालिकाना हक तय नहीं हुआ। जब बैंक जमीन पर कब्जा लेने गया, तो उसे खाली हाथ लौटना पड़ा, क्येांकि उसका विवाद पहले से ही कोर्ट में चल रहा था। यह कारनामा मेहाड़िया सेल्स ट्रेड काॅर्पोरेशन प्रा.लि. के पूर्व डायरेक्टर विनय अग्रवाल और वर्तमान डायरेक्टर पंकज मेहाड़िया ने किया। इस तरह अगल-अलग कहानियां गढ़ पंकज ने 14 बैंकों से 248 करोड़ लोन लेकर लूट लिए, जिसका बोझ अब आम आदमी पर ही पड़ेगा।
पंकज से कहा था कि कोर्ट में केस चल रहा है
विनय अग्रवाल के मुताबिक जिस जमीन पर पंकज मेहाड़िया ने लोन लिया था, उस जमीन पर कोर्ट का केस चल रहा है, इसकी जानकारी मैंने पंकज मेहाड़िया को दी थी। उसने लोन लिया और फिर जो भी किया इसमें मेरा कोई लेना-देना नहीं है। वैसे भी कोर्ट में जो केस चल रहा है, वह सर्वे नंबर 19/2 और 21/2 का है, जबकि मेरी जमीन 19 और 21 है। मेरे परिवार की जो एंट्री है वह जमीन बेचने के बाद ली गई रकम से संबंधित है। पंकज मेहाड़िया के कारोबार और उसके कारोबार से मेरा दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है। मैं पहले पंकज की कंपनी में डायरेक्टर था, मगर बाद में मैंने इस्तीफा दे दिया था।
बैंक ने घोटाले के पहले आंख बंद कर ली
नरेश वासुदेव ठाकरे, शिकायतकर्ता के मुताबिक वर्ष 1992 में खसरा नंबर 19 व 21 की जमीन 84 हजार रुपए में मैंने खरीदी थी। इसमें गलती से सेल डीड में 19/2 और 21/2 लिखने में आ गया। इस गलती को ठीक करवाने के लिए मैंने तहसीलदार से लेकर सभी जिम्मेदार संस्थाओं को उसी समय से आवेदन दे रखा था, जिसने मुझे यह जमीन बेची, उसी ने विनय अग्रवाल को भी बेच दी। इस पर हिंगना कोर्ट में सिविल सूट 63/2009 से अभी तक चल रहा है। इसी दौरान उक्त विवादित जमीन को विनय अग्रवाल और पंकज मेहाड़िया ने एक सेल डीड 2016 में बैंक से लोन ले लिया। मैंने इस पर आपत्ति ली और बैंक को कई बार शिकायत भी की, लेकिन बैंक के अफसरों ने मिलीभगत के चलते इसे नहीं सुना और कुछ महीने बाद करीब 50 करोड़ का चूना बैंक को लग गया।
Created On :   28 May 2022 4:23 PM IST