आसाराम के फैसले के बाद इस आश्रम में ढूंढने से नहीं मिल रहे साधक

After the Asarams decision, seekers not getting to find in this ashram
आसाराम के फैसले के बाद इस आश्रम में ढूंढने से नहीं मिल रहे साधक
आसाराम के फैसले के बाद इस आश्रम में ढूंढने से नहीं मिल रहे साधक

लिमेश कुमार जंगम ,नागपुर।  आसाराम पर नाबालिग से दुष्कर्म का फैसला आने के बाद फेटरी स्थित आश्रम वीरान हो गया। हर रविवार को यहां सैंकड़ाें साधकोंं का मेला रहता था अब ढूंढ़े से भी वो लोग नहीं मिल रहे हैं। हालांकि जेल जाने के बाद ही आसाराम के भक्तों ने आश्रम से कन्नी काटना शुरू कर दी थी। मगर फैसला आने तक हर रविवार को पुराने भक्त आश्रम में विशेष पूजा-पाठ के लिए पहुंच जाते थे, जिन्होंने भी अब किनारा कर लिया। फैसले के बाद  आश्रम और आस-पास की स्थिति का जायजा लेने पर आश्रम से संबंधित चौंकाने वाली जानकारी सामने आई।

50 करोड़ से अधिक है कीमत
महाराष्ट्र में संत परंपरा के चलते जैसे ही आसाराम ने नागपुर में कदम रखा, तो उसकी चल पड़ी। स्थानीय जनप्रतिनिधि व उद्योगपतियों ने अनेक बड़े आयोजन कर सहूलियत की धरती तैयार की। शहर से सटे फेटरी गांव में 10 एकड़ भूमि वहां के किसान से न्यूनतम दाम पर खरीदी गई। सूत्र बताते है कि बिना रसीद के करोड़ों रुपए इकठ्ठा कर आलिशान आश्रम बनाया गया। इस आश्रम की मौजूदा कीमत अब 50 करोड़ से अधिक है। कभी यहां हर रविवार को 500 से अधिक संख्या में साधक पहुंचा करते थे।

अब आलम यह है कि इक्का-दुक्का साधक भी दिखाई नहीं पड़ते। अास-पड़ोस के गांवों में इस आश्रम के प्रति सहानुभूति नहीं है। क्योंकि आश्रम में निवास करने वाले बाहरी राज्य के साधकों ने 15 बरस पहले काफी हुड़दंग मचाया था। तब इन गांवों में विवाद बढ़ने पर कर्फ्यू लगा था। नाबालिग से दुष्कर्म मामले में फैसला आने के बाद से यह आश्रम और अधिक वीरान हो गया है।

कपास उत्पादक किसान से खरीदी थी जमीन
ज्ञात हो कि आसाराम के देश भर में 230 आश्रमों में से 35 आश्रम महाराष्ट्र में हैं। करीब 26 वर्ष पूर्व नागपुर से 12 किमी दूरी पर स्थित फेटरी गांव के कपास उत्पादक किसान सदाशिव अखंड से 8 एकड़ भूमि आश्रम के लिए खरीदी गई थी। 8 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से उन्हें 64 लाख रुपए प्राप्त हुए थे। पड़ोस की 2 एकड़ भूमि नागपुर निवासी मनोहर भदाडे से खरीदी गई थी। 68 वर्षीय सदाशिव व उनका परिवार आज भी इसी गांव में खेती पर ही गुजर-बसर कर रहे है। कृषि भूमि पर आलिशान आश्रम का निर्माण किया गया।

साधकों ने लोगों  को परेशान कर रखा था
आश्रम बनने के बाद से ही विवाद की स्थिति निर्माण हो गई थी। यहां बड़ी संख्या में निवासी तौर पर रहने वाले बाहरी राज्यों के युवा साधक जब गांव में घुमा करते थे तो ग्रामीणों पर धौंस जताया करते थे। लोगों का कहना है कि वे यहां की युवतियों को भी छेड़ा करते थे। अपने घरों में बजने वाले फिल्मी गीतों को बंद करवाते थे और उसके ऐवज में आसाराम के भजन ऊंची आवाज में बजाने की हिदायत देते थे। जब इन साधकों का हस्तक्षेप बढ़ता गया और छेड़छाड़ की शिकायतें मिलने लगीं तो विवाद काफी बढ़ गया।

ग्रामीणों एवं साधकों के गुटों में जमकर मारपीट हुई। मामला थाने पहुंचा। पुलिस को कर्फ्यू लगाना पड़ा। दोनों गुटों के खिलाफ अपराध दर्ज किए गए। राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद मामला भले ही शांत हो गया, किंतु उसकी टीश आज भी यहां के ग्रामीणों में महसूस की जा रही है। जब आसाराम की गिरफ्तारी हुई थी तो इस आश्रम पर पहुंचे आंदोलनकारियों और साधकों में फिर एक बार झड़प हुई थी। तब भी विवाद गहराया था।

सामग्री भरी पड़ी है, लेकिन अब कोई खरीददार नहीं
दुष्कर्म मामले में आसाराम को सजा मिलने के बाद से फेटरी के इस आश्रम में चहल-पहल एकदम बंद-सी हो गई है। आश्रम के गेट पर भले ही ताला न जड़ा हो, लेकिन सीसीटीवी कैमरों से इसकी निगरानी की जा रही है। केवल मुख्य द्वार तक ही पहुंचा जा सकता है। आश्रम में मौजूद साधक भीतर के इलाकों में जाने से मनाई कर रहे हैं। विविध उत्पाद से सभी एक बड़ी दुकान में ढेर सारी सामग्री भरी पड़ी है, लेकिन खरीदार नहीं है।

सूत्र बताते है कि आश्रम में गूफानुमा एक कुटी बनी है। जहां जाने की इजाजत किसी को भी नहीं है। जब भी आसाराम नागपुर आया करते थे, तो वे इसी आलिशान कुटिया में रहते थे। आश्रम के इर्द-गिर्द बागीचा व खेती के काम शुरू दिखाई दिया। 

बापू को षड्यंत्र कर फंसाया गया
हर रविवार को सुबह 10 बजे से नियमित तौर पर विविध आयोजन चलाए जा रहे हैं। साधकोंं की कतई संख्या घटी नहीं है। आश्रम में निवासी तौर पर 13 साधक हैं। बाल संस्कार, सत्संग व धार्मिक त्योहार मनाए जाते हैं। महाप्रसाद वितरण, अनाज व कपड़ों का वितरण अब भी जारी है। साधकों को विश्वास है कि आसाराम बापू को फंसाया गया है। इसाई मिशनरी व गोहत्या का वे विरोध करते थे। साधक इसे षड़यंत्र मानते हैं, इसलिए आज भी बड़ी संख्या में साधक आश्रम आते हैं।
(प्रताप मोटवानी, साधक)

Created On :   30 April 2018 2:57 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story