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दो भागों में विभाजित करने के बयान के बाद संगठनों ने शुरु किया विरोध
डिजिटल डेस्क, नागपुर। आर्थिक नुकसान से बाहर निकालने के लिए महावितरण को दो भागों में विभाजित करने के बयान के बाद दो दर्जन से ज्यादा संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। संगठनों ने महावितरण को आर्थिक नुकसान में पहुंचाने के लिए राजनीतिक दबाव जिम्मेदार होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि शासकीय विभागों व कार्यालयों पर महावितरण का करोड़ों रुपए का बिजली बिल बकाया है, लेकिन वसूली में राजनीतिक दबाव सामने आता है। बैठक लेकर मामले का शीघ्र समाधान करने व ऐसा नहीं होने पर हड़ताल करने की चेतावनी दी गई है।
हस्तक्षेप तुरंत बंद करने की मांग
महावितरण कर्मचारियों से जुड़ी राज्य की 25 संगठनों ने मिलकर महाराष्ट्र राज्य बिजली कर्मचारी-अधिकारी-अभियंता संघर्ष समिति बनाई है। समिति के माध्यम से ऊर्जा मंत्री डा. नितीन राऊत को पत्र देकर विभाजन का विरोध किया है। आर्थिक नुकसान के नाम पर कर्मचारी व उपभोक्ताआें को गुमराह करने का भी आरोप लगाया गया है। आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए संगठनों की तरफ से दिए गए एकसूत्रीय कार्यक्रम पर काम करने को कहा गया है। महावितरण, महानिर्मिति व महापारेषण की सूत्रधार कंपनी का हस्तक्षेप तुरंत बंद करने की मांग की गई है।
जलविद्युत प्रकल्प निजी हाथों में देने की कोशिश : संघर्ष समिति की तरफ से आरोप लगाया गया कि महानिर्मिति कंपनी के जलविद्युत प्रकल्प को निजी हाथों में देने की कोशिश हो रही है। महानिर्मिति कंपनी सस्ते दर पर राज्य में उपभोक्ताआें को विद्युत आपूर्ति करती है। फिर संबंधित जलविद्युत प्रकल्प निजी हाथों में देने का उद्देश्य क्या? ऐसा सवाल भी किया गया है।
Created On :   30 Jan 2022 3:31 PM IST