जिले में हर साल बढ़ रहे 20 फीसदी एड्स पीड़ित, चपेट में महिलाओं के साथ बच्चे

AIDS sufferers increasing every year in the district
जिले में हर साल बढ़ रहे 20 फीसदी एड्स पीड़ित, चपेट में महिलाओं के साथ बच्चे
जिले में हर साल बढ़ रहे 20 फीसदी एड्स पीड़ित, चपेट में महिलाओं के साथ बच्चे

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा । जानलेवा रेड रिवन के फंदे में फंसकर जिले में प्रतिवर्ष एक दर्जन लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। वहीं जागरुकता  की कमी एवं लापरवाही के चलते प्रतिवर्ष जिले में 20 फीसदी एचआईबी पांजीटिव एडस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। सर्वाधिक नए मरीज सौंसर एवं कोयलांचल में मिल रहे हैं। लेकिन स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रहे लोगों की चिंता इस बात की है कि जिले में एचआईबी पांजीटिव बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं की संख्या में भी इजाफा हो रहा है।
जिले में 700 पंजीकृत मरीज
जले में एचआईबी मरीजों के लिए काम कर रहे काउंसलरों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में अभी लगभग 700 एडस रोगी पंजीकृत है। जिनमें से सर्वाधिक रोगियों की संख्या जिला अस्पताल में 400 बताई जा रही है। वहीं जिले के सौसर, पांढुर्ना, परासिया एवं अमरवाड़ा में एचआईबी रोकथाम केन्द्र संचालित है जहां जांच के साथ ही पॉजीटिव मरीज को कांउसिंलिग कर दवाइयां भी उपलब्ध कराई जाती है।
ड्राइवर व मजदूर वर्ग ज्यादा प्रभावित
जिले में सामने आ रहे एचआईवी पॉजीटिव के मामलों में सर्वाधिक मजदूर वर्ग एवं ड्रायवर ही निकल रहे हैं। लेकिन कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिनमें निजी क्लीनिक से ब्लड लेना महंगा पड़ गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीते दो तीन वर्षो में कोयलांचल एवं सौंसर क्षेत्र में नए एड्स संक्रमित मरीज ज्यादा सामने आए हैं।
इस वर्ष मिले 113 नए मरीज
जिले में इस 11 माह में ही 113 नए मरीज मिल चुके हैं। जिसमें से जिला मुख्यालय में 65 मरीजों का पंजीयन किया गया है। जिसमें 37 पुरुष एवं 38 महिलाएं शामिल है। एड्स संक्रमितों की संख्या पर तीन चार सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रतिवर्ष मिलने वाले नए मरीजों में महिला-पुरुष की संख्या बराबर ही है। जिला अस्पताल मेें वर्ष 2014 में 60 मरीज, 2015 में 53, 2016 में 54 मरीज मिले थे जो इस वर्ष बढकऱ 65 तक पहुंच गए हंै।
सात गर्भवती महिलाओं का उपचार जारी
जिला अस्पताल में जारी वर्ष में सात गर्भवती महिलाओं का उपचार किया जा रहा है। एचआईबी काउंसलर श्रीमति सोमा यादव ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को एआरटी सेंटर द्वारा पूरे 9 माह तक उपचार के साथ 500 रुपए प्रदान किए जाते हैं वहीं संतान होने पर 3 माह तक फॉलोअप किया जाता है। एचआईबी पॉजीटिव महिला द्वारा जन्म दिए गए शिशु को भी उम्रभर दवाइयों पर निर्भर रहना पड़ता है। जिले मेें अब तक आठ वर्षो में कुल 51 गर्भवती महिलाओं का पंजीयन किया गया है।
एक साल से बंद पांढुर्ना केन्द्र
जिले में एडस रोकथाम के लिए संचालित किए जा रहे पांच केंद्र में से पांढुर्ना का केंद्र एक साल से बंद है। यहां एक साल से लैब टेक्निशियन एवं काउंसलर का पद रिक्त है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने बढ़ते एचआईवी पॉजीटिव मरीजों के बाद भी अब तक कोई प्रयास नहीं किया है।

 

Created On :   30 Nov 2017 4:25 PM IST

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