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एम्स को अब तक नहीं मिली चार विभागों की एनओसी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नागपुर का पहला बैच (2018-19) शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं हॉस्पिटल (मेडिकल) में शुरू करने की तैयारी है, लेकिन नागपुर में न तो एम्स का कोई ऑफिस है और न ही कोई जिम्मेदार अधिकारी। 4 माह से एम्स का मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। मिहान में बनने वाले एम्स को एनओसी (नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट) भी नहीं मिलने से मामला सुस्त पड़ गया है। मिहान में एम्स की सुरक्षा दीवार लगभग तैयार हो गई है। शुरुआत में प्रोविजनल एनअोसी की आवश्यकता पड़ती है और बाद में ओरिजनल की जरूरत पड़ती है। एम्स को बिल्डिंग मैपिंग के लिए फायर की एनओसी चाहिए। इंजीनियर फिलहाल तकनीकी कारण बताकर हाथ खड़े कर दिए हैं। यह भी बताया जा रहा है कि यह मामला रेवेन्यू को लेकर अटका हुआ है। एम्स को अग्निशमन विभाग, बिल्डिंग मैपिंग, वन विभाग और पर्यावरण विभाग को एनओसी की जरूरत है।
मेडिकल में 50 सीट से शुरू करने की तैयारी
मेडिकल में अगले साल से एमबीबीएस की 50 सीट्स के साथ चालू करने की तैयारी की जा रही है। अप्रैल में प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के डॉयरेक्टर उदित श्रीवास्तव ने सीनियर आर्किटेक्ट मुकेश बाजपेई, रायपुर एम्स से डॉ. नितिन नगरकर, नागपुर एम्स ओएसडी डॉ. एम. सी. मिश्रा, चिकित्सा शिक्षा सहसंचालक डॉ. प्रकाश वाकोडे, एम्स नोडल अधिकारी डॉ. रवि चव्हाण के साथ मेडिकल का निरीक्षण किया था। इसमें तय किया गया कि मेडिकल के 3 लेक्चर हॉल, एक 1600 वर्ग फीट की लैब, डीन बंगला के अलावा 3 प्रोफेसरों के बंगले, डेंटल व नर्सिंग का हाॅस्टल और 200 पलंग एम्स को दिए जाएंगे।
नहीं कोई देखने वाला
एम्स को नागपुर में कोई देखने वाला नहीं है। नोडल अधिकारी डाॅ. रवि चव्हाण को जमीन स्थानांतरण, बिजली व पानी सप्लाई की जिम्मेदारी दी गई थी, जो अब पूरी हो चुकी है। शहर में एम्स का अब तक कोई ऑफिस नहीं है और नागपुर एम्स ओएसडी डॉ. एम. सी. मिश्रा 4 माह से नहीं आए हैं।
Created On :   29 Aug 2017 6:30 PM IST