नागपुर में बढ़ा पॉल्यूशन,माइक्रोग्राम तेजी से इजाफा

Air pollution increase in Nagpur city
नागपुर में बढ़ा पॉल्यूशन,माइक्रोग्राम तेजी से इजाफा
नागपुर में बढ़ा पॉल्यूशन,माइक्रोग्राम तेजी से इजाफा

अतुल मोदी , नागपुर । बढ़ते पोल्यूशन से शहर की फिज़ाएं जहरीली बन रही है। स्थिति यह है कि शहर की हवा में पीएम 10 (परटिक्यूलेट मेटर्स) की उपस्थिति राष्ट्रीय मानक से एक तिहाई ऊपर है। 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर प्रदूषण सामान्य माना जाता है, मगर शहर में यह 83 पर पहुंच गया। इससे कई तरह की परेशानी लोगों में बढ़ रही है। खासतौर से बच्चों में। यह हालात तब हैं जब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल का एक मात्र सतत वायु गुणवत्ता निरीक्षण केंद्र शहर के सबसे साफ-सुथरे इलाके में लगा है। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने भी इसके अलावा उपराजधानी के पश्चिम छोर को ही ऐसे केंद्र को लगाने के लिए उपयुक्त समझा है। सबसे अधिक जिस ओर से प्रदूषण का आगमन होता है, वहां उत्तर नागपुर में वायु की गुणवत्ता जांचने के लिए कोई भी केंद्र स्थापित नहीं है और न ही शहर के सबसे घने इलाके पूर्व नागपुर में इसे लगाने की जरूरत समझी गई। 

रिपोर्ट में यह कहा गया है
पर्यावरण रक्षा में जुटी गैर-शासकीय संस्था ग्रीनपीस ने वायु प्रदूषण पर अपनी दूसरी रिपोर्ट एयरपोकेलिप्स II जारी की है। इसके अनुसार उपराजधानी सहित सर्वेक्षण किए गए प्रदेश के 24 शहरों में से एक भी शहर राष्ट्रीय मानकों पर खरा नहीं उतर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के 5 साल तक के 6.7 मिलियन बच्चे राष्ट्रीय मानक से अधिक प्रदूषण में जीने को मजबूर हैं। इसके अलावा 2.6 मिलियन बच्चे ऐसे क्षेत्र में रहने मजबूर हैं, जहां प्रदूषण तो भरपूर है, लेकिन उसके आंकड़े ही उपलब्ध नहीं हैं। 

क्या हैं 83 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के मायने   
शहर में धूल कण इतने बढ़ गए हैं, जो सांस के साथ सीधे फेफड़ों में जाते हैं। खून में भी इनकी कुछ मात्रा मिलकर रगों में दौड़ने लगती है। इसमें रेडिएशन भी होता है, जो कैंसर, त्वचा कैंसर, सांस, फेफड़ा व किडनी संबंधी बीमारियों के लिए जिम्मेदार है। 

24 शहरों में सर्वेक्षण, सभी प्रदूषित
ग्रीनपीस के सीनियर कंपेनर सुनील दाहिया के अनुसार, महाराष्ट्र के 24 प्रमुख शहरों में सर्वेक्षण किया गया। सभी के सभी राष्ट्रीय मानकों पर ही खरे नहीं उतर पाए हैं। इनमें विदर्भ के 4 शहर नागपुर, चंद्रपुर, अमरावती व अकोला शामिल हैं। राष्ट्रीय सतत वायु गुणवत्ता मानक पीएम 10 के लिए औसत वार्षिक 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर है। नागपुर में यह वर्ष 2016 में वार्षिक अौसत 83 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पाया गया है। उपराजधानी में 2015 व 2016 में विशेष बदलाव नहीं आया है। 2015 में यह 82 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था। चंद्रपुर में इसमें तीव्र वद्धि दर्ज हुई है। 2015 में यहां पीएम 10 का स्तर 94 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था, जो 2016 में 115 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पर पहुंच गया है। अमरावती व अकोला में हल्की गिरावट दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि यदि स्थिति में बदलाव नहीं आया तो महाराष्ट्र को भी दिल्ली बनने में देर नहीं लगेगी। 

कहां से आते हैं पीएम 10
वायु प्रदूषण के लिए कोयला चलित उद्योग के अलावा वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण कार्य के कारण उड़ने वाली धूल, सुबह-सुबह कचरे को जलाया जाना आदि जिम्मेदार हैं। किसी छिद्र से आ रही धूप में आप इनके बड़े कणों को साफ देख सकते हैं। सचेत होने का वक्त है, वरना अगली पीढ़ी माफ नहीं करेगी। जहरीली हवा स्वास्थ्य के लिए कतई लाभप्रद नहीं हो सकती है।
 

Created On :   30 Jan 2018 12:23 PM IST

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