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अजित पवार ने कहा - किसी के बाप से नहीं डरता, अपने अंदाज में दिया जवाब
डिजिटल डेस्क, नागपुर। ‘मैं किसी के बाप से नहीं डरता।’ विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार ने इन शब्दों में न्यूज चैनलों पर चल रही उस खबर का खंडन किया जिसमें कहा गया था कि प्रदेश राकांपा अध्यक्ष जयंत पाटील के निलंबन को लेकर नरम रुख अपनाने पर राकांपा प्रमुख शरद पवार ने अजित को फोन कर डांटा था। मंगलवार को सुयोग में मुंबई से आए पत्रकारों से औपचारिक चर्चा के दौरान अजित पवार ने यह बात कही। पत्रकारों से चर्चा के दौरान शरद पवार के फोन कॉल को लेकर पूछे जाने पर अजित ने अपने अंदाज में कहा कि ‘अजित पवार, अजित पवार है। वह किसी के बाप से नहीं डरता।’ उन्होंने कहा की जयंत पाटील के निलंबन के एलान के बाद हम सब सदन से बाहर निकल गए। उसी वक्त एक फोन आयाऔर किसी न्यूज चैनल वाले ने खबर चला दी की पवार साहब ने मुझे फटकारा। जबकि पवार साहब ने मुझे से फोन पर पूछा की सदन में क्या हुआ। लोग कुछ भी खबर चलाते हैं तो क्या हर व्यक्ति के पास जाकर सफाई दें। यह पूछे जाने पर चर्चा है कि सदन में आप और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मिलीभगत है। जवाब में अजित ने कहा कि क्या मैं सदन में फडणवीस के साथ कुश्ती करुं, उनके साथ मारपीट कर लूं। अजित ने कहा कि मुख्यमंत्री रहते शरद पवार के सभी दलों के नेताओं के साथ अच्छे संबंध थे तो क्या वह मिलीभगत थी। जहां विरोध करने की जरुरत होती है, वहां विरोध किया जाता है।
उद्योगों की परेशानी के लिए जनप्रतिनिधि भी परेशान
इस दौरान अजित ने यह भी कहा कि राज्य में उद्योग लगाने वालों को स्थानीय स्तर पर परेशान किया जाता है। इसके लिए जनप्रतिनिधि भी जिम्मेदार हैं।महाराष्ट्र में निवेश करने की तैयारी दिखाने वाली कई कंपनियां राज्य के बाहर चली गयी। इसका एक कारण "प्रोटेक्शन मनी मांगनाभी रहा है।उन्होने कहा कि जो प्रोजेक्ट जिस जगह पर लगाया जाना होता था वहां के स्थानीय विधायक,सांसद और उनके कार्यकर्ता उद्योगपतियों के सामने तरह-तरह के शर्त रखने लगते हैं। वह यह कहते है कि बिल्डिंग मटैरियल हमेशा लो। निर्माण कार्य का ठेका हमें ही दो। कंपनी में सफाईकर्मी से लेकर टेक्नीशियन हमारे मुताबिक भर्ती होने चाहिए।इस तरह की अनेक शिकायतें प्राप्त होती रहती है। ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए।विपक्ष के नेता पवार ने कहा कि एकनाथ शिंदे सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पा रहा है। मुख्यमंत्री के पास कई महकमें हैं वह छह जिले के पालक मंत्री हैं। उन्होंने कहा कि शिवसेना ( शिंदे गुट ) का कोई भविष्य नहीं है। उनके साथ गए कुछ लोग भाजपा में चले जाएंगे कुछ लोग उद्धव ठाकरे के पास वापस आ जाएंगे। उन्होंने नारायण राणे का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके साथ कितने लोग रह गए। राणे शिवसेना से कांग्रेस और बाद में भाजपा में गए तो उनके साथ कालिदास कोलंबकर और उनके बेटे ही रह गए।
Created On :   27 Dec 2022 8:50 PM IST