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हाईकोर्ट ने कहा- सीटों का आवंटन निजी विमानन कंपनियों का व्यावसायिक मामला

डिजिटल डेस्क, मुंबई । सीटों का आवंटन तय करना सस्ते किराए वाली निजी विमानन कंपनियों का व्यावसायिक मामला है। अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में इस बात को स्पष्ट किया है।
न्यायमूर्ति भूषण गवई व न्यायमूर्ति बीपी कुलाबाला की खंडपीठ ने पेशे से वकील यास्मीन तवारिया की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिए । याचिका में तवारिया ने पहली पंक्ति में याचिकाकर्ता ने अतिरिक्त शुल्क पर जताई आपत्ति: बैठने के लिए निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज व इंडिगो एयरलाइंस की ओर से लिए जा रहे अतिरिक्त शुल्क पर आपत्ति जताई थी। इसके साथ ही दावा किया था कि लो कास्ट विमानन कंपनियां पर्सन विथ डिसेबिलिटी कानून से जुड़े नियमों का पालन नहीं कर रही है। याचिका में कहा गया था कि पहली पंक्ति की सीट विकलांग यात्रियों को दी जाए।
अदालत ने खारिज की याचिका: उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में हम दखल नहीं दे सकते। यह सरकार का अपना नीतिगत मामला है। लिहाजा हम सरकार को नहीं कह सकते कि वह अपनी नीत किस तरह से बनाए। हम निजी विमानन कंपनियों को आदेश(रिट) नहीं जारी कर सकते । खंडपीठ ने याचिका आधारहीन करार देते हुए उसे खारिज कर दिया। इस दौरान खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि सीटो का किराया व आवंटन पूरी तरह से व्यावसायिक मामला है। हम इस संबंध में निजी विमानन कंपनियों को आदेश नहीं जारी कर सकते हैं।
याचिका में तवारिया ने कहा था पिछले दिनों मैंने अपने पैर के घुटने का आपरेशन कराया था। जब मैंने एयरलाइन को अपनी दिक्कत बताया तो उन्होंने मुझसे पहली पंक्ति की सीट के लिए अतिरिक्त 600 रुपए लिए। तवारिया ने याचिका में इंडिगो व जेट एयरवेज में बेगलुरु व कर्नाटक की यात्रा के दौरान हुई पीड़ा को बयान किया था याचिका में तवारिया ने कहा था कि जो व्यक्ति मेरे साथ सहयोग के लिए था उसे आखरी पंक्ति की सीट आवंटित की गई थी।
Created On :   23 Dec 2017 12:27 PM GMT