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महावितरण के एग्रिमेंट का कमाल, कंज्यूमर्स को लौटाए 1300 करोड़

अतुल मोदी, नागपुर। आमतौर पर जनता से बिल वसूलने वाले महावितरण ने इस बार उपभोक्ताओं को 1300 करोड़ दिए हैं। वह भी ऐसी मद में जिसे जनता पर पेनाल्टी ही माना जाता है। यह दर है एफएसी यानी फ्यूल एडजेस्टमेंट कास्ट मतलब ईंधन समायोजन शुल्क। विद्युत बिल में विद्युत दर के अलावा स्थाई शुल्क, ईंधन समायोजन शुल्क, विद्युत शुल्क, ब्याज आदि मदें होती हैं। सामान्यत: ईंधन समायोजन शुल्क के नाम पर विद्युत उपभोक्ता को कुछ न कुछ राशि देनी होती है। पिछले वित्त वर्ष में इसका उल्टा ही रहा। महावितरण ने विद्युत खरीद में कुछ ऐसा प्रबंधन किया कि इस मद में उपभोक्ताओं से वसूली करने की जगह 12 माह में से 8 माह कुछ न कुछ राशि उपभोक्ता को दी गई। कुल पिछले वर्ष में दी गई राशि 1300 करोड़ रही।
खरीदी में रखी पैनी नजर
महावितरण के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह इसलिए संभव हो सका, क्योंकि इस बार दीर्घकालीन करार के अंतर्गत भी एमओडी के अनुसार विद्युत खरीद की गई। सबसे पहले सबसे कम दर, फिर उससे मंहगी बिजली को लिया गया। इसी प्रकार लघुकालीन करार और बाजार से खरीदी गई बिजली में भी पैनी नजर से कार्य किया गया और सस्ती से सस्ती बिजली खरीद की गई। सौर व पवन ऊर्जा खरीद में भी इसी तरीके को अपनाया गया। इससे महाराष्ट्र विद्युत नियामक द्वारा आपात स्थिति में बिजली खरीद की अधिकतम दर 4 रुपए 50 पैसे के नीचे विद्युत खरीदी जा सकी। जबकि दीर्घकालीन करार की औसत दर करीब 3 रुपए 75 पैसे से भी नीचे की औसत से बिजली खरीदी जा सकी। यही कारण है कि पिछले वर्ष विद्युत उपभोक्ताओं से एफएसी मद में रकम न लेकर उल्टे उन्हें लाभ दिया गया।
क्या है एफएसी
एफएसी यानि ईंधन समायोजन शुल्क। इसके अंतर्गत दीर्घकालीन करार के अंतर्गत विद्युत खरीद करने पर कोयला, फरनेस आॅयल व अन्य ईंधन की दरों में आने वाले उतार चढ़ाव के अंतर को उपभोक्ताओं से प्रति यूनिट के हिसाब से वसूला जाता है। इसके अलावा आपात स्थिति में महंगी बिजली खरीद होने पर औसत विद्युत दर व खरीद की वास्तविक दर के अंतर को गिना जाता है।
Created On :   10 April 2018 10:38 AM IST