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पांच घंटे नहीं पहुंची एंबुलेंस मरीज ने तड़पकर तोड़ दिया दम
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सुबह 10 बजे तबीयत खराब हुई। पांच घंटे एंबुलेंस नहीं मिलने से तड़पता हुए घर में ही रहना पड़ा। निजी एंबुलेस को फोन करने पर 10 हजार रुपए मांगे गए। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने से सरकारी एंबुलेंस का इंतजार करते रहे। पांच घंटे बाद यानी दोपहर 3 बजे एंबुलेंस पहुंची और मेडिकल ले जाया गया। तब तक काफी देर हो चुकी थी। डॉक्टर ने मरीज को मृत घोषित कर दिया। घटना मानेवाड़ा के योगेश्वरी नगर में शनिवार को घटी। सेवानिवृत्त कर्मचारी सारथी कुमार सोनटक्के ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दुनिया को अलविदा कह दिया।
एंबुलेंस आई, पर अर्थी लेकर गई
कोरोना से शहर की स्वास्थ्य व्यवस्था पर इस कदर बोझ बढ़ गया है कि, किसी को समय पर उपचार मिलना मुश्किल हो गया है। मृतक सारथी सोनटक्के के साथ ऐसा ही हुआ। सुबह 10 बजे तबीयत खराब हुई। उन्हें समय पर अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली। उपचार के अभाव में वे तड़पते रहे। परिवार के साथ एंबुलेंस के लिए इधर-उधर हाथ-पैर मारते रहे। पांच घंटे बाद एंबुलेंस पहुंची, लेकिन जिसे अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस आई थी, वह उनकी अर्थी ले गई। अस्पताल के कैजुअल्टी में पहुंचते ही डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। कोविड जांच के नाम पर शव विच्छेदन गृह भेज दिया गया। रविवार को रिपोर्ट आने के बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा। मृतक सोनटक्के बसपा के पूर्व नागपुर के पूर्व प्रभारी थे।
सरकारी लापरवाही का नतीजा
बसपा ने सोनटक्के की मृत्यु सरकारी लापरवाही के कारण होने का आरोप लगाते हुए महानगरपालिका तथा महाराष्ट्र सरकार से मृतक के परिजनों को 10 लाख रुपए आर्थिक सहायता देने की मांग की है। सोनटक्के की मृत्यु के लिए जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग बसपा के प्रदेश कार्यालयीन सचिव उत्तम शेवड़े ने की है।
Created On :   18 April 2021 6:47 PM IST