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सहकारी बैंक घोटाले के खिलाफ अन्ना हजारे ने दायर की याचिका, अन्ना का दावा - पवार घोटाले के मुख्य सुत्रधार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सामाजिक कार्यकर्ता किसन बाबूराव हजारे उर्फ अन्ना हजारे ने महाराष्ट्र स्टेट को ऑपरेटिव बैंक के 25 हजार करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में आरोपी राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार सहित 69 लोगों को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडबल्यू) द्वारा क्लीनचिट देने के खिलाफ मुंबई की विशेष अदालत में याचिका दायर किया है। इस संबंध में हजारे ने वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश तलेकर के माध्यम अदालत में एक याचिका (प्रोटेस्ट पिटिशन) दायर की है। वैसे इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र मोहन ने भी कोर्ट में याचिका दायर की है। क्योंकि ईओडब्लू ने उनकी शिकायत पर जांच के बाद कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दायर की है। जिसका हजारे ने भी अपनी याचिका में विरोध किया है। याचिका में हजारे ने दावा किया है कि उन्होंने 47 चीनी मिल की अवैध रुप से बिक्री को लेकर मुंबई के रमाबाई पुलिस स्टेशन में शिकायत की थी। इस शिकायत में महाराष्ट्र स्टेट को को-ऑपरेटिव बैंक व डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक में कर्ज देने में हुई कथित गड़बड़ी का दावा किया गया था।
याचिका में हजारे ने कहा है कि पुलिस ने कई साल बीत जाने के बाद भी मामले में कोई एफआईआर नहीं दर्ज की है। इस बीच मैंने (हजारे) हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें इस मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार की कथित भूमिका को उजागर किया गया था। याचिका में सीबीआई जांच की मांग की गई थी। लेकिन मामले के जांच अधिकारी श्रीकांत परोपकारी ने बिना जांच के ही मेरे आरोपों को लेकर पवार को क्लीनचिट दे दी थी। जबकि पवार मुख्य सूत्रधार थे। याचिका में हजारे ने कहा है कि उन्होंने हाईकोर्ट के कहने के बाद भी पुलिस में शिकायत की थी। शिकायत के लिए मैंने कैग, नाबार्ड, महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक की आडिट रिपोर्ट व शक्कर आयुक्त की जांच रिपोर्ट को आधार बनाया गया था।
याचिका में हजारे ने कहा है कि सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र मोहन व उनकी शिकायत में काफी समानता है। ऐसे में यदि कोर्ट ईओडब्लू की रिपोर्ट को स्वीकार कर लेती है तो उनकी शिकायत अर्थहीन हो जाएगी। इसलिए ईओडब्लू की रिपोर्ट को स्वीकार करने से पहले उनकी बातों को भी सुना जाए। याचिका में श्री हजारे ने कहा है कि मामले को लेकर ईओडब्लू की रिपोर्ट सिर्फ महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक अजीत देशमुख के बयान पर आधारित है। स्वतंत्र रुप से इसकी जांच नहीं की गई है। इसलिए ईओडब्लू की रिपोर्ट को न स्वीकार किया जाए।
गौरतलब है कि ईओडब्लू ने विशेष अदालत में सुरेंद्र मोहन की शिकायत पर जांच के बाद अक्टूबर 2020 में दायर की गई कई हजारों पन्नों की क्लोजर रिपोर्ट में इस मामले को सिविल स्वरुप का माना है। ईओडब्लू ने दावा किया है कि पूरे प्रकरण में संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं होता है। क्योंकि इस मामले में कोई आपराधिक पहलू नही है। पूरा प्रकरण सिविल नेचर का है। इस मामले की जांच के लिए ईओडब्लू ने विशेष जांच दल का गठन किया था।
हाईकोर्ट ने ईओडब्लू को लगाई थी फटकार
इससे पहले हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच में निष्क्रियता दिखाने के लिए ईओडब्लू को कड़ी फटकार लगाई थी। और कहा था कि इस प्रकरण में मामला दर्ज करने के लिए पर्याप्त सबूत है। इसके बाद साल 2007 और 2011 के दौरान हुए इस कथित घोटाले में ईओडबल्यू ने सक्रियता दिखाते हुए जांच की शुरुआत की थी।
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