बॉम्बे हाई कोर्ट: राहुल गांधी के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई नहीं, गेटवे ऑफ इंडिया पर नए यात्री जेटी के निर्माण का रास्ता साफ

राहुल गांधी के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई नहीं, गेटवे ऑफ इंडिया पर नए यात्री जेटी के निर्माण का रास्ता साफ
  • नए बुनियादी निर्माण में एक टर्मिनल प्लेटफॉर्म, 150 कारों की पार्किंग, एक वीआईपी लाउंज, एक एम्फीथिएटर, फूड कोर्ट, कैफे और टिकट काउंटर होंगे शामिल
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने सावरकर पर टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई से किया इनकार
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने 800 करोड़ के मुंबई बंदरगाह घोटाले में टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स के खिलाफ सीबीआई जांच पर लगाई रोक

Mumbai News. बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को गेटवे ऑफ इंडिया पर एक नए यात्री जेटी और टर्मिनल के निर्माण की राज्य सरकार की योजना को मंजूरी दे दी। अदालत ने कहा कि हम राज्य सरकार और मुंबई मैरीटाइम बोर्ड (एमएमबी) के इस परियोजना के निर्माण के निर्णय की वैधता को बरकरार रखते हैं। रेडियो क्लब के पास गेटवे ऑफ इंडिया से सटे समुद्र के सामने या सैरगाह में यात्री जेटी और टर्मिनल सुविधाएं दी जाएगी। हम याचिकाकर्ताओं की ओर से दी गई इस दलील को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं कि 28 जनवरी 2025 की ट्रैफिक एनओसी को रद्द किया जाना चाहिए। मुंबई ट्रैफिक पुलिस द्वारा जारी ट्रैफिक एनओसी वैध और मान्य है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि परियोजना का प्रमुख उद्देश्य यात्रियों को चढ़ने और उतरने के लिए सुविधाएं प्रदान करना है। अन्य सुविधाएं जैसे एम्फीथिएटर और रेस्टोरेंट या कैफे परियोजना के केवल सहायक हैं। इसलिए इनका उपयोग केवल यात्री जेटी को कार्यात्मक बनाने के लिए ही किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि हम इस तथ्य से भी अवगत हैं कि परियोजना में कोई सीवेज उपचार संयंत्र प्रस्तावित नहीं है। इन सुविधाओं का संचालन पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं होना चाहिए। पीठ ने यह भी कहा कि एमएमबी यह सुनिश्चित करेगा कि एम्फीथिएटर का उपयोग केवल जेटी पर चढ़ने के लिए प्रतीक्षा कर रहे यात्रियों के बैठने की जगह के रूप में किया जाएगा और इसका उपयोग किसी भी तरह से मनोरंजन के स्थान के रूप में नहीं किया जाएगा। प्रस्तावित रेस्टोरेंट या कैफे का उपयोग केवल यात्रियों को पानी और पैक किए हुए खाद्य उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए किया जाएगा और भोजन सुविधा प्रदान करने के लिए इसका उपयोग नहीं किया जाएगा। पीठ ने कहा कि परियोजना के लिए जारी हेरिटेज एनओसी में कोई खामी नहीं है। उत्तर सकारात्मक रूप में दिया जाता है, जिसमें कहा गया है कि 7 फरवरी 2025 की हेरिटेज एनओसी कानूनी और वैध है। नए बुनियादी ढांचे में एक टर्मिनल प्लेटफ़ॉर्म, 150 कारों की पार्किंग, एक वीआईपी लाउंज, एक एम्फीथिएटर, फूड कोर्ट, कैफे और टिकट काउंटर शामिल होंगे। 35 लाख यात्री हर साल दक्षिण मुंबई से रायगढ़ जिले के अलीबाग जैसे गंतव्यों तक जाने के लिए इन चार जेटी का उपयोग करते हैं। गेटवे ऑफ इंडिया पर नई परियोजना के पूरा होने के बाद मौजूदा जेटी को भारतीय नौसेना के निर्देशानुसार चरणबद्ध तरीके से बंद कर दिया जाएगा। याचिकाओं में महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (सीजेडएमए) द्वारा 2 मार्च 2023 को पारित उस आदेश को रद्द करने और निरस्त करने का अनुरोध किया गया था, जिसमें परियोजना को मंजूरी दी गई थी। याचिकाकर्ताओं द्वारा मुंबई यातायात पुलिस द्वारा जारी 28 जनवरी 2025 के अनापत्ति प्रमाण पत्र और विरासत संरक्षण समिति (एचसीसी) और मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) द्वारा जारी 7 फरवरी 2025 के अनापत्ति प्रमाण पत्र को भी रद्द करने और निरस्त करने का भी अनुरोध किया था।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने सावरकर पर टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के स्वातंत्र्यवीर विनायक सावरकर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। याचिका में राहुल गांधी के सावरकर पर टिप्पणी करने और उनके योगदान की अनदेखी बंद करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 27 मई को याचिकाकर्ता अभिनव भारत कांग्रेस का सह-संस्थापक पंकज फडनीस द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था। फडनीस ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दलील दिया था कि राहुल गांधी सावरकर के खिलाफ टिप्पणी करके मौलिक कर्तव्यों का उल्लंघन कर रहे हैं। याचिका में सावरकर का नाम प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग निवारण) अधिनियम की अनुसूची में शामिल करने का भी अनुरोध किया गया था। पीठ ने कहा कि यह न्यायालय राहुल गांधी को इस जनहित याचिका की विषयवस्तु का अध्ययन करने और सावरकर के योगदान के बारे में अज्ञानता को दूर करने के निर्देश नहीं दे सकता है। विनायक सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर ने गांधी के खिलाफ पहले ही आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर कर रखा है और यह पुणे की अदालत में लंबित है। एक पक्षकार के रूप में व्यक्तिगत रूप से पेश फडनीस ने दलील दी कि विपक्षी दल के नेता (एलओपी) होने के नाते राहुल गांधी सावरकर के खिलाफ ऐसी टिप्पणी नहीं कर सकते। एक संवैधानिक पद पर आसीन होने के नाते वह अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं कर सकते। वह भ्रम पैदा करके देश के युवाओं को गुमराह कर रहे हैं। युवा पीढ़ी प्रधानमंत्री की तुलना में विपक्ष के नेता पर ज्यादा विश्वास करती है। वह भ्रम पैदा नहीं कर सकते। पीठ ने जनहित याचिका में की गई प्रार्थनाओं को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उसने याचिकाकर्ता को उचित मंच पर अपनी शिकायत व्यक्त करने की छूट देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने 800 करोड़ के मुंबई बंदरगाह घोटाले में टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स के खिलाफ सीबीआई जांच पर लगाई रोक

वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण (जेएनपीए) की राजधानी ड्रेजिंग परियोजना में कथित 800 करोड़ रुपए के घोटाले के संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एक मामले में टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स (टीसीई) के खिलाफ जांच पर रोक लगा दी। अदालत ने इसके लिए तलाशी और जब्ती में गंभीर खामियों का हवाला दिया है। न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ के समक्ष टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स (टीसीई) की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में टीसीई द्वारा दर्ज एफआईआर को रद्द करने का अनुरोध करते हुए दावा किया गया है कि उसकी भूमिका केवल परामर्श तक ही सीमित है। वित्तीय या संविदात्मक कदाचार में उसकी कोई संलिप्तता नहीं है। कंपनी का कहना है कि उसके खिलाफ आरोपों का समर्थन करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है। पीठ ने इस मामले में तलाशी और जब्ती में गंभीर खामियों का हवाला देते हुए जांच पर रोक लगा दिया है। यह मामला 2003 की एक परियोजना से संबंधित था, जिसका उद्देश्य जेएनपीए और मुंबई बंदरगाह के बीच साझा नौवहन चैनल का विस्तार करके बड़े मालवाहक जहाजों को समायोजित करना था। परियोजना के पहले चरण की अंतिम परियोजना योजना रिपोर्ट 2010 में टीसीई द्वारा प्रस्तुत की गई थी, जिसे परियोजना प्रबंधन का सलाहकार नियुक्त किया गया था। टीसीई की जिम्मेदारियों में निविदा दस्तावेज तैयार करना और परियोजना कार्यान्वयन की निगरानी शामिल थी। सीबीआई द्वारा 18 जून को दर्ज की गई एक एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि जेएनपीए और टीसीई के प्रमुख अधिकारी एक आपराधिक साजिश में शामिल थे, जिसके कारण परियोजना के दोनों चरणों में भारी वित्तीय नुकसान हुआ। सीबीआई के अनुसार पहले चरण में 365 करोड़ 90 लाख रुपए और दूसरे चरण में 438 करोड़ रुपए का अधिक भुगतान परियोजना के आंकड़ों में हेरफेर के आधार पर किया गया, जिसमें झूठे ओवर-ड्रेजिंग दावे और छेड़छाड़ किए गए सर्वेक्षण रिकॉर्ड शामिल थे। सीबीआई की मुंबई और चेन्नई में कई परिसरों पर की गई छापेमारी में तकनीकी दस्तावेज, डिजिटल साक्ष्य और परियोजना से जुड़े सरकारी अधिकारियों से कथित रूप से जुड़े संदिग्ध निवेश के रिकॉर्ड बरामद हुए थे। सीबीआई की एफआईआर में टीसीई के साथ-साथ उसके निदेशक देवदत्त बोस, जेएनपीए के पूर्व मुख्य प्रबंधक सुनील कुमार मदाभवी, बोसकालिस स्मिट इंडिया एलएलपी, जान दे नुल ड्रेजिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और अन्य सरकारी अधिकारियों का नाम शामिल है।

Created On :   15 July 2025 9:26 PM IST

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