इंडियन ओवरसीज बैंक फर्जीवाड़ा : होम लोन के नाम पर 2 करोड़ 35 लाख से अधिक का घोटाला

Another bank fraud, fraudster frauds 2 crore 35 lakhs in IOB bank
इंडियन ओवरसीज बैंक फर्जीवाड़ा : होम लोन के नाम पर 2 करोड़ 35 लाख से अधिक का घोटाला
इंडियन ओवरसीज बैंक फर्जीवाड़ा : होम लोन के नाम पर 2 करोड़ 35 लाख से अधिक का घोटाला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। इंडियन ओवरसीज बैंक का और एक फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। अधिकारियों की मिलीभगत से दर्जन भर कर्जदारों ने बैंक को दो करोड़ रुपए से भी अधिक का चूना लगाया है। अपराध शाखा के आर्थिक विभाग ने बैंक की तत्कालीन महिला सहायक प्रबंधक को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपी प्रणाली चरणदास बगले एकता नगर, बोरगांव निवासी है। दो दिन पहले ही उसकी जमानत याचिका खारिज हुई है। इसके तत्काल बाद अपराध शाखा के आर्थिक विभाग ने प्रणाली पर शिकंजा कसा और उसे गिरफ्तार किया है।

इसके पूर्व सेवानिवृत्त प्रबंधक सुरेश गणपतराव भंडारकर न्यू. सुभेदार ले-आउट और सेवानिवृत्त सहायक प्रबंधक गोपीचंद खांडेकर विश्राम नगर निवासी को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। ये लोग हनुमान नगर स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में पूर्व में कार्यरत थे। 

ये हैं आरोपी
पद का दुरुपयोग करते हुए इन अधिकारियों ने दस्तावेजों की बगैर जांच-पड़ताल किए आरोपी शबीना अरशद खान, अरशद खान दोनों पंचशील नगर, शाहिद अहमद जमील अहमद, वसीम अमीद जमील अहमद, वकील अहमद जमील अहमद, रानी वसीम अहमद खान चारों यादव नगर, संगीता जयंत इटनकर, जयंत इंटनकर दोनों पार्वती नगर, योगेश महादेव वांढरे शेष नगर, गुरफान अली शेख अजनी, मोहम्मद अफसर आजम अजनी और रेहाना इस्माइल शेख अजनी निवासी है।

जुलाई 2015 से अप्रैल 2016 के बीच में इन आरोपियों ने इंडियन ओवरसीज बैंक शाखा हनुमान नगर में गृह कर्ज के लिए आवेदन किया था। प्रकरण में लिप्त तत्कालीन बैंक अधिकारियों ने दस्तावेजों की बगैर जांच-पड़ताल किए ऐसे 7 प्रकरणों में आरोपियों को करीब 2 करोड़ 35 लाख 38 हजार रुपए का कर्ज दिया है।

इन आरोपियों को विभाग ने किया सस्पेंड
आरोपी जयंत इटनकर राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज विद्यापीठ में चौकीदार था तथा आरोपी मोहम्मद अफसर आजम शेख मृदा सर्वेक्षण विभाग में है। इन दोनों की भी धोखाधड़ी उजागर होने से विभाग ने उन्हें निलंबित कर दिया है। 

फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए 
कर्ज के लिए बैंक में प्रस्तुत किए गए दस्तावेज फर्जी होने का खुलासा हुआ है। कर्ज मिलने के बाद आरोपियों ने कुछ महीने बैंक में किस्त जमा की। बाद में उन्होंने कर्ज की किस्त देना भी बंद कर दिया था। यह सब बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से ही संभव हुआ है। 23 अप्रैल 2018 को वर्तमान बैंक प्रबंधक देवराव मौदेकर की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ इमामवाड़ा थाने में प्रकरण दर्ज किया गया था।

मामला करोड़ों रुपए से जुड़ा होने के कारण इसकी जांच अपराध शाखा के आर्थिक विभाग को सौंपी गई थी। इसकी भनक लगते ही तत्कालीन बैंक अधिकारियों ने गिरफ्तारी टालने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, मगर प्रकरण की गंभीरता से अदालत ने उनकी जमानत यााचिका खारिज कर दी, जिससे उन्हें बारी-बारी से गिरफ्तार किया गया है। 

Created On :   28 Jun 2018 3:29 PM IST

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