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शिक्षा विभाग से 1298 फाइलें गायब, रोक के बावजूद की गई नियुक्तियां

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी दफ्तर से महत्वपूर्ण फाइलें गायब हो तो प्रशासकीय सुरक्षा पर सवालिया निशान लगना लाजिमी है । जिला परिषद के माध्यमिक शिक्षा विभाग से 1298 फाइल गायब हैं। भर्ती पर रोक लगाए जाने के बाद नियुक्तियां किए जाने का मामला उजागर होने से इन फाइलों को जान-बूझ कर गायब किए जाने की आशंका जताई जा रही है। इनमें निजी स्कूलों में शिक्षकों के पदों को मंजूरी तथा नियमित किए जाने के मामलों से संबंधित फाइलों का समावेश हैं। शिक्षकों के पद मंजूरी की 712 में से केवल 322 और नियमितिकरण के 1000 पदों में से केवल 92 कुल मिलाकर 414 फाइल शिक्षा विभाग के पास उपलब्ध होने का अभिलेख अवलोकन में खुलासा हुआ है।
अभिलेख अवलोकन से खुली पोल
वर्ष 2012 से 2016 दौरान निजी स्कूलों में शिक्षकों के पदों को मंजूरी तथा नियमितिकरण अभिलेख का अवलोकन करने गुप्ता ने शिक्षा विभाग को पत्र दिया था। उन्हें 27 और 28 अक्टूबर को अभिलेख के अवलोकन के लिए बुलाया गया। अवलोकन में 322 शिक्षकों के पदों को मंजूरी तथा 92 शिक्षकों को नियमित किए जाने के अभिलेख दिखाए गए। वहीं शिक्षण आयुक्त को 170 शिक्षकों को नियमित किए जाने की जानकारी दी गई। जबकि ‘पे यूनिट’ से 712 शिक्षक के मंजूर पद तथा 1000 से अधिक शिक्षकों को नियमित कर वेतन अदा किया गया है। शिक्षकों के मंजूर पदों की 390 तथा नियमित किए गए शिक्षकों की 908 फाइल गायब होने से शिक्षा विभाग अवलोकन के लिए नहीं दे पाया। शिक्षक पद मंजूरी तथा नियमितिकरण की 1712 फाइलों में से शिक्षा विभाग के पास केवल 414 फाइल उपलब्ध हैं। बाकी 1298 फाइलों का शिक्षा विभाग को कोई अता-पता नहीं है।
117 पदों पर नियुक्ति, 13 पद रद्द: शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की भर्ती पर वर्ष 2010 से बंदी लगाई गई है। इसके बावजूद लिपिक, चपरासी तथा प्रयोगशाला सहायकों के 200 पदों को मंजूरी प्रदान कर वेतन अदा किया गया। शिक्षण संचालक ने 23 फरवरी 2017 को इसमें से 117 पदों को अवैध करार दिया। उनकी तत्काल सुनवाई कर पदों को रद्द करने के आदेश दिए। इसमें से केवल 13 पद रद्द किए जाने की सूत्रों से जानकारी मिली है।
फाइलें गायब की गई: शिक्षक भर्ती रोक के दौरान अवैध तरीके से शिक्षकों के पदों को मंजूरी दी गई। नियमितिकरण में शिक्षण सेवक कालावधि पूरा किए बिना सीधे नियमित कर वेतन अदा किया गया। ‘पे यूनिट’ से दस्तावेजों में इस बात का खुलासा हुआ है। पोल खुलने से मामले को दबाने के लिए फाइल गायब बताई जा रही हैं। फाइल गायब नहीं हुई, उसे गायब किए जाने की आंशका जताई जा रही है।
सूचना अधिकार के तहत मिली जानकारी
मई 2012 में शासनादेश जारी कर स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती पर रोक लगाई गई थी। इसके बाद वर्ष 2014 में शासनादेश जारी कर केवल अंग्रेजी, गणित और विज्ञान विषय के शिक्षकों की भर्ती करने की अनुमति दी थी। इसमें भी सरकार की पूर्व अनुमति की शर्त रखी गई थी। शासनादेश के ताक पर रखकर खुलेआम सभी विषयों के शिक्षकों की नियुक्ति का सिलसिला जारी रहा। वर्ष 2012 से 2016 दौरान 712 शिक्षकों के पदों को मंजूरी तथा 1000 से अधिक शिक्षकों को नियमित किए जाने की जानकारी सामने आई है। इन शिक्षकों को वेतन अदा किए जाने की जानकारी आरटीआई एक्टिविस्ट विजय गुप्ता को सूचना अधिकार अंतर्गत पे यूनिट से मिली है।
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Created On :   18 Dec 2017 10:32 AM IST