बुलेट ट्रेन : 53467 मैंग्रोव काटने के लिए पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी, विरोध में पालघर के किसान

Approval for cutting 53467 mangroves for bullet train project
बुलेट ट्रेन : 53467 मैंग्रोव काटने के लिए पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी, विरोध में पालघर के किसान
बुलेट ट्रेन : 53467 मैंग्रोव काटने के लिए पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी, विरोध में पालघर के किसान

डिजिटल डेस्क, मुंबई। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए 53467 मैंग्रोव काटने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। यह मैंग्रोव 13 हेक्टर से अधिक जमीन पर फैले हुए हैं। सोमवार को याचिकाकर्ता के वकील ने बांबे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी। नेशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड (एनएचआरसी) ने इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति भूषण गवई की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिकाकर्ता के वकील की ओर से दी गई इस जानकारी के बाद केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता रुई रोड्रिक्स ने कहा कि मैंग्रोव को काटने की अनुमति दी गई है कि नहीं उन्हें इसका रिकार्ड से सत्यापन करना पड़ेगा। इसलिए उन्हें थोड़ा वक्त दिया जाए। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी है। इससे पहले महाराष्ट्र कोस्टल जोन रेग्युलेशन अथारिटी ने 508 किमी कि बुलेट ट्रेन परियोजना में अवरोध पैदा करनेवाले मैंग्रोव को काटने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी थी। गौरतलब है कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद मुंबई से अहमदाबाद के बीच साढे छ: घंटे की दूरी महज ढाई घंटे में तय की जा सकेगी। 

बुलेट ट्रेन के विरोध में हैं पालघर के किसान

उधर परियोजना बुलेट ट्रेन के लिए सबसे ज्यादा 280 हेक्टेयर जमीन का भूमिअधिग्रहण पालघर जिले में होना है। यहां से भाजपा का सांसद भी है लेकिन सरकार किसानों की नाराजगी दूर करने में कामयाब नहीं हो पा रही है। किसान चार गुना कीमत पर भी अपनी जमीन इस परियोजना के लिए देने को तैयार नहीं हैं। परियोजना के लिए दिसंबर 2018 तक पूरी जमीन का अधिग्रहण किया जाना था लेकिन हालत यह है कि पालघर में सिर्फ 10 फीसदी जमीन का ही अधिग्रहण हो पाया है। जिस इलाके से बुलेट ट्रेन गुजरेगी वह धान की खेती और चीकू के बागीचों के लिए मशहूर है। किसानों का कहना है कि बुलेट ट्रेन से उन्हें कोई फायदा नहीं होगा। न ट्रेन उनके लिए रुकेगी न वे इसमें सवार होने की हैसियत रखते हैं, लेकिन एक बार जमीन हाथ से निकल गई तो उनके पास कुछ नहीं बचेगा। बुलेट ट्रेन महाराष्ट्र और गुजरात के 11 जिलों से होकर गुजरेगी। एक लाख करोड़ रूपए से ज्यादा की इस परियोजना के लिए 1414 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की जरूरत होगी। लेकिन अब तक एक तिहाई जमीन का ही अधिग्रहण हो पाया है। परियोजना की जिम्मेदारी जिस नेशनल हाईस्पीड रेल कॉर्पोरेशन की है, वह किसानों को जमीन देने के लिए राजी नहीं कर पा रहा है। अधिकारियों का दावा है कि किसानों को कई तरह की गलतफहमियां हैं जिन्हें दूर करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि अब यह लोकसभा सीट शिवसेना के कोटे में है जो बुलेट ट्रेन परियोजना को लेकर तंज कसती रही है ऐसे में 2023 तक परियोजना के पूरा होने का ख्वाब हकीकत में तब्दील नहीं होता दिख रहा है। 
 

Created On :   8 April 2019 1:54 PM GMT

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