ऑरेंज सिटी फिल्म फेस्टिवल का शानदार समापन, गडकरी बोले-,कला, सिनेमा-साहित्य समाज के लिए जरूरी

Arts, cinema and literature are essential for the society-Gadkari
ऑरेंज सिटी फिल्म फेस्टिवल का शानदार समापन, गडकरी बोले-,कला, सिनेमा-साहित्य समाज के लिए जरूरी
ऑरेंज सिटी फिल्म फेस्टिवल का शानदार समापन, गडकरी बोले-,कला, सिनेमा-साहित्य समाज के लिए जरूरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कला, सिनेमा और साहित्य समाज के लिए आवश्यक हैं। बेहतर सिनेमा बनाना भी जरूरी है। इससे अच्छे समाज का निर्माण होता है। केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने रविवार को ऑरेंज सिटी फिल्म फेस्टिवल के समापन अवसर पर कालिदास ऑडिटोरियम में बोल रहे थे। गडकरी मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर डॉ. जब्बार पटेल मौजूद थे। इस दौरान अजय गंपावार ने अभिनेत्री रोहिणी हट्टंगड़ी से बातचीत की, जिसमें अभिनेत्री ने कहा कि 1982 में आई फिल्म ‘गांधी’ में 27 की उम्र में 74 वर्ष की कस्तूरबा गांधी का रोल निभाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी।

सांस्कृतिक विकास जरूरी
गडकरी ने कहा कि नागपुर का चौतरफा विकास हो रहा है। सिर्फ विज्ञान के विकास से ही समाज का विकास संभव नहीं है, इसके लिए सांस्कृतिक विकास भी अावश्यक है। उन्होंने ऑरेंज सिटी फिल्म फेस्टिवल की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत में भी अच्छी फिल्में बनी हैं। कार्यक्रम के दौरान डॉ. चंद्रशेखर मेश्राम ने कहा कि फेस्टिवल को बेहतरीन प्रतिसाद मिला। इसे दर्शकों ने भी सराहा। डॉ. जब्बार पटेल ने कहा कि फिल्म फेस्टिवल से नौजवानों को काफी फायदा हुअा। उन्हें सिनेमा के दिग्गजों से मिलने का मौका मिला।

बापू की शीतल छाया और अन्य किताबें पढ़ीं
‘गांधी’ फिल्म में गांधी का किरदार विदेशी कलाकार बेन किंग्सले ने निभाया था, लेकिन कस्तूरबा बाई के रोल के लिए रोहिणी हट्टंगड़ी को चुना गया था। इस रोल के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की। बापू की शीतल छाया और अन्य िकताबें पढ़ीं। बता दें, जब रोहिणी ने 74 साल की कस्तूरबा गांधी का रोल किया था, तब वह सिर्फ 27 साल की थीं। कस्तूरबा गांधी के रोल के लिए रोहिणी हट्टंगड़ी को बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस कैटेगरी के लिए अवॉर्ड मिला था। उन्होंने अपने किरदार से जुड़ी कई बातें शेयर की।

दिलचस्प कहानी बयां की
रोहिणी ने कस्तूर गांधी का रोल मिलने की दिलचस्प कहानी बयां करते हुए कहा कि वे मराठी थियेटर में काम करती थीं। कास्टिंग डायरेक्टर ने बताया कि रिचर्ड एटनबरो कस्तूरबा गांधी के रोल की हीरोइन की तलाश में शहर आ रहे हैं। बाद में वे उस रोल के लिए चुन ली गईं। यह रोल रोहिणी को मिल तो गया था, लेकिन इसके लिए उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ी। क्योंकि पर्दे पर कस्तूरबा गांधी के 27 से 74 साल के सफर को दिखाना था।

दुनिया में मिली सराहना
रोहिणी ने अपने कैरियर की शुरुआत मराठी रंगमंच से की थी। बचपन से ही उनकी आत्मा थिएटर में बसी थी और वो सिर्फ एक कलाकार बनना चाहती थीं। उन्होंने फ़िल्मों के बारे में सोचा ही नहीं था, इसलिए एफटीटीआई उनके होम टाउन में होने के बावजूद उन्होंने 1971 में एनएसडी ज्वाइन किया। एनएसडी दिल्ली में ही उनकी मुलाकात बैच-मेट जयदेव हट्टंगड़ी से हुई, जो आगे चलकर उनके जीवनसाथी बन गए। 1982 में रिचर्ड एटनबर्ग की फिल्म गांधी में कस्तूरबा के अभिनय के लिए उन्हें दुनिया भर में सराहा गया।

‘वंस मोर’ में कर रही हैं अभिनय
इस फिल्म में सहायक अभिनेत्री के रूप में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए उन्हें बाफ्टा अवार्ड से सम्मानित किया गया। इसके अलावा अर्थ, सारांश, पार्टी, मोहनजोशी हाजिर हों, अग्निपथ, दामिनी, घातक और पुकार जैसी तमाम फ़िल्मों में उनके ज़बरदस्त अभिनय को सराहा गया। बातचीत के दौरान रोहिणी हट्टंगड़ी  ने कहा कि महेश भट्ट बेहतरीन निर्देशक हैं। वह अभिनेता संजीव कूपर की बहुत बड़ी फैन थीं। उन्होंने कभी नहीं सोचा कि कोई हीरो बड़ा है या छोटा। रोल बेहतर होना चाािहए। वे मशहूर शेफ विष्णु मनोहर के फिल्म ‘वंस मोर’ में अभिनय कर रही हैं।

Created On :   5 Feb 2018 12:52 PM GMT

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