प्रमोशन में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं आठवले, संसद में कानून बनाने की करेंगे मांग

Athavle is not agree with Supreme court verdict on reservation
प्रमोशन में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं आठवले, संसद में कानून बनाने की करेंगे मांग
प्रमोशन में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं आठवले, संसद में कानून बनाने की करेंगे मांग

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री व रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामदास अाठवले ने पदोन्नति में अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण देने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असहमति व्यक्त की है। पदोन्नति में आरक्षण देने के विषय में निर्णय लेने का अधिकार राज्य सरकारों पर छोड़ने को अनुचित मानते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि सभी राज्य सरकारे आरक्षण देने के बारे में निर्णय लेगी ही। इसलिए अनुसूचित जाति व पिछड़े वर्ग के लोगों को संविधान से मिले आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। जबकि कानूनी रुप से इस जाति के लोगों को आरक्षण पाने का का अधिकार है। उन्होंने कहा कि इसके लिए वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद में कानून बनाने की मांग करेंगे। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए आठवले ने कहा कि इस निर्णय से मैं पूरी तरह असहमत हूं और यह निर्णय देश के अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ अन्याय है। उन्होने कहा कि बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान में दिया गया आरक्षण प्रत्येक स्थान और प्रत्येक क्षेत्र में लागू होना चाहिए ताकि समाज के वंचित तबके की भागीदारी हर जगह सुनिश्चित हो सके।

आठवले ने कहा कि राजग के सहयोगी दलों की बैठक में इस मसले को वह प्रधानमंत्री मोदी के सामने उठा चुके हैं और अब निर्णय आने के बाद जल्द ही प्रधानमंत्री से मिलकर इस प्रमोशन मेें आरक्षण दिए जाने का बिल संसद में पारित कराने की मांग करूंगा। उन्होेने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री मोदी दलित समाज के साथ अन्याय नहीं होने देंगे और प्रमोशन में आरक्षण दिए जाने का कानून बनाएंगे। 

माया ने फैसले का कुछ हद तक किया स्वागत   

उधर बसपा सुप्रीमों मायावती ने पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कुछ हद तक स्वागत किया है। उन्होने कहा है कि शीर्ष अदालत ने पदोन्नति में अारक्षण देने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। उन्होने कहा कि राज्यों के लिए ऐसी कोई शर्त्त नहीं है कि वे पिछड़पन के आंकड़े एकत्र करें। राज्यों को पदोन्नति में आरक्षण देने का फैसला सकारात्मक रूप से लेना चाहिए। माया ने कहा कि हमने लगातार संविधान संशोधन की बात की है, जिससे राज्यसभा ने पारित कर दिया था लेकिन अफसोस की बात है कि खुद को दलित व आदिवासियों का हितैषी बताने वाली भाजपा ने चार साल बीत जाने पर भी इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की है। भाजपा यदि वाकई इन वर्गों की हितैषी है तो उसे राज्यों व संबंध विभागों को पत्र भेजकर कहना चाहिए कि वे इस फैसले को सकारात्मक ढंग से ले और कार्यान्वयन करें। बसपा सुप्रीमों ने कहा कि बेहतर होगा कि केन्द्र सरकार संविधान संशोधन पारित कराए ताकि इस मुद्दे का हमेशा के लिए समाधान हो जाए।
 

Created On :   26 Sep 2018 4:01 PM GMT

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