अब ऑटोनोमस संस्थाएं मांग रहीं PhD कराने की परमिशन

Autonomous institutes are demanding the permission of Phd course
अब ऑटोनोमस संस्थाएं मांग रहीं PhD कराने की परमिशन
अब ऑटोनोमस संस्थाएं मांग रहीं PhD कराने की परमिशन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में पहले से ही अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्रियां दे रहीं निजी ऑटोनोमस शिक्षा संस्थाएं अब शोधार्थियों को पीएचडी कराने की भी तैयारी कर रही हैं। संस्थाओं की मंशा है कि जिस तरह अंडर और पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों को वे स्वयं डिजाइन करके, परीक्षाएं लेकर नतीजे जारी करते हैं और अंतत: विद्यार्थियों को डिग्री नागपुर विश्वविद्यालय की मिलती है, ठीक ऐसे ही पीएचडी रिसर्च के मामले में भी हो।

यूनिवर्सिटी को भेजा प्रस्ताव
शोधार्थी उनके यहां ही रिसर्च पूर्ण करें और अंतत: यूनिवर्सिटी शोधार्थी को पीएचडी डिग्री दें। शहर की एक बड़े ऑटोनोमस दर्जा प्राप्त शिक्षा संस्थान ने ऐसा ही एक प्रस्ताव हाल ही में नागपुर विश्वविद्यालय को भेजा। जिसमें यूजीसी के प्रावधानों का हवाला देते हुए नागपुर  यूनिवर्सिटी से शोधार्थियों को पीएचडी भी प्रदान करने की अनुमति देने की गुजारिश की गई, लेकिन विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ डीन्स ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। दरअसल उच्च शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ऑटोनोमस संस्थाओं को बढ़ावा दिया है, जो शिक्षा संस्थाएं विविध मापदंडों की पूर्ति करती है, उन्हें ऑटोनोमस का दर्जा दिया जाता है। शहर में ऐसे कुछ बड़े शिक्षा संस्थान हैं, जिन्हें एकेडमिक स्वायत्ता मिली हुई है। ये कॉलेज मुख्य रूप से इंजीनियरिंग, एमबीए, लॉ और कुछ पारंपारिक पाठ्यक्रम पढ़ाते हैं।

इसलिए खारिज किया प्रस्ताव
प्रशासकीय मामलों के लिए ये नागपुर विश्वविद्यालय पर आश्रित हैं। ऐसे में अब यूजी और पीजी डिग्री के बाद पीएचडी की मांग होने लगी है, लेकिन इधर नागपुर विश्वविद्यालय ने बीते कुछ वर्षों में अपनी पीएचडी डिग्री की गुणवत्ता में सुधार के लिए पीएचडी प्रक्रिया में बड़े बदलाव किए हैं। यूनिवर्सिटी जहां कुछ वर्षों पूर्व दीक्षांत समारोह में 800 से ज्यादा पीएचडी डिग्रियां प्रदान करता था, अब यह संख्या घट कर 400 तक आ गई है। आगामी वर्षों में यह संख्या और कम होगी। यूनिवर्सिटी का दावा है कि वे पीएचडी डिग्रियों की संख्या नहीं बल्कि गुणवत्ता बढ़ाना चाहते हैं। ऐसे में निजी शिक्षा संस्था को पीएचडी की जिम्मेदारी सौंपना नागपुर विवि को रास नहीं आया।

सूत्रों की मानें, तो आधिकारिक चर्चा में निकलकर आया कि निजी संस्थाओं को इस प्रकार के अधिकार दिए जाने से पीएचडी डिग्रियों की गुणवत्ता समाप्त हो सकती है। यहां तक कि इसमें कई अनिमितताएं भी जुड़ सकती हैं। ऐसे में संस्था का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया।

Created On :   15 Dec 2018 4:43 PM IST

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