एड्स के प्रति जागरुकता लाई रंग, मरीजों में 60 प्रतिशत की कमी

Awerness Campign For Aids
एड्स के प्रति जागरुकता लाई रंग, मरीजों में 60 प्रतिशत की कमी
एड्स के प्रति जागरुकता लाई रंग, मरीजों में 60 प्रतिशत की कमी

डिजिटल डेस्क, मुंबई।  एड्स एक खतरनाक बीमारी है,   इस बीमारी का काफी देर बाद पता चलता है अन्य बीमारी के भ्रम में यह बीमारी बढ़ती जाती है लेकिन पिछले कुछ सालों में एचआईवी को लेकर जनजागरूकता रंग लाई है । फलस्वरुप राज्य में साल 2010 की तुलना में एचआईवी ग्रस्त की संख्या में लगभग 60 प्रतिशत कमी आई है। राज्य में साल 2010 में गर्भवती महिलाओं में एचआईवी पॉजीटिव की दर 0.75 फीसदी थी, जो अब घट कर 0.03 हो गई है।  महाराष्ट्र राज्य एड्स नियंत्रण संस्था के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य में फिलहाल 1 लाख 98 हजार 275 एचआईवी पॉजीटिव हैं। ये एचआईवी जांच केंद्रों पर दवाई ले रहे हैं।

ट्रक चालकों में भी घटा प्रमाण

अधिकारी ने बताया-राज्य में इस साल जनवरी से अक्टूबर के बीच 21 लाख 47 हजार 705 लोगों की जांच की गई। इसमें से  18 हजार 170 एचआईवी पॉजीटिव पाए गए। इस दौरान 17 लाख, 85 हजार 327 गर्भवती महिलाओं की जांच हुई। जिनमें से 817 महिलाएं एचआईवी पॉजीटिव पाई गई। अधिकारी ने बताया, ट्रक चालकों में भी एचआईवी ग्रस्त के प्रमाण में गिरावट आई है। मुंबई शहर व उपनगर को छोड़कर राज्य के 33 जिलों में 595 एचआईवी जांच केंद्र (आईसीटीसी ) शुरू है। इसके अलावा 1 हजार 811 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 268 शहरी स्वास्थ्य केंद्र, 1166 पीपीपी केंद्र और 9 मोबाइल आईसीटीसी कार्यरत हैं।

हर माह 30 लाख कंडोम का वितरण
गत 31 वर्षों में महाराष्ट्र में (मुंबई को छोड़कर) 7 लाख 38 हजार 988 एचआईवी पॉजीटिव पाए गए। यह आंकड़े अगस्त 1986 से अक्टूबर 2017 तक के  हैं। राज्य एड्स नियंत्रण संस्था ने अप्रैल 2014 से अक्टूबर 2017 के दौरान राज्य भर में 6 करोड़ 93 लाख 24 हजार 200 कंडोम बांटे हैं। इसके अलावा गुप्त रोग चिकित्सा केंद्रों में भी मुफ्त में कंडोम का वितरण किया जाता है। अधिकारी ने बताया कि राज्य एड्स नियंत्रण संस्था की तरफ से राज्य में हर महीने सेक्स वर्कर और नशे के आदी समेत अन्य लोगों को इस्तेमाल के लिए हर महीने 30 लाख कंडोम बांटे जाते हैं।

मेयो में निकली जनजागरूकता रैली : 

नागपुर। एड्स से लड़ने के लिए दुनियाभर को संगठित होने की आवश्यकता है। इस दिवस को मनाकर इस बीमारी से पीड़ित लोगों की हिम्मत बढ़ाना है। विश्व में एड्स के 3.7 करोड़ मरीज इस बीमारी से पीड़ित हैं। यह जानकारी वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. नितीन शिंदे ने विश्व एड्स दिवस की पूर्व संख्या पर दी। गुरुवार इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेयो) से एड्स की जनजागरूकता के लिए रैली निकाली गई, जिसेे मेयो इंचार्ज डीन डॉ. अनुराधा श्रीखंडे ने झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्हाेंने बताया कि इस वायरस की पहचान वर्ष 1984 में हुई थी। अब तक इस बीमारी से 3.5 करोड़ लोगों की मृत्यु हो चुकी है। ताजा आंकड़ों के अनुसार 54 फीसदी वयस्क, 43 फीसदी बच्चे ग्रस्त हैं। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली 75 फीसदी महिलाएं आजीवन एंटी रेट्रोवाइरल थेरेपी का सेवन कर रही हैं। उन्होंने बताया कि एड्स का स्थायी उपचार नहीं है, लेकिन यदि मरीज एंटी रेट्रोवायरल दवाओं का सेवन करता है, तो वायरस को नियंत्रण में कर सकते हैं। इन दवाओं के नियमित सेवन से एचआईवी मरीज सामान्य जीवन जी सकता है। 
 
 

Created On :   1 Dec 2017 10:58 AM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story