मेट्रो बस स्टॉपेज के बुरे हाल, कहीं सीटें हुईं गायब, तो कहीं नशेडिय़ों ने कर रखा कब्जा

Bad condition of metro bus stoppages, seats missing somewhere, then drugs occupied by drug addicts
मेट्रो बस स्टॉपेज के बुरे हाल, कहीं सीटें हुईं गायब, तो कहीं नशेडिय़ों ने कर रखा कब्जा
मेट्रो बस स्टॉपेज के बुरे हाल, कहीं सीटें हुईं गायब, तो कहीं नशेडिय़ों ने कर रखा कब्जा

करोड़ों की लागत से तैयार स्टॉपेज की दुर्दशा देखकर भी जिम्मेदार बेखबर
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
बेशकीमती जमीन पर करोड़ों की लागत से तैयार मेट्रो बस स्टॉपेज के बेहद बुरे हाल हैं। लगभग सभी स्टॉपेज की जो स्थिति है उसके मुताबिक अधिकांश से सीटें गायब हो चुकी हैं और जहाँ बची हैं वहाँ नशेडिय़ों का कब्जा है। तो कुछ पर परिवार बस चुके हैं जहाँ की रैलिंग पर उनके गंदे कपड़े सूखते रहते हैं। आलम यह है कि जिन सवारियों की सुविधाओं के लिए बस स्टॉपेज बनाए गए हैं उन्हें खड़े होने की भी पर्याप्त जगह नहीं मिलती बैठना तो दूर की बात है। 
शहर के भीतर 60 के करीब मेट्रो बस स्टॉपेज हैं। इसमें 18 बड़े और बाकी के छोटे हैं। इनमें से तकरीबन 30 मेट्रो बस स्टॉपेज पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड में तैयार किए गए हैं। इसमें ठेकेदार की ही जिम्मेदारी होती है कि वो बस स्टॉपेज का ध्यान रखे, लेकिन वो भी स्टॉपेज पर िवज्ञापन लगाकर सिर्फ अपनी जेबें भरने में व्यस्त है। बताया गया है कि एक स्टॉपेज बनाने में तकरीबन साढ़े 7 लाख की लागत आई है। 
पीआईएस सिस्टम भी नदारद
सालों पहले मेट्रो बस स्टॉपेज पर पीआईएस (पैसेंजर इनफॉर्मेशन सिस्टम) लगा हुआ था जिसके जरिए बसों के आने-जाने की जानकारी सवारियों को मिला करती थी, लेकिन वो सिस्टम भी बीते कई सालों से बंद पड़ा है। जिम्मेदारों को इस अव्यवस्था से भी कुछ लेना देना नहीं है। 
 

Created On :   17 Nov 2020 9:31 AM GMT

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