बैंक का कहना जीरो बैलेंस पर खाता नहीं और सरकार का कहना बिना खाता अनुदान नहीं

Bank says no Zero balance account, and govt says no account  no grant
बैंक का कहना जीरो बैलेंस पर खाता नहीं और सरकार का कहना बिना खाता अनुदान नहीं
बैंक का कहना जीरो बैलेंस पर खाता नहीं और सरकार का कहना बिना खाता अनुदान नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी योजनाओं का अनुदान सीधे लाभार्थियों के खाते में हस्तांतरित (डीबीटी) करने की योजना शुरू की गयी है। जिला परिषद सदस्य उज्ज्वला बोढारे ने कहा कि यह योजना दलालों की जेब भरने वाली योजना है। इसमें लाभार्थियों का हित कम और राज्य की जिला परिषदों की बदनामी ज्यादा हो रही है। इसे तत्काल रद्द कर लाभार्थियों को लाभ वस्तु वितरित करने की पुरानी पद्धति पूर्ववत शुरू करने की मांग, जिप की आमसभा में की गई। 

अनुदान से लाभार्थी वंचित

जिला परिषद के समाज कल्याण, कृषि, शिक्षण और महिला व बाल कल्याण विभाग की ओर से व्यक्तिगत लाभ की विविध योजनाएं चलाई जाती हैं। इन योजनाओं के लाभार्थियों के बैंक खाते में अनुदान जमा कराने के लिए इस वर्ष से "डीबीटी" शुरू की गई है। लाभार्थी को पहले लाभ वस्तु खरीद कर बिल जमा करने के बाद बैंक खाते में अनुदान रकम जमा करने की शर्त रखी गई है। बैंक जीरो बैलेंस पर खाते खोलने के लिए तैयार नहीं हैं और सरकार बिना खाता अनुदान देने के लिए तैयार नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र में गरीबी का आलम है। बैंक खाता खोलने के लिए डिपॉजिट और लाभ वस्तु खरीद करने के लिए, उनके पास धन की कमी है। ऐसी स्थिति में अनुदान की योजनाओं से लाभार्थी वंचित हैं। 

कमीशनखोरी बढ़ने का खतरा 

लाभार्थियों की गरीबी का फायदा उठाने के लिए दलाल सक्रिय हैं। वस्तु खरीद किए बिना फर्जी बिल देकर कमीशनखोरी बढ़ने का खतरा बना हुआ है। डीबीटी अपनाने के पीछे सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा करते हुए बोढारे ने कहा कि असल में सरकार गरीबों को अनुदान देना ही नहीं चाहती है। गरीबों को उनका हक दिलाने के लिए डीबीटी रद्द कर पूर्ववत नीलामी प्रक्रिया से वस्तु खरीद कर लाभार्थियों को वितरित किया जाएं। पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष राकांपा सदस्य चंद्रशेखर चिखले ने भी इस मांग का समर्थन किया। अध्यक्ष ने सदस्यों की मांग पर इस आशय का प्रस्ताव सरकार के पास भेजने के प्रति आश्वस्त किया।

Created On :   25 Aug 2017 12:01 AM IST

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