बैंकों की ब्याज दर बढ़ेगी, बड़े कर्ज नहीं मिल पाएंगे, विदर्भ को कुछ नहीं मिला

Banks will not be able to get bigger loans, nothing to Vidarbha
बैंकों की ब्याज दर बढ़ेगी, बड़े कर्ज नहीं मिल पाएंगे, विदर्भ को कुछ नहीं मिला
बैंकों की ब्याज दर बढ़ेगी, बड़े कर्ज नहीं मिल पाएंगे, विदर्भ को कुछ नहीं मिला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वित्त मामलों के विशेषज्ञ व कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अतुल लोंढे ने केंद्र सरकार के पेश बजट का भ्रम भरा मानते हुए कहा है कि देश में आर्थिक अड़चन का दौर अभी दूर नहीं होगा। बैंकों की ब्याज दर बढ़ेगी, बैंक बड़े कर्ज नहीं दे पाएंगे। लोंढे के अनुसार, उद्योग क्षेत्र में बढ़ी  वित्तीय हानि 3.2 प्रतिशत पर रहना था, वह 3.5 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इससे बैंकों की ब्याज दर बढ़ेगी। बाजार में पैसाें का चलन प्रभावित होगा। बड़े कर्ज नहीं मिल पाने का नकारात्मक परिणाम उद्योगों के साथ रोजगार पर भी पड़ेगा।

सीमा शुल्क में बढ़ोतरी करने से महंगाई बढ़ेगी। इसका प्रभाव सामान्य जनता पर पड़ेगा। शनिवार को धनवटे कालेज सभागृह कांग्रेसनगर में आयोजित कार्यक्रम में लोंढे ने केंद्र सरकार के बजट का विश्लेषण किया। आंकड़ों के साथ व्याख्यान में उन्होंने कहा कि केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जो बजट पेश किया है, वह केवल भ्रम निर्माण करनेवाला है। जो योजनाएं घोषित की गई है, उनकी विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। लिहाजा बजट का लाभ नागरिकों को मिलने की संभावना कम है।

योजनाओं में पारदर्शिता नहीं होने से भ्रम फैला रहा बजट
लोंढे ने कहा कि देश में बेरोजगारी बड़ी समस्या है। उसे दूर करने के लिए बजट में किसी भी उपाय योजना का जिक्र नहीं किया गया है। 62 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष व 52 प्रतिशत जनसंख्या 25 वर्ष से कम उम्र की है। लिहाजा युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना पहली प्राथमिकता होना चाहिए। उद्योग क्षेत्र में मंदी है। निवेश थमा हुआ है। कंपनियां कर्ज नहीं ले पा रही हैं। उद्योग की मंदी का असर रोजगार पर पड़ रहा है। मुद्रा लोन, स्टार्टअप व स्टैंडअप जैसी योजनाओं को गति नहीं मिल पा रही है। पिछले वर्ष इन योजनाओं के लिए करोड़ों रुपये का प्रावधान किया गया था। लेकिन योजनाओं का प्रभाव नहीं दिख रहा है। केंद्र सरकार की योजनाओं पर अमल नहीं हो रहा है।

विदर्भ को भी कुछ नहीं मिला
विदर्भ में किसान आत्महत्या का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बना है, लेकिन यहां के किसानों को भी कुछ नहीं दिया गया। विदर्भ की प्रमुख फसल संतरा है। लिहाजा यहां संतरा प्रक्रिया उद्योग प्राथमिकता के साथ शुरू करना था। इस ओर ध्यान ही नहीं दिया गया। नागपुर में पतंजलि उद्योग समूह को कम दर पर जमीन दी गई। लेकिन उसमें भी औद्योगिक गति नहीं मिली। नागपुर में युवाओं के लिए रोजगार उपलब्ध नहीं है। सिवाय इसके केंद्र सरकार ने बजट में संतरा जूस पर सीमा शुल्क 5 प्रतिशत बढ़ा दिया है। कृषि उपज को डेढ गुना समर्थन मूल्य देने की घोषणा तो राजनीतिक घोषणा है। पेट्रोल के दाम करने का दावा किया जाता है, वहीं विकास के लिए पेट्रोल पर अधिभार लगा दिया जाता है। व्याख्यान के दौरान विनायक देशपांडे, डॉ.बबनराव तायवाडे, रत्नाकर बेलेकर, रोहित सावरकर व अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

Created On :   4 Feb 2018 5:09 PM IST

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