- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- अलग धर्म के होने के नाते नहीं कर...
अलग धर्म के होने के नाते नहीं कर सकते विवाह, महिला के इंकार के बाद आरोपी के खिलाफ रद्द हुआ मामला
डिजिटल डेस्क, मुंबई। शादी करने से इनकार करने के चलते पहले आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत दर्ज करनेवाली शिकायतकर्ता ने जब कहा कि वह और आरोपी अलग समुदाय व धर्म के हैं, इसलिए उसके माता-पिता विवाह को राजी नहीं हैंं। इसके बाद बांबे हाईकोर्ट ने दो साल से दुष्कर्म के आरोपों का सामना कर रहे आरोपी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया। शिकायतकर्ता के मुताबिक आरोपी से पहले उसकी दोस्ती हुई थी। फिर दोस्ती प्यार में बदल गई। इस बीच आरोपी ने उससे शादी का वादा करके उसके साथ संबंध बनाए। किंतु बाद में आरोपी अपने शादी के वादे से मुकर गया। इसलिए पीड़ित ने अंबोली पुलिस स्टेशन में आरोपी के खिलाफ साल 2019 में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता का कहना है कि किंतु कुछ समय बाद जब मैंने दोबारा इस पूरे मामले पर विचार किया तो मैंने इस मामले को खत्म करने का फैसला किया है। मामला रद्द करने की मांग को लेकर आरोपी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर न्यायमूर्ति पीबी वैराले व न्यायमूर्ति एसएम मोडक की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता ने हलफनामा दायर कर कहा कि चूंकि मैं और आरोपी अलग धर्म व समुदाय के हैं। इसलिए मेरे माता-पिता हमारे विवाह को लेकर राजी नहीं है। हमने अपने घरवालों के सहयोग से मामले को सुलझा लिया है। मैंने गुस्से में आकर आरोपी के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया था। अब आरोपी ने शादी भी कर ली है।
वहीं आरोपी ने भी खंडपीठ के सामने हलफनामा दायर कर कहा कि उसे अपने किए पर पछतावा है। वह अपने कृत्य के लिए शिकायतकर्ता से माफी मांगता है। भविष्य में वह कभी अवैध कार्य में लिप्त नहीं होगा। इस तरह खंडपीठ ने मामले से जुड़ी शिकायतकर्ता के हलफनामे पर गौर करने के बाद आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता धारा 376(2)एन के तहत आपराधिक मामले को रद्द कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि इस तरह के मामले को लेकर मुकदमा चलाने का कोई मतलब नहीं है।
Created On :   24 March 2022 8:06 PM IST