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भीमा-कोरेगांव हिंसा मामला: सुधा भारद्वाज के खिलाफ सिर्फ एक गवाह

डिजिटल डेस्क,मुंबई। भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी सुधा भारद्वाज के वकील युग चौधरी ने कहा है कि उनकी मुवक्किल का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। लिहाजा उन्हें जमानत प्रदान की जाए। अधिवक्ता चौधरी ने न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल के सामने कहा कि उनकी मुवक्किल अर्थराइटिस व डायबटीज से पीड़ित है। घर में एक बेटी है। इस तरह से उन्होंने भावनात्मक आधार पर आरोपी भारद्वाज को जमानत दिए जाने की अपील की। इसके अलावा अधिवक्ता चौधरी ने कहा कि मेरी मुवक्किल कानून की जानी-मानी प्रोफेसर है। वे देश छोड़कर नहीं जाएगी। इसके साथ ही सबूतों के साथ छेड़छाड भी नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि पुलिस के पास मेरे मुवक्किल के खिलाफ सिर्फ एक ही गवाह मौजूद है। और वह मामले से जुड़े जांच अधिकारी है। पुलिस के पास मेरे मुवक्किल के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। पुलिस ने सिर्फ प्रकरण से जुड़े अन्य आरोपियों के कंप्युटर से मिले 6 दस्तावेजों के आधार पर गिरफ्तार किया। जिन्हें प्रमाणिक दस्तावेज नहीं माना जा सकता है। क्योंकि इन पत्रों में किसी के हस्ताक्षर नहीं है। और यह भी स्पष्ट नहीं है कि इन पत्रों का लेखक कौन है। ऐसे में पुलिस को मिले अपुष्ट दस्तावेजों के आधार पर मेरे मुवक्किल को जेल में रखना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि निचली अदालत का मेरी मुवक्किल के जमानत को रद्द करने का आदेश एकतरफा प्रतीत होता है। गौरतलब है कि पुणे पुलिस ने भीमा-कोरेगांव हिंसा को लेकर भराद्वाज के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया है। वे अभी इस मामले में जेल में है। निचली अदालत ने उनकी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। लिहाजा उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत आवेदन दायर किया है।
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Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।